छतरपुर
अजमेर की ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह में शिव मंदिर होने का दावा किया गया है। इस दावे के साथ एक मुकदमा स्थानीय अदालत में दायर हुआ है। अदालत ने इस मुकदमे को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है। दरगाह कमेटी, अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय और ASI को नोटिस जारी करके जवाब मांगा गया है। इस मामले पर बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है।
क्या है पूरा मामला
अजमेर स्थित प्रसिद्ध सूफी दरगाह में शिव मंदिर होने के दावे ने एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। एक स्थानीय अदालत में दायर याचिका के बाद मामला अब कानूनी दायरे में पहुंच गया है। अदालत ने दरगाह कमेटी, केंद्र सरकार के अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को नोटिस भेजकर जवाब तलब किया है। इस मामले में अगली सुनवाई कब होगी, यह अभी तय नहीं है।
अजमेर शरीफ पर क्या बोले पंडित धीरेंद्र शास्त्री
इस विवाद पर बागेश्वर धाम के प्रमुख धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने भी अपनी राय रखी है। एक टीवी चैनल से बातचीत में उन्होंने कहा, ‘भगवान की कृपा है सब मंगल-मंगल हो रहा है, हिंदुत्व के प्रति सकारात्मक समय आ रहा है, अगर वहां भी शिव मंदिर है तो प्राण प्रतिष्ठा होगी, रुद्राभिषेक होना चाहिए।’
सनातन हिंदू यात्रा पर बागेश्वर धाम के धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री
धीरेंद्र शास्त्री फिलहाल ‘सनातन हिंदू एकता पदयात्रा’ पर हैं, जिसका उद्देश्य हिंदुओं में जातिवाद को खत्म करना है। यह यात्रा ओरछा में समाप्त हो गई है। इस यात्रा के दौरान धीरेंद्र शास्त्री कई विवादित बयान दे चुके हैं। हाल ही में उन्होंने कहा था, ‘गजवा-ए-हिंद या भगवा-ए-हिंद जो होना है जल्दी हो जाए। वह आरपार के मूड में निकले हैं।’
उन्होंने आगे कहा, ‘एक करोड़ कट्टर हिंदू बना लेंगे तो हजार वर्ष तक सनातन धर्म को कोई उंगली नहीं दिखा सकता, इतनी सी बात है समझ जाए तो ठीक है, नहीं तो तुम्हारी बहन बेटी को लव जिहाद से बचा नहीं सकता है, चाहे अधिकारी हो, नेता हो, अभिनेता हो, खास हो या आम हो। लव जिहाद, लैंड जिहाद से तुम अपनी पीढ़ी को बचा नहीं सकते।’
पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने यह भी कहा, ‘हिंदुओं को मंजिल तब प्राप्त होगी जब नारी नारायणी बन जाएगी, हिंदुओं को मंजिल तब प्राप्त होगी जब मंदिर में बनी हुई जितनी मस्जिदे हैं वहा फिर से मंदिर बन जाएंगे। हिंदुओं को मंजिल तब मिलेगी कहीं से भी बहन बेटी गुजर जाएं तो धर्म विरोधी, लव जिहाद वाले टेढ़ी निगाह से ना देखें। हिंदुओं को मंजिल तब मिलेगी जब हिंदू हिन्दुस्तान में हिंदू राष्ट्र का झंडा फहरा देंगे।’
उन्होंने लोगों से अपील की, ‘जो होना है जल्दी हो जाए। हिंदू जग जाए तो बढ़िया हैं ना जगे तो और बढ़िया हैं, जल्दी से इस्लामिक राष्ट्र बन जाए। हम तो आरपार के मूड में निकले हैं, गजवा ए हिंद हो जाए या भगवा ए हिंद हो जाए। कौन हिंदू मुसलमान करता रहे, यह होना चाहिए वह होना चाहिए, जो होना है जल्दी हो जाए।
सैयद सरवर चिश्ती ने जताई चिंता
दरगाह के खादिमों के प्रतिनिधि संगठन ‘अंजुमन सैयद जादगान’ के सचिव सैयद सरवर चिश्ती ने इस मामले पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि संस्था को मामले में पक्षकार बनाया जाना चाहिए। उनका कहना है कि दरगाह अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के अधीन आती है और ASI का इससे कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा, ‘समाज ने बाबरी मस्जिद मामले में फैसले को स्वीकार कर लिया और हमें विश्वास था कि उसके बाद कुछ नहीं होगा। लेकिन दुर्भाग्य से ऐसी चीजें बार-बार हो रही हैं। उत्तर प्रदेश के संभल का उदाहरण हमारे सामने है। यह रोका जाना चाहिए।’
उन्होंने कहा कि ‘संभल में भी एक मस्जिद में मंदिर होने का दावा किया गया था और अदालत ने सर्वेक्षण का आदेश दिया था। सैयद सरवर चिश्ती ने कहा कि वे कानूनी सलाह ले रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘अजमेर की ख्वाजा गरीब नवाज की पवित्र दरगाह दुनिया भर, खासकर भारतीय उपमहाद्वीप के मुसलमानों और हिंदुओं में पूजनीय है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि दक्षिणपंथी ताकतें सूफी दरगाह को मुद्दा बनाकर मुसलमानों को अलग-थलग करने और सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने का लक्ष्य बना रही हैं।’
उन्होंने कहा, यह याचिका मुसलमानों के खिलाफ काम करने वाले उस बड़े ‘तंत्र’ का हिस्सा लगती है जो धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ है। यह दरगाह धर्मनिरपेक्षता का शानदार उदाहरण है, जहां न केवल मुसलमान बल्कि हिंदू भी आते हैं। यह दुनिया भर में रहने वाले लोगों की आस्था का स्थान है। उन्होंने यह भी कहा कि मस्जिदों में शिवलिंग और मंदिर तलाशे जा रहे हैं, जो देश के हित में नहीं है। यह दरगाह सांप्रदायिक सद्भाव और धर्मनिरपेक्षता का प्रतीक है और विविधता में एकता को बढ़ावा देती है।