नई दिल्ली,
तमिलनाडु के मंत्री सेंथिल बालाजी की मुसीबतें आने वाले दिनों में बढ़ सकती हैं. बालाजी की जमानत रद्द करने की मांग वाली अर्जी पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए हैरानी जताई.जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि अदालत जमानत देती है और अगले दिन जाकर मंत्री बन जाते हैं! इससे किसी को भी ये समझ आ जाएगा कि इससे गवाहों पर दबाव बन सकता है. आखिर ये क्या हो रहा है?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सेंथिल बालाजी को मिली जमानत रद्द करने की मांग वाली याचिका में आरोप लगाया गया है कि जमानत के बाद तुरंत मंत्री बना दिए जाने से गवाहों पर प्रभाव और दबाव होगा. दबाव में गवाह अपनी गवाही से मुकर सकते हैं. इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को कहा कि वो अपना रुख स्पष्ट करे.
आशंका पर विचार करेगा कोर्ट
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो सिर्फ इस दलील पर विचार करेगा जिसमे यह आशंका जताई गई है कि जमानत देने से क्या गवाह प्रभावित हो रहे हैं. याचिका में आशंका जताते हुए कहा गया है कि 26 सितंबर, 2024 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा सेंथिल बालाजी को जमानत दिए जाने के तुरंत बाद उन्हें कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ दिला दी गई. जिससे उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों की गंभीरता को देखते हुए, गवाह उनके खिलाफ गवाही देने से मुकर सकते हैं.
उन पर AIADMK सरकार में परिवहन मंत्री रहने के दौरान नौकरी के बदले नकद रिश्वत लेने के घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है.मद्रास हाईकोर्ट ने बालाजी की जमानत याचिका खारिज कर दी थी, जबकि निचली अदालत भी उनकी जमानत याचिकाएं तीन बार खारिज कर चुकी है.