भोपाल
बुधवार को मोहन कैबिनेट की मीटिंग हुई थी। मीटिंग के दौरान उज्जैन में सिंहस्थ से पहले बेहतर कनेक्टिविटी के लिए सड़क निर्माण को मंजूर दी गई है। उज्जैन में सिंहस्थ से पहले तीन रोड प्रोजेक्ट के काम होने हैं, इस पर करीब 2312 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इन प्रोजेक्ट्स की मंजूर के दौरान कथित रूप से सरकार के दो कद्दावर मंत्रियों ने सीएम मोहन यादव से सवाल पूछ लिए। एक स्थानीय अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक नगरीय विकास मंत्री कैलाश विजवर्गीय ने सीएम मोहन यादव से पूछा कि अगर उज्जैन में ही 2312 करोड़ रुपए खर्च हो जाएंगे तो बाकी जगहों का होगा।
प्रह्लाद पटेल ने भी पूछा
स्थानीय अखबार की रिपोर्ट में यह भी दावा है कि सीएम मोहन यादव के सामने सीनियर मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने भी सवाल पूछा है। उन्होंने कहा कि उज्जैन की इन सड़कों पर इतनी लागत क्यों हैं। मंत्रियों के सवाल पर सीएम, मुख्य सचिव और अपर मुख्य सचिव ने जवाब दिया है। दो सीनियर मंत्रियों के सीएम के फैसले पर सवाल से कैबिनेट की मीटिंग में सभी लोग भौंचक्का रह गए।
इन सड़कों को मिली है मंजूरी
दरअसल, उज्जैन में 2028 में सिंहस्थ होना है। सिंहस्थ से पहले उज्जैन में तीन सड़क प्रोजेक्ट के काम होने हैं। इसमें एक उज्जैन सिंहस्थ बाईपास है। इसकी लंबाई 19.815 किमी है। इस फोर लेन सड़क की लागत 701 करोड़ 86 लाख है। इसके साथ ही इंदौर-उज्जैन ग्रीनफील्ड 4-लेन का निर्माण हो रहा है। इसकी लंबाई 48.05 किमी है। साथ ही लागत 1370 करोड़ 85 लाख है। तीसरी सड़क उज्जैन के इंगोरिया और देपालपुर के बीच बन रही है। यह टू लेन है। लंबाई 32.60 किमी है। इसकी लागत 239 करोड़ 38 लाख है। तीनों सड़क के निर्माण पर 2312 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
मंत्रियों ने पूछा क्या?
दरअसल, मीटिंग में कैलाश विजयवर्गीय ने पूछा कि मेरी इस पर आपत्ति है कि अभी सिंहस्थ में समय है। उज्जैन की सड़कों का निर्माण सिंहस्थ फंड से हो। शासन के फंड से क्यों इसका निर्माण करवाया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने जवाब देते हुए कहा कि सिंहस्थ के लिए 500 करोड़ रुपए का ही फंड है।कैलाश विजयवर्गीय ने इस पर कहा कि अगर ऐसा तो केंद्र से बात कर सिंहस्थ का बजट बढ़वाएंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि इतना पैसा उज्जैन को ही दे देंगे तो बाकी जगहों का क्या होगा।
सीएस ने दी समझाइश
मंत्रियों के सवाल पर मुख्य सचिव अनुराग जैन ने मोर्चा संभाला। उन्होंने सवाल को पर समझाइश दी है। सीएस ने कहा कि सड़क बनने में तीन-चार साल लगते हैं। बीओटी में हो तो फाइनेंशियल क्लियरेंस में ही समय लग जाता है। शासन सड़क बनाकर टोल लागू करेगा। साथ ही दोनों तरफ इंडस्ट्रियल टाउनशिप बनेंगे। लैंड पुलिंग से सरकार को पैसा मिलेगा। सीएम की बात पर सीएम ने भी सहमति जताई। इसके बाद मंत्री प्रहलाद पटेल ने भी सवाल पूछा कि इन सड़कों की लागत इतनी क्यों है। इस पर एसीएस ने कहा कि बड़ी सड़कें हैं तो जरूरी हैं।