नई दिल्ली
आपने कभी रेलगाड़ी में यात्रा की है तो आपने ऐसा नजारा जरूर देखा होगा। किसी लोकप्रिय ट्रेन में अधिकतर डिब्बे एसी वाले दिखते होंगे। उसके बाद स्लीपर क्लास के डिब्बे। जनरल डिब्बे एक या दो। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। रेलवे बोर्ड ने इस बारे में सख्ती बरती तो जोनल रेलवे ने इस पर काम शुरू कर दिया है। अब आपको सभी लोकप्रिय ट्रेनों में कम से कम चार जनरल डिब्बे जरूर दिखेंगे। ट्रेन में जनरल डिब्बे बढ़ाने के लिए एसी टू (AC 2) और एसी थ्री (AC 3) श्रेणी के डिब्बे काटे जा रहे हैं।
इस समय बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश जाने वाली कोई भी लोकप्रिय ट्रेन देख लें, सभी ट्रेनों में जनरल डिब्बे की हालत खराब है। इन डिब्बे में क्षमता से पांच गुना या इससे ज्यादा यात्री ढुंसे होते हैं। स्थिति इतनी खराब है कि शौचालय में पांच-छह व्यक्ति ढुंसे होते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इन ट्रेनों में जनरल डिब्बे कम कर दिए गए हैं। दरअसल, पिछले कुछ साल से रेलवे में जनरल डिब्बों का प्रोडक्शन ही घट गया था।
जनरल डिब्बों का बढ़ाया जा रहा है प्रोडक्शन
यह कुछ साल पहले की ही बात है। उस समय रेलवे बोर्ड का ध्यान एसी डिब्बों पर ज्यादा था। इसलिए रेलवे के प्रोडक्शन यूनिट में एसी डिब्बे ज्यादा बनाए जा रहे थे। जनरल डिब्बे कम बन रहे थे। लेकिन केंद्र में जब एक बार फिर से नरेंद्र मोदी सरकार का गठन हुआ तो रेलवे बोर्ड ने जनरल डिब्बों का प्रोडक्शन बढ़ाने का फैसला लिया।
नवंबर तक बन गए 1,000 जनरल कोच
रेलवे बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बीते नवंबर महीने तक ही देश भर में 1,000 नए जनरल कोच बनाए गए। अभी इन डिब्बों का निर्माण तेज गति से चल रहा है। उम्मीद है कि शीघ्र ही ऐसे 2,000 डिब्बे बन कर तैयार हो जाएंगे। रेलवे की योजना है कि सभी महत्वपूर्ण मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों में कम से कम
हर रेलगाड़ी में कम से कम 4 जनरल कोच
रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष सह मुख्य कार्यकारी अधिकारी सतीश कुमार ने बीते एक बड़ी घोषणा की थी। पत्रकारों से बातचीत में सतीश कुमार ने बताया था कि रेलवे ने प्रत्येक रेलगाड़ी में कम से कम 4 जीएस कोच (जनरल कोच) लगाने का फैसला लिया है। इसके लिए कम से कम 2,000 जनरल कोच तैयार किए जा रहे हैं।
स्लीपर डिब्बे भी बढ़ रहे हैं
रेलवे बोर्ड के अधिकारी का कहना है कि हर ट्रेन में कम से कम 4 डिब्बे तो जनरल होंगे ही, साथ ही स्लीपर क्लास के डिब्बे भी बढ़ाए जा रहे हैं। कोशिश की जा रही है कि हर अच्छे मेल और एक्सप्रेस ट्रेन में कम से कम 12 डिब्बे नॉन एसी हों। इनमें स्लीपर और जनरल कोच शामिल हैं।
काटे जा रहे हैं एसी डिब्बे
मध्य रेलवे, मुंबई के एक अधिकारी ने बताया कि उनके यहां 84 ट्रेनों में जनरल डिब्बे बढ़ाने के लिए एसी 2 टीयर का एक डिब्बा काट दिया गया है। इसी तरह नार्थ ईस्ट फ्रंटिरयर रेलवे के एक अधिकारी ने बताया कि एक लोकप्रिय ट्रेन में पहले 13 एसी डिब्बे हुआ करते थे। अब उनमें से एसी थ्री के दो डिब्बे और एसी थ्री इकॉनमी क्लास के दो डिब्बे हटा दिए गए हैं। उनकी जगह पर अब दो स्लीपर डिब्बे और दो जनरल डिब्बे जोड़ दिए गए हैं।
क्यों हटाना पड़ रहा है एसी कोच
दरअसल इस समय भारत में एलएचबी कोच (LHB Coach) वाली ट्रेन में अधिकतम 22 डिब्बे जोड़े जा रहो हैं। यदि ट्रेन में आईसीएफ कोच (ICF Coach) हो तो अधिकतम 24 डिब्बे जोड़े जाते हैं। इसलिए ट्रेन में यदि स्लीपर (Sleeper) या जनरल डिब्बे बढ़ाने हैं तो एसी डिब्बों को काटने की जरूरत पड़ती है। क्योंकि ट्रेन के आगे और पीछे लगने वाला गार्ड का डिब्बा तो काटा नहीं जा सकता।
स्लीपर और जनरल क्लास की ज्यादा डिमांड
आमतौर पर ट्रेन के एसी कोच में मध्यम वर्ग के यात्री सफर करते हैं। वहीं स्लीपर और जनरल क्लास में गरीब-गुरबे सफर करते हैं। आमतौर पर देखा जाता है कि लोकप्रिय ट्रेन के जनरल कोच में तिल धरने की जगह नहीं होती है। पैसेंजर ट्रेन के शौचालय तक में ढुंसे होते हैं। ऐसी हालत स्लीपर डिब्बे की तो नहीं होती है, लेकिन वहां भी यात्री आराम से यात्रा नहीं कर सकते हैं।