बगावत के 10 महीने बाद भी ‘सेफ’ सपा के 7 विधायक, एक्‍शन के लिए अखिलेश को अब तक नहीं मिले सबूत?

लखनऊ

इस साल लोकसभा चुनाव के ठीक पहले हुए राज्यसभा चुनाव में पार्टी की जमीन खिसकाने वाले बागी विधायकों पर सपा मेहरबान है। क्रॉस वोटिंग करने से लेकर लोकसभा चुनाव तक में सपा के खिलाफ खुलकर प्रचार करने वाले विधायकों के खिलाफ पार्टी ने अब तक कार्रवाई के लिए कोई कदम नहीं उठाया है। न तो वे आधिकारिक तौर पर पार्टी से निकाले गए हैं और न ही उनकी सदस्यता समाप्त करने के लिए विधानसभा में ही कोई याचिका दायर की गई है। फिलहाल, पार्टी का तर्क है कि सदस्यता समाप्त करने के लिए पुख्ता सबूत जुटाए जा रहे हैं।

यूपी में 27 फरवरी को राज्यसभा की 10 सीटों के लिए चुनाव हुए थे। इसमें सपा के 7 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग करते हुए भाजपा उम्मीदवार संजय सेठ के पक्ष में मतदान किया था। क्रॉस वोटिंग करने वालों में ऊंचाहार से विधायक मनोज पांडेय, गोसाईगंज से विधायक अभय सिंह, गौरीगंज से विधायक राकेश प्रताप सिंह, कालपी के विधायक विनोद चतुर्वेदी, चायल से विधायक पूजा पाल, जलालाबाद से विधायक राकेश पांडेय और बिसौली से विधायक आशुतोष मौर्य शामिल हैं। वहीं, पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति की पत्नी एवं अमेठी से विधायक महाराजी देवी मतदान के दौर अनुपस्थित रही थी। इस बगावत का असर यह रहा कि भाजपा उम्मीदवार को जीत मिली और सपा के अधिकृत उम्मीदवार आलोक रंजन को हार का सामना करना पड़ा था।

जल्द कार्रवाई के दावों के बीच सुस्ती
लोकसभा चुनाव में मिली शानदार जीत के बाद सपा ने बागियों पर भी तेवर तीखे किए थे। मुख्य सचेतक रहे मनोज पांडेय सहित कुछ चेहरे खास निशाने पर थे। सपा मुखिया अखिलेश यादव ने जल्द कार्रवाई की प्रक्रिया आगे बढ़ाने के संकेत भी दिए थे। लेकिन, इसके बाद मामला ठंडा पड़ा है। इसके बाद विधानमंडल का मानसून सत्र भी हो चुका है और 16 दिसंबर से शीतकालीन सत्र भी है।

सपा के सूत्रों का कहना है कि महज क्रॉस वोटिंग ही सदस्यता खत्म करने का आधार नहीं बन सकती जब तक सदस्यों ने सदन के भीतर पार्टी व्हिप का उल्लंघन न किया हो