महाराष्ट्र: ‘घड़ी’ को लेकर घमासान… NCP अजित गुट ने SC को बताया- हो गई है हुक्म की तामील!
नई दिल्ली,
शरद पवार बनाम अजित पवार के बीच घड़ी सिंबल विवाद मामले में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. ये सुनवाई जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुईयां की बेंच ने की. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने अजित पवार गुट को 36 घंटे के भीतर अखबारों में, खासकर मराठी भाषा के अखबारों में एक डिस्क्लेमर जारी करने का आदेश दिया था.
अजित पवार गुट के वकील बलबीर सिंह ने कोर्ट को बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक हिंदी, अंग्रेजी और मराठी के प्रमुख अखबारों में डिस्क्लेमर जारी किया गया है. अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का मतदाताओं पर असर पड़ता है. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि हम इस गुमान (overestimated) में नहीं हैं कि हम मतदाताओं पर असर डाल सकते हैं. हम कानून के मुताबिक काम करते हैं. कोर्ट में पेश अखबारों में छपे डिस्क्लेमर को देखते हुए जस्टिस सूर्यकांत ने मजाकिया अंदाज में कहा कि आपका एक डिस्क्लेमर डोनाल्ड ट्रम्प की खबर के ठीक नीचे छपा है, जो काफी प्रभावशाली लग रहा है! बता दें कि नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (दोनों गुटों) में घड़ी को लेकर खींचतान जारी है.
एससी ने दिया था अल्टीमेटम
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने अजित पवार से कहा था कि इस आदेश का उल्लंघन न्यायालय की अवमानना होगी. अदालत ने 36 घंटे का अल्टीमेटम भी जारी किया था. सुप्रीम कोर्ट ने अजित पवार से कहा था कि वे सूचित करें कि उन्हें आवंटित ‘घड़ी’ चुनाव निशान इस न्यायालय के समक्ष विचाराधीन है.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था?
कोर्ट ने कहा था कि एससी ने अजित पवार से कहा था कि वह यह भी सूचित करें कि उन्हें इस कार्यवाही के अंतिम परिणाम के अधीन इसका उपयोग करने की अनुमति दी गई है. ऐसी घोषणा चुनाव प्रचार अभियान से संबंधित प्रत्येक पैम्फलेट, विज्ञापन, ऑडियो या वीडियो क्लिप में भी शामिल की जाए.
सुप्रीम कोर्ट में की गई थी शिकायत
दरअसल, शरद पवार गुट की ओर से शिकायत किए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट का निर्देश था कि अजित पवार सुप्रीम कोर्ट के पहले के निर्देशों का पालन नहीं कर रहे हैं.
बगावत कर अलग हुए थे अजित
बता दें कि NCP में विभाजन के बाद चुनाव आयोग ने इस साल की शुरुआत में पार्टी का चुनाव चिह्न ‘घड़ी’ अजित पवार के नेतृत्व वाले गुट को आवंटित किया था. अजित पवार 2023 में अपने चाचा शरद पवार के खिलाफ बगावत कर सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन में शामिल हो गए थे. वहीं, लोकसभा चुनाव से पहले सुप्रीम कोर्ट ने शरद गुट को पार्टी के नाम के रूप में ‘राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-शरदचंद्र पवार’ और चुनाव चिह्न ‘तुरहा’ का उपयोग करने की अनुमति दी थी. साथ ही शीर्ष अदालत ने कहा था कि अजित गुट द्वारा राजनीतिक लाभ के लिए शरद पवार के नाम और तस्वीरों का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है.