नई दिल्ली
अगस्त, 2010 की बात है, जब राज्यसभा में भोपाल गैस त्रासदी पर बहस चल रही थी। त्रासदी को लेकर ये आरोप लगाए जा रहे थे कि तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने यूनियन कार्बाइड के सीईओ वॉरेन एंडरसन को भारत से भागने में मदद की। त्रासदी के दौरान मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे अर्जुन सिंह ने राजीव का बचाव करते हुए कहा कि भोपाल गैस कांड के सिलसिले में उन पर लगे सारे आरोप निराधार है।
अर्जुन सिंह ने कहा कि राजीव गांधी ने एंडरसन के संबंध में एक भी शब्द नहीं कहा था। उन पर किसी तरह का आरोप लगाना बिल्कुल बेबुनियाद है। उन्होंने भावुक होकर कहा कि वो इस घटना के बाद अपना पद छोड़ने के लिए तैयार थे। इसके लिए मैंने इस्तीफा देना चाहा, मगर राजीव गांधी ने ऐसा करने से मना कर दिया था। जानते हैं उस भयावह काली रात की कहानी, जिसने हजारों लोगों को मौत की नींद में सुला दिया था।
क्या हुआ था उस भयावह काली रात की उस सुबह को
भोपाल की 2-3 दिसंबर की दरम्यानी रात के बाद हुई सुबह में भोपाल के यूनियन कार्बाइड के प्लांट नंबर ‘सी’ में जहरीली गैस मिथाइल आइसोसाइनेट (MIC) का रिसाव हो रहा था। उससे बने गैस के बादल को हवा के झोंके अपने साथ बहाकर ले जा रहे थे और सड़कों पर लोग धड़ाधड़ ताश के पत्तों की तरह गिरते जा रहे थे। कुछ लोग तो उस सुबह उठे ही नहीं। उस रात उनको मौत की नींद आई थी। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस दुर्घटना के कुछ ही घंटों के भीतर 5,295 लोग मारे गए थे।
बरसों तक चलता रहा मौतों का ये सिलसिला
मौतों का यह सिलसिला बरसों तक चलता रहा। कीटनाशक बनाने वाल अमेरिकी कंपनी डाउ की यूनियन कार्बाइड की फैक्टरी से करीब 40 टन गैस का रिसाव हुआ था। इस जहरीली गैस के रिसाव का असर इतना ज्यादा रहा कि बरसों बाद मरने वालों का आंकड़ा करीब 25 हजार तक जा पहुंचा। कहा जाता है कि लोगों को मौत की नींद सुलाने में इस जहरीली गैस को औसतन तीन मिनट लगे।
कैसे हुई थी यह भयावह त्रासदी, यह जानिए
इसकी वजह यह थी कि यूनियन कार्बाइड के टैंक नंबर 610 में जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट गैस का पानी से मिल जाना। इससे हुई रासायनिक प्रक्रिया की वजह से टैंक में दबाव पैदा हो गया और टैंक खुल गया और उससे निकली गैस ने हजारों लोगों को मार डाला। इससे सबसे भयानक स्तर पर कारखाने के पास की झुग्गी बस्ती प्रभावित हुई। इससे कुल मिलाकर 5,21,000 लोग प्रभावित हुए थे।
2 दिन में ही 50 हजार लोगों का किया गया इलाज
एक अनुमान के अनुसार, पहले दो दिनों में करीब 50 हजार लोगों का इलाज किया गया। शुरुआत में डॉक्टरों को ठीक से पता नहीं था कि क्या किया जाए क्योंकि उन्हें मिथाइल आइसोसाइनेट गैस से पीड़ित लोगों के इलाज का कोई अनुभव ही नहीं था। हालांकि, गैस रिसाव के आठ घंटे बाद भोपाल को जहरीली गैसों के असर से मुक्त मान लिया गया था। मगर, आज तक यह शहर पूरी तरह उबर नहीं पाया है।
पूरे शहर में फैल गई अजीब सी दुर्गंध, हर ओर बिखरी थीं लाशें
कुछ ही दिनों में आस-पास के पेड़ बंजर हो गए और फूले हुए जानवरों के शवों का निपटान करना पड़ा। 170,000 लोगों का अस्पतालों और अस्थायी औषधालयों में इलाज किया गया। 2,000 भैंस, बकरियां और अन्य जानवरों को इकट्ठा करके दफनाया गया। सड़कों पर हर ओर लाशें बिखरी पड़ी थीं। पूरे शहर में अजीब सी दुर्गंध फैल गई।
