क्या होता है नॉर्मलाइजेशन? पटना में इसके खिलाफ सड़कों पर हैं छात्र, पिछले महीने प्रयागराज में भी हुआ था बवाल

बिहार लोक सेवा आयोग की 70वीं संयुक्त सिविल सेवा परीक्षा में नॉर्मलाइजेशन के खिलाफ BPSC अभ्यार्थियों ने शुक्रवार को BPSC दफ्तर के बाहर प्रदर्शन किया। इस दौरान पुलिस ने छात्रों को खदेड़ने के लिए लाठीचार्ज किया। पुलिस की इस कार्रवाई में कुछ छात्रों को चोट भी लगी। छात्रों का कहना है कि पुलिस ने उनके ऊपर बेरहमी से लाठी-डंडे चलाए हैं, हमें दौड़ा-दौड़ा कर पीटा गया है। प्रदर्शन कर रहे छात्रों की एक ही मांग है कि 13 दिसंबर को होने वाली परीक्षा से नॉर्मलाइजेशन को हटाया जाए।

पिछले महीने प्रयागराज में हुआ था प्रदर्शन
बता दें कि पिछले एक महीने के अंदर नॉर्मलाइजेशन के खिलाफ छात्रों का यह दूसरा प्रदर्शन था। इससे पहले पिछले महीने भी प्रयागराज में छात्रों का ऐसा ही प्रदर्शन हुआ था और वो भी नॉर्मलाइजेशन के खिलाफ था। सिविल सेवा में नॉर्मलाइजेशन के खिलाफ हुए प्रदर्शनों के बाद हर किसी के मन में यह सवाल उठ रहा है कि आखिर यह नॉर्मलाइजेशन है क्या जिसके खिलाफ स्टूडेंट्स सड़कों पर उतरने को मजबूर हो जाते हैं।

क्या है नॉर्मलाइजेशन?
बात जब परीक्षा में नॉर्मलाइजेशन की होती है तो इसका सीधा मतलब है कि जब एक परीक्षा को एक से ज्यादा दिन और एक से ज्यादा शिफ्ट में आयोजित कराया जाता है तो तब कहते हैं कि उस परीक्षा का नॉर्मलाइजेशन किया गया है। जब कैंडिडेट्स की संख्या को देखते हुए परीक्षा दो शिफ्ट में या फिर एक से ज्यादा दिन में आयोजित कराई जाती है उसे नॉर्मलाइजेशन कहते हैं। इस दौरान हर एग्जाम में अलग-अलग क्वेश्चन पेपर के सेट होते हैं।

अगर पहली परीक्षा में कैंडिडेट्स के औसत नंबर कम आते हैं या अटैम्प भी कम रहा हो तो ऐसे पेपर मुश्किल माने जाते हैं। इसमें परीक्षार्थियों का औसत नंबर भी कम हो जाता है। अगर दूसरी शिफ्ट में कैंडिडेट्स के औसत नंबर ज्यादा आए या अटैंप्ट ज्यादा रहा हो तो ऐसे पेपर आसान माने जाते हैं। इसमें परीक्षार्थियों का औसत नंबर ज्यादा हो जाता है जबकि फाइनल रिजल्ट इनके औसत नंबर पर आएगा।

नॉर्मलाइजेशन को ऐसे समझें
बिहार लोक सेवा आयोग की परीक्षा 13 दिसंबर को आयोजित होनी है। अगर इस परीक्षा में अभ्यर्थियों का औसत नंबर 150 में से 110 आया। जबकि यही परीक्षा अगर किसी और दिन भी आयोजित होती है और उसमें बैठे अभ्यर्थियों का औसत नंबर 100 आया तो ऐसे में आयोग प्रश्न पत्र के कठिन और सामान्य का निर्धारण अभ्यर्थियों के औसत नंबर के आधार पर करता है। और दोनों दिनों की परीक्षा के आधार पर सभी छात्रों का नंबर नॉर्मलाइज करके 105 के आसपास कर दिया जाता है। ऐसे में जहां दूसरे दिन की परीक्षा दिए अभ्यर्थियों का कुछ नंबर बढ़ जाता है। जबकि पहले दिन परीक्षा दिए अभ्यर्थियों का नंबर घट जाता है। जिसको लेकर अभ्यर्थी विरोध कर रहे हैं।

इन एग्जाम में लागू है नॉर्मलाइजेशन
एक से अधिक शिफ्ट में परीक्षा कराने वाली संस्था अभ्यर्थियों का नंबर औसत करने के लिए नॉर्मलाइजेशन करती है। यूपी लोक सेवा आयोग से पहले कर्मचारी चयन आयोग (SSC), पुलिस भर्ती परीक्षा, रेलवे भर्ती बोर्ड, एनटीए समेत कई परीक्षाओं को एक से ज्यादा पालियों में कराया जाता है। जिसके बाद उनके अंकों को नॉर्मलाइजेशन किया जाता है। हालांकि यूपी लोक सेवा आयोग नॉर्मलाइजेशन को लेकर क्या नियम अपनाए गा ये अभी तय नहीं है। लेकिन सामान्य तौर पर इन्हीं नियमों को अपनाया जा सकता है।

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