सिंधिया और भाजपा में सही कौन? रामनिवास रावत से दूरी के पीछे की वजह पांच साल पुरानी

भोपाल

विजयपुर उपचुनाव में मोहन सरकार के वन मंत्री रामनिवास रावत चुनाव हार गए हैं। रावत ने चुनाव हारते ही मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। रावत के चुनाव हारने से ज्यादा केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की चर्चा हो रही है। स्टार प्रचारकों की सूची में नाम होने के बावजूद उन्होंने विजयपुर में चुनाव प्रचार क्यों नहीं किया है। विजयपुर विधानसभा सीट उनके प्रभाव क्षेत्र में आता है। चुनाव परिणाम के बाद सिंधिय एमपी आए तो उनसे सवाल किया गया कि आप क्यों नहीं गए तो उन्होंने तपाक से कहा कि बुलावा नहीं आया। इसके बाद भाजपा ने कहा कि उन्हें बुलाया गया था लेकिन व्यस्तता की वजह से नहीं आ पाए। लेकिन इससे आगे की कहानी कुछ अलग ही हैं, जिसकी वजह से सिंधिया भाजपा उम्मीदवार रामनिवास रावत के लिए प्रचार करने नहीं गए।

ज्योतिरादित्य सिंधिया या भाजपा सही?
दरअसल, विजयपुर की हार के बाद सियासी गलियारों में यह चर्चा थी कि ज्योतिरादित्य सिंधिया का विजयपुर नहीं जाना भी एक फैक्टर रहा है। वो अगर वहां प्रचार के लिए जाते तो नतीजे कुछ और होते। इन चर्चाओं के बीच केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया जब मध्य प्रदेश आए तो उनसे सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि अगर मुझे बुलाया जाता तो मैं जरूर जाता। साथ ही कहा कि हमें चींता करने की जरूरत है। विजयपुर में मतों में भी बढ़ोतरी हुई है।

वहीं, ज्योतिरादित्य सिंधिया का कहना है कि हमें बुलाया नहीं गया जबकि भाजपा का कहना है कि उन्हें बुलाया गया था। प्रदेश महामंत्री और विधायक भगवान दास सबनानी ने कहा कि स्टार प्रचारकों की सूची में उनका नाम था। सीएम मोहन यादव और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने उन्हें बुलाया था। हालांकि उन्होंने अपनी व्यवस्तता की वजह से आने में असमर्थता व्यक्त की थी। सबनानी ने कहा कि उन्हें बुलाया गया था।

ऐसे में अब सवाल है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया कह रहे हैं कि हमें बुलाया नहीं गया और पार्टी कह रही है कि हमने बुलाया। पार्टी और सिंधिया ही बता सकते हैं कि दोनों में सही कौन है। वहीं, बयानों बीजेपी के अंदर अंदरूनी कलह की अटकलें लग रही हैं।

अपने से जाने का सवाल ही नहीं उठता
ग्वालियर-चंबल अंचल की राजनीति को करीब समझने वाले वरिष्ठ पत्रकार देव श्रीमाली ने नवभारत टाइम्स.कॉम से फोन पर बात करते हुए कहा कि ज्योतिरादित्य सिंधिया का खुद से जाने का तो सवाल ही नहीं उठता है। वो पार्टी के बड़े नेता हैं। उनका टूर प्रोग्राम डिसाइड होता है लेकिन विजयपुर के लिए ऐसा कुछ हुआ नहीं। उन्होंने कहा कि ज्योतिरादित्य सिंधिया एमपी के स्टार कैंपेनर की सूची में थे। ग्वालियर-चंबल उनका रूट एरिया भी है। ऐसे में यह तय था कि वह चुनाव प्रचार करने जाएंगे।

आठ बार कर चुके हैं चुनाव प्रचार
वरिष्ठ पत्रकार देव श्रीमाली ने कहा कि रामनिवास रावत सिंधिया परिवार के करीबी रहे हैं। कांग्रेस में रहते हुए वह जब भी चुनाव लड़े, उनके लिए प्रचार करने गए। ज्योतिरादित्य सिंधिया करीब आठ बार रामनिवास रावत के लिए चुनाव प्रचार करने गए हैं। इस बार वह चुनाव प्रचार के लिए नहीं गए, यह बीजेपी की अंदरूनी कलह है।

मार्च 2020 वाली है टीस
देव श्रीमाली ने कहा कि रामनिवास रावत कभी सिंधिया परिवार के करीबी रहे हैं। 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया जब पाला बदल रहे थे तो रामनिवास रावत उनके साथ नहीं गए। इसके बाद रामनिवास रावत के परिवार के खिलाफ जो कार्रवाई हुई, उसमें कथित रूप से सिंधिया समर्थकों का हाथ माना जा रहा था। उन्होंने कहा कि जब रामनिवास रावत बीजेपी में आए तो वह नरेंद्र सिंह तोमर, मोहन यादव और हितानंद शर्मा के जरिए आए। उनकी ज्वाइनिंग के समय भी ज्योतिरादित्य सिंधिया मौजूद नहीं रहे। ऐसे में ज्योतिरादित्य सिंधिया की बात भी अपनी जगह सही है। पार्टी अगर उन्हें टूर प्रोग्राम देती तो जरूर जाते।

फोन नहीं उठाया
इस पूरे प्रकरण पर वरिष्ठ पत्रकार देव श्रीमाली यह भी कहते हैं कि नेताओं ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को बुलाया होगा। लेकिन उनका जवाब यह रहा होगा कि हमें रामनिवास रावत ने नहीं बुलाया। हालांकि उन्होंने कहा कि रामनिवास रावत ने उनसे बातचीत के दौरान कहा कि मैंने ज्योतिरादित्य सिंधिया को तीन बार कॉल किया लेकिन फोन नहीं उठाया और कोई जवाब नहीं दिया। अब इसमें सच्चाई क्या है, ये उन्हीं को पता है। इससे एक चीज साफ है कि पार्टी में सब कुछ ठीक नहीं है।

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