नई दिल्ली
पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद में बांग्लादेश में हालात काफी बदल गए हैं। नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस की सरकार में हिंदू अब जरा भी सुरक्षित नहीं है। इसी बीच अब बांग्लादेश के अटॉर्नी जनरल ने संविधान में बड़े बदलाव की डिमांड की है। उन्होंने कहा कि देश की 90 प्रतिशत आबादी मुस्लिम है, इसलिए संविधान से धर्मनिरपेक्ष शब्द को हटा देना चाहिए। अटॉर्नी जनरल मोहम्मद असदुज्जमां ने जस्टिस फराह महबूब और देबाशीष रॉय चौधरी के सामने 15वें संशोधन की वैधता पर अदालती सुनवाई के दौरान अपनी दलीलें पेश की।
अटॉर्नी जनरल ने कहा, ‘पहले अल्लाह पर हमेशा भरोसा और आस्था थी। मैं चाहता हूं कि यह पहले जैसा ही रहे। अनुच्छेद 2ए में कहा गया है कि राज्य सभी धर्मों के पालन में समान अधिकार और समानता सुनिश्चित करेगा। अनुच्छेद 9 ‘बंगाली राष्ट्रवाद’ की बात करता है। यह विरोधाभासी है।’ मोहम्मद असदुज्जमां ने दलील दी कि संवैधानिक संसोधन लोकतंत्र को दर्शाते हैं और इससे तानाशाही को बढ़ावा नहीं मिलना चाहिए।
अटॉर्नी जनरल ने जताई आपत्ति
अटॉर्नी जनरल ने अनुच्छेद 7ए और 7बी पर भी कड़ी आपत्ति जताई। असदुज्जमां ने कार्यवाहक सरकार प्रणाली को हटाने की भी निंदा की है। इसका इस्तेमाल पहले चुनावों की निगरानी करने के लिए किया जाता था। उनके मुताबिक, इस प्रणाली को खत्म करने से बांग्लादेशी लोगों के मौलिक अधिकार सीमित होकर रह गए हैं। लोगों का भरोसा खत्म हो गया है और देश की लोकतांत्रिक नींव कमजोर हो गई है।
हिंदुओं पर हमले को लेकर मुश्किल में यूनुस सरकार
इतना ही नहीं उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के पिता शेख मुजीबुर रहमान को राष्ट्रपिता घोषित करने समेत कई संशोधन का भी विरोध किया। उन्होंने कहा कि यह सब देश को बांटते हैं। असदुज्जमां ने कहा कि शेख मुजीबुर रहमान का सम्मान करना जरूरी है लेकिन इसे कानून से लागू करना बंटवारे पैदा करता है।
बांग्लादेश में हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह
भारत ने एक बार नहीं कई बार अंतरिम सरकार से कहा है कि वह हिंदुओं की सुरक्षा के लिए सख्त से सख्त कदम उठाए। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा,’हम बांग्लादेश सरकार से हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने और चरमपंथी तत्वों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कड़े कदम उठाने का फिर से आग्रह करते हैं।’ चटगांव में हिंदू समुदाय पर हुए हमलों का उल्लेख करते हुए जायसवाल ने कहा कि इससे समुदाय के भीतर तनाव पैदा होना तय है।