काठमांडू
नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने क्षेत्र के लोगों के साझा हितों और समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए रुकी हुई सार्क या दक्षेस प्रक्रिया को फिर से सक्रिय करने का रविवार को आह्वान किया। ओली ने दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) के 40वें ‘चार्टर डे’ के अवसर पर अपने संदेश में दक्षेस के सदस्य देशों की सरकारों और लोगों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं दीं। ओली के बयान के कुछ महीने पहले ही बांग्लादेश के सर्वेसर्वा बने मोहम्मद यूनुस ने भी सार्क को पुनर्जीवित करने का राग अलापा था। पाकिस्तान कई बार सार्क की बैठक का प्रस्ताव दे चुका है।
नेपाली विदेश मंत्रालय ने क्या बताया
विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, ओली ने सदस्य देशों के बीच आपसी विश्वास, समझ और सहयोग को बढ़ावा देने में दक्षेस की प्रमुख भूमिका को रेखांकित भी किया और एक शांतिपूर्ण, समृद्ध और एकीकृत दक्षिण एशिया के निर्माण के लिए दक्षेस के वर्तमान अध्यक्ष नेपाल की इसके चार्टर के प्रति दृढ़ प्रतिबद्धता व्यक्त की। जलवायु परिवर्तन और अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराधों सहित सामाजिक-आर्थिक और पर्यावरणीय चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए ओली ने क्षेत्र में लोगों के साझा हित और समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए दक्षेस प्रक्रिया को पुन: सक्रिय करने का आह्वान किया।
2016 से प्रभावी नहीं है सार्क
वर्ष 2016 के बाद से सार्क बहुत प्रभावी नहीं रहा है क्योंकि 2014 में काठमांडू में आखिरी शिखर सम्मेलन के बाद से इसका द्विवार्षिक शिखर सम्मेलन नहीं हुआ है। वर्ष 2016 का दक्षेस शिखर सम्मेलन इस्लामाबाद में होना था लेकिन उस वर्ष 18 सितंबर को जम्मू कश्मीर के उरी में भारतीय सेना के शिविर पर आतंकवादी हमले के बाद, भारत ने ”उत्पन्न परिस्थितियों” के कारण शिखर सम्मेलन में भाग लेने में असमर्थता व्यक्त की। बांग्लादेश, भूटान और अफगानिस्तान द्वारा भी इस्लामाबाद की बैठक में भाग लेने से इनकार करने के बाद शिखर सम्मेलन रद्द कर दिया गया था।
सार्क के बारे में जानें
सार्क या दक्षेस शिखर सम्मेलन आमतौर पर द्विवार्षिक रूप से आयोजित किए जाते हैं और सदस्य देशों द्वारा वर्णमाला क्रम में आयोजित किए जाते हैं। विदेश मंत्री ए. राणा देउबा ने इस विशेष अवसर पर एक अलग संदेश में दक्षेस देशों की सरकारों और लोगों को शुभकामनाएं दीं। सार्क भारतीय उपमहाद्वीप के आठ देशों का आर्थिक और राजनीतिक संगठन है। संगठन के सदस्य देशों की जनसंख्या (लगभग 1.7 अरब) को देखा जाए तो यह किसी भी क्षेत्रीय संगठन की तुलना में अधिक प्रभावशाली है। इसकी स्थापना 8 दिसम्बर 1984 को भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, मालदीव और भूटान द्वारा मिलकर की गई थी। अप्रैल 2007 में संघ के 14वें शिखर सम्मेलन में अफगानिस्तान इसका आठवां सदस्य बन गया।