मुंबई
मुंबई के ऐतिहासिक आजाद मैदान में कल महायुति सरकार का शपथ ग्रहण समारोह संपन्न हुआ। देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, जबकि एकनाथ शिंदे, अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इसके बाद विभागों के बंटवारे में किसे क्या मिलेगा? यह जानने की उत्सुकता है। 11 या 12 दिसंबर को कैबिनेट का विस्तार हो सकता है। इसका फोकस इस बात पर है कि बीजेपी अपने सहयोगियों को कितना स्थान और सम्मान देगी।
क्या है विभागों का गणित
एकनाथ शिंदे की कैबिनेट में बीजेपी के 10, शिवसेना और एनसीपी के 9-9 मंत्री थे। अब संभावना है कि नए मंत्रिमंडल में बीजेपी के 20 से 22 मंत्री होंगे। ऐसे में यह देखने की बात है कि शिवसेना और एनसीपी को कितने मंत्री पद मिलेंगे? मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद उपमुख्यमंत्री का पद संभालने वाले एकनाथ शिंदे गृह मंत्री पद के लिए अड़े हुए हैं। हालांकि उनको यह विभाग मिलने की संभावना बहुत कम नजर आ रही है।
पिछली सरकार में कैसा था हाल?
दरअसल जब शिंदे मुख्यमंत्री थे तब देवेंद्र फडणवीस उपमुख्यमंत्री थे। उस समय गृह मंत्री का पद फडणवीस ने अपने पास रखा था। अब जब फडणवीस मुख्यमंत्री बन गए हैं तो शिंदे गृह मंत्री का पद पाने की उम्मीद कर रहे हैं। वहीं शिवसेना इस बात पर जोर दे रही है कि गृह मंत्री का पद हमें मिले। शिंदे इस मामले में बहुत दृढ़ हैं। उन्हें गृह और शहरी विकास मंत्रालय भी चाहिए। लेकिन इन दोनों विभागों पर बीजेपी की नजर है। इसलिए इस बात की पूरी संभावना है कि दोनों विभाग बीजेपी के खाते में जाएंगे।
शिंदे का पसंदीदा विभाग क्या?
शहरी विकास मंत्रालय शिंदे का पसंदीदा विभाग है। 2019 से वह शहरी विकास के प्रभारी हैं। इस विभाग के जरिए उन्होंने सेना विधायकों को भारी फंड दिया। विद्रोह के दौरान उन्हें इसका लाभ मिला। वर्तमान में कई नगर पालिकाओं में प्रशासक हैं। चूंकि चुनाव निलंबित हैं। इसलिए नगर पालिकाओं की जिम्मेदारी प्रशासकों पर है। इसलिए शहरी विकास मंत्रालय महत्वपूर्ण हो जाता है। आने वाले समय में नगर निगम के चुनाव होने हैं। इसलिए शहरी विकास विभाग महत्वपूर्ण होगा।
अजित पवार-शिंदे को कौन सा महकमा
अजित पवार को फिर से वित्त मंत्री का पद मिलने की संभावना है। एकनाथ शिंदे को राजस्व मंत्रालय की पेशकश की गई है। बीजेपी ने शिंदे को साफ निर्देश दिया है कि तानाजी सावंत, अब्दुल सत्तार, संजय राठौड़ जैसे विवादित और भ्रष्टाचार के आरोपी नेताओं को कैबिनेट में नहीं होना चाहिए। बीजेपी के इस वर्चस्ववादी रवैये से शिवसेना नाखुश है।