अदालत ने सुनाई सजा, एंडरसन भगोड़ा करार
भोपाल गैस त्रासदी मामले में सात जून को अदालत ने आठ लोगों को दोषी करार देकर 2-2 साल की सजा सुनाई थी। इस मामले में यूनियन कार्बाइड के तत्कालीन प्रमुख वॉरेन एंडरसन फरार घोषित किए गए थे। हालांकि, वो भारत छोड़कर जाने में सफल हो गए थे। गैस हादसे के 4-5 दिन बाद यानी सात दिसंबर को एंडरसन भोपाल पहुंचे थे और उन्हें एयरपोर्ट पर ही गिरफ्तार कर लिया गया था। एंडरसन ने फैक्ट्री में पहले भी हुए हादसों को नजरअंदाज किया था।
एंडरसन को कुछ ही घंटों में सरकारी विमान से भेजा
गिरफ्तारी के अगले दिन यानी कुछ ही घंटों के भीतर भोपाल के तत्कालीन कलेक्टर मोती सिंह और एसपी स्वराज पुरी ने एंडरसन को सरकारी कार में एयरपोर्ट पहुंचाया। वहां राज्य सरकार का विमान तैयार खड़ा था, जिसमें बिठाकर एंडरसन को दिल्ली भेजा गया। दिल्ली से उसी शाम वह अमेरिका के लिए रवाना हो गया। इसके बाद एंडरसन कभी भारत नहीं आया। कलेक्टर मोती सिंह ने 2008 में एक किताब ‘अनफोल्डिंग द बिट्रेयल ऑफ भोपाल गैस ट्रेजेडी’ लिखी। उन्होंने लिखा है कि एंडरसन को तत्कालीन सीएम अर्जुन सिंह के आदेश पर छोड़ा गया था।
अर्जुन सिंह से जब पत्र लिखकर शिवराज ने मांगा था जवाब
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने फैसला आने के बाद अर्जुन सिंह को पत्र लिखकर जवाब भी मांगा था कि वे एंडरसन के भारत से जाने से जुड़ी तमाम घटनाओं पर स्पष्टीकरण दें। इसके बाद से ही उन्हें लगातार विपक्षी दलों के नेताओं के तीखे बयानों का सामना करना पड़ रहा था। हालांकि, इसके कई सवालों के जवाब आज तक नहीं मिले हैं।
अर्जुन सिंह ने कहा-एंडरसन को छोड़ने के लिए गृह मंत्रालय से आदेश
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह अपनी आत्मकथा ‘द ग्रेन ऑफ सैंड इन द हावरग्लास ऑफ़ टाइम’ में लिखते हैं कि राजीव गांधी पीडितों को राहत दिलाने के लिए बेहद चिंतित थे। उन्होंने कहा है कि मैंने भोपाल गैस कांड में वॉरेन एंडरसन को गिरफ्तार करने का लिखित निर्देश दिया था। उन्होंने कहा कि एंडरसन को जमानत देने के लिए उनके पास गृह मंत्रालय से फोन कॉल आए थे।
हिटलर ने इसी गैस से विरोधियों को मारने के लिए बनाए थे चैंबर
MIC गैस वही थी, जिसका इस्तेमाल द्वितीय विश्वयुद्ध में हुआ था। जिसका इस्तेमाल जर्मन तानाशाह हिटलर ने गैस चैंबरों में किया था। इन गैस चैंबरों का इस्तेमाल वह अपने दुश्मनों को मारने के लिए करता था। यह गैस जिनेवा कन्वेंशन तहत प्रतिबंधित थी। इसके बाद भी जब इंदिरा गांधी ने 1975 में देश में इमरजेंसी लगाई थी, उस वक्त इस जहरीली गैस का इस्तेमाल करने वाली यूनियन कार्बाइड को भोपाल में कारखाना खोलने की अनुमति दी गई थी।
बच्चे के लिए कोख ही बन गई कब्रगाह
जुलाई, 2023 में भोपाल गैस त्रासदी पर एक अध्ययन सामने आया, जिसे करीब 30 साल के रिसर्च के बाद छापा गया। यह अध्यनन 1985 से लेकर 2015 तक के त्रासदी से बचे 92,320 लोगों पर किया गया था। इसमें यह बताया गया कि इस त्रासदी ने कोख में पल रहे बच्चों को भी नहीं छोड़ा। जो लोग बच गए, उनमें से कई को कैंसर हो गया। बहुत को सांस लेने में दिक्कतें और आंखों की रोशनी चले जाने से विकार पैदा हो गए।