पटना
बिहार में ब्राह्मण वोटों पर तकरीबन सभी पार्टियों की नजर रहती है। खासकर वैसी बड़ी पार्टियां जो खुद को सत्ता के करीब जाना चाहती है। इसका नतीजा ये है कि सभी बड़ी पार्टियों ने अपने-अपने हिसाब से ब्राह्मण नेताओं को तरजीह देती रहीं हैं। आरजेडी, जेडीयू और बीजेपी ने ब्राह्मण नेताओं अपने पाले में रखा है। अब इस लिस्ट में खुद को निषादों का नेता होने का दावा करने वाले मुकेश सहनी शुमार होने वाले हैं। सन ऑफ मल्लाह नाम से चर्चित मुकेश सहनी ने मिथिलांचल के जानेमाने ब्राह्मण चेहरा संजीव मिश्रा पर दांव लगाया है। 7 दिसंबर 2024 को उनको पटना में विकासशील इंसान पार्टी जॉइन कराएंगे। इसके लिए पटना के कोने-कोने में पोस्टर लगाए गए हैं।
सवर्ण जातियों में सबसे अधिक ब्राह्मण
दरअसल, कास्ट सर्वे के मुताबिक बिहार की जनसंख्या 13 करोड़ 7 लाख है। जातीय गणना की रिपोर्ट में सवर्ण जातियों में सबसे अधिक संख्या ब्राह्मणों की है। 1931 की जातीय गणना रिपोर्ट की बात करें तो बिहार में ब्राह्मणों की संख्या 4.7 प्रतिशत, राजपूतों की आबादी 4. 2 प्रतिशत, कायस्थों की आबादी 1.2 प्रतिशत थी। जबकि, भूमिहार 2.9 प्रतिशत थे।
2023 के आंकड़ों के अनुसार भी सवर्णों में ब्राह्मण सबसे ज्यादा हैं। मगर, उनकी आबादी भी 1931 की तुलना में घटकर 3.65 प्रतिशत पर आ गई। राजपूतों की जनसंख्या भागीदारी घटकर 3.5 प्रतिशत हो गई है तो कायस्थ की आबादी घट कर 0.66 प्रतिशत रह गई। भूमिहार के प्रतिशत में थोड़ी गिरावट आई और उनका प्रतिशत 2.87 हो गया।
फिलहाल बीजेपी को ज्यादातर ब्राह्मण वोट
मगर, ये सच है कि बिहार के सवर्ण जातियों में ब्राह्मणों की तादाद 1931 में भी सबसे ज्यादा थी और 2023 के कास्ट सर्वे में भी सबसे ज्यादा है। ब्राह्मणों के बारे में कहा जाता है कि ये लॉयल वोटर होते हैं। एक बार जिसको वोट करना शुरू कर देते हैं, फिर उसे लंबे समय तक वोट करते रहते हैं। पहले इनका ज्यादातर वोट कांग्रेस पार्टी को मिलता था, मगर जब से कांग्रेस ने लालू यादव से टाय-अप किया, तबसे इनका एकमुश्त वोट बीजेपी या उसके सहयोगी पार्टियों को मिलने लगा।
2025 चुनाव पर मुकेस सहनी की नजर
अब, वीआईपी सुप्रीमो मुकेश सहनी को लग रहा है कि सिर्फ निषाद (मल्लाह) वोटरों की बदौलत सत्ता का स्वाद नहीं चखा जा सकता है। बिहार में निषाद (मल्लाह) वोटरों की आबादी 2.6 प्रतिशत है। मुकेश सहनी अपने लॉयल वोटरों की तादाद 5 फीसदी से ज्यादा करना चाहते हैं। लिहाजा, उन्होंने ब्राह्मण नेताओं पर दांव खेलना शुरू किया है। जिस तरह 5.3 फीसदी दुसाद (पासवान) वोट की बदौलत चिराग पासवान सत्ता का लुत्फ उठा रहे हैं, उसी तरह मुकेश पासवान भी 2025 बिहार विधानसभा चुनाव में बड़ी पार्टियों से बारगेनिंग के दौरान अपना पक्ष मजबूत करना चाहते हैं।