इंदौर,
मध्य प्रदेश के इंदौर में लोगों के साथ साइबर ठगी करने वाले एक गिरोह दो सदस्यों को गुजरात से गिरफ्तार किया गया है. आरोपी डिजिटल अरेस्ट के जरिए लोगों को डरा-धमकाकर ठगी किया करते थे. दोनों आरोपियों से विस्तृत पूछताछ कर गिरोह के सरगना और उसके अन्य सदस्यों की पहचान की जा रही है.
अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त राजेश दंडोतिया ने बताया कि गिरफ्तार आरोपियों की पहचान सूरत निवासी हिम्मत दीवानी (58) और कच्छ निवासी अतुल गिरी गोस्वामी (46) के रूप में हुई है. दोनों आरोपी साइबर ठगी के लिए गिरोह को बैंक खाते उपलब्ध कराते थे. इस गिरोह से जुड़े 23 बैंक खातों पर रोक लगा दी गई है.
डिजिटल अरेस्ट के तहत गिरोह के जाल में फंसे विभिन्न राज्यों के पीड़ितों में इंदौर का एक 70 वर्षीय व्यक्ति भी शामिल है. पुलिस अधिकारी ने बताया कि उससे 40.70 लाख रुपए ठगे गए थे. इसके बाद से ही पुलिस इस मामले में साइबर ठगों की तलाश कर रही थी. विस्तृत जांच के बाद दोनों को गिरफ्तार किया गया है.
‘डिजिटल अरेस्ट’ साइबर ठगी का एक नया और तेजी बढ़ता हुआ तरीका है. इसमें जालसाज ईडी, सीबीआई के अधिकारी या पुलिस अफसर बनकर ऑडियो/वीडियो कॉल के जरिए पीड़ितों को अपनी जाल में फंसाते हैं. उन्हें डराते-धमकाते हैं. इसके बाद उनको अपनी गिरफ्त में लेकर उनसे ऑनलाइन पैसे ट्रांसफर करा लेते हैं.
बताते चलें कि इंदौर पुलिस ने अक्टूबर में भी साइबर ठगों के एक बड़े गैंग का फर्दाफाश किया था. पुलिस ने इस गिरोह द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे 34 बैंक खातों को भी फ्रीज किया और 1400 सिम कार्ड बरामद किए थे. इनमें से एक ने 5 महीने पहले एक मल्टीनेशनल कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर महिला से संपर्क किया.
उसे ड्रग्स और फर्जी पासपोर्ट के मामले में फंसाने की धमकी दी. महिला को यह कहकर धोखा दिया गया कि उसे डिजिटल अरेस्ट किया गया है. यदि वो इससे बचना चाहती है तो अलग-अलग बैंक खातों में उसे 12 लाख रुपए देने होंगे. फंसने के डर से महिला ने ठगों द्वारा दिए गए अकाउंट नंबर पर पैसे ट्रांसफर कर दिए.
इसके बाद उसे एहसास हुआ कि उसे ठगा गया है. पुलिस को गिरोह द्वारा इस्तेमाल किए गए करीब 34 बैंक खाते और 1400 सिम कार्ड मिले थे. उन्होंने कहा कि जांच में सामने आया कि इन सिम कार्ड्स का इस्तेमाल चार मोबाइल फोन में किया गया था. यह एक संगठित गिरोह था, जो कि बहुत सक्रिय था.