किशनगंज
‘मुसलमान राह चलते परेशानी महसूस करते हैं। उन्हें कदम-कदम पर नफरत का सामना करना पड़ रहा है।’ जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने किशनगंज में रविवार को कहा। उन्होंने कहा कहा कि किसी भी सभ्य समाज के लिए इंसाफ सबसे जरूरी है। सड़कें बनाई जाएं और देश के विकास की पहल की जाए, लेकिन अगर इंसानों के बीच जाति और धर्म के आधार पर भेदभाव जारी रहा, तो यह देश के साथ सबसे बड़ा विश्वासघात होगा। किशनगंज के लहरा चौक पर आयोजित जमीयत उलेमा-ए-हिंद के इजलास-ए-आम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में कुछ ऐसे फैसले किए गए, जो हम अपने समाज में, विरादरी में नाफिज कर सके। यह सवाल कैफियत की है।
‘कदम-कदम पर नफरत का सामना करना पड़ रहा’
उन्होंने कहा कि हम लोगों ने खुद को अंदरूनी तौर पर कमजोर कर लिया है। अफसोस की बात है कि एक खास तबके की जबरदस्ती के बाद दूसरे तबके को हाशिए पर धकेलने की कोशिश की जा रही है। ऐसा कार्य सरकार की सरपरस्ती में किया जा रहा है। यह हालत इस स्थिति तक पहुंच गए हैं कि मुसलमान राह चलते परेशानी महसूस करते हैं। उन्हें कदम-कदम पर नफरत का सामना करना पड़ रहा है। राजनीतिक लाभ के लिए देश के सौहार्द को बिगाड़ने की हर मुमकिन कोशिश की जा रही है, जो नहीं होना चाहिए।
‘सभी मुल्कों से अपील करेंगे कि अल्पसंख्यकों की सुरक्षा करें’
उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि वो बांग्लादेश ही नहीं सभी मुल्कों से यह अपील करेंगे कि अपने यहां रहने वाले अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और उनका सम्मान करें। कार्यक्रम में संभल में हुई हिंसा और वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर उलेमाओं ने आक्रोश व्यक्त किया और केंद्र सरकार से ऐसे मामलों पर तुरंत रोक लगाने की मांग की। कार्यक्रम की अध्यक्षता जमीयत उलेमा किशनगंज के अध्यक्ष मौलाना गयासुद्दीन ने की, जबकि संचालन सचिव मौलाना खालिद अनवर ने किया।
किशनगंज में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के इजलास-ए-आम
इस अवसर पर जमीयत उलेमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी, मौलाना मुफ्ती मोहम्मद अफ्फान मंसूरपुरी, जमीयत उलेमा बिहार के अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती जावेद इकबाल, मौलाना मुफ्ती इफ्तिखार कासमी समेत देश की कई महत्वपूर्ण हस्तियां उपस्थित थी। इन लोगों ने किशनगंज से राष्ट्रीय एकता और सभी धर्मों के बीच भाईचारे का संदेश दिया।