नई दिल्ली
भारत जल्द ही दुनिया का सबसे बड़ा कामकाजी आबादी वाला देश होगा। एंजेल वन वेल्थ की एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है। इसके मुताबिक, 2023 से 2050 के बीच दुनिया में जितने नए लोग कामकाजी उम्र के होंगे, उनमें से 20% हिस्सेदारी भारत की होगी। दूसरी तरफ, चीन में काम करने वाले लोगों की संख्या में गिरावट देखने को मिलेगी। रिपोर्ट में भारत में बढ़ती आमदनी और लोगों की आर्थिक स्थिति में सुधार पर भी रोशनी डाली गई है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि 2030 तक भारत में अमीर परिवारों की संख्या तीन गुना हो जाएगी। वहीं, मध्यम वर्ग के परिवारों की संख्या दोगुनी होने के आसार हैं। इससे गरीब परिवारों की संख्या में भी भारी कमी आएगी। 2018 में जहां 43% परिवार गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करते थे, वहीं 2030 तक यह संख्या घटकर 15% रह जाएगी।
अन्य एशियाई देशों के मुकाबले भारत पर कम कर्ज
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि मजबूत घरेलू बैलेंस शीट के चलते भारत प्रति व्यक्ति आय के मामले में सबसे तेजी से बढ़ने वाला देश बनने की ओर अग्रसर है। इसमें जिक्र किया गया है कि जीडीपी के प्रतिशत के रूप में भारत का घरेलू कर्ज अपने एशियाई समकक्षों की तुलना में बहुत कम है, जो मजबूत इनकम ग्रोथ और फाइनेंशियल हेल्थ को दर्शाता है।
भारत की युवा आबादी भी उसकी ताकत है। 29 साल की औसत उम्र के साथ भारत दुनिया में सबसे कम ‘डिपेंडेंसी रेश्यो’ वाले देशों में से एक है। ‘डिपेंडेंसी रेश्यो’ का मतलब है कि हर कामकाजी व्यक्ति पर कितने लोगों की जिम्मेदारी है। वहीं, चीन और यूरोप जैसे देशों में यह अनुपात बढ़ रहा है, जो इन देशों के लिए आर्थिक चुनौतियां पैदा कर रहा है।
गैर-जरूरी चीजों पर तेजी से बढ़ रहा खर्च
रिपोर्ट में बढ़ती आमदनी का उपभोग के तरीकों पर पड़ने वाले असर का भी जिक्र किया गया है। भारत में परिवारों की संख्या आबादी की तुलना में तेजी से बढ़ रही है। इससे जरूरी चीजों पर होने वाले खर्च की तुलना में गैर-जरूरी चीजों पर खर्च तेजी से बढ़ रहा है। यह दर्शाता है कि भारतीय परिवार अब महंगी चीजें खरीदने में सक्षम हैं। साथ ही उनकी जीवनशैली में सुधार हो रहा है।
टैक्स के मोर्चे पर भारत में इंडिविजुअल इनकम टैक्स कलेक्शन वित्तीय वर्ष 2010-11 से लगातार कॉर्पोरेट कर संग्रह से ज्यादा रहा है। यह अर्थव्यवस्था में व्यक्तियों के बढ़ते योगदान को दर्शाता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि तेज इनकम ग्रोथ, कम घरेलू कर्ज और युवा कार्यबल की अनूठी स्थिति भारत को ग्लोबल आर्थिक महाशक्ति के रूप में स्थान देती है। यह आने वाले दशकों में न केवल इसे घरेलू बल्कि अंतरराष्ट्रीय विकास को भी रफ्तार देगी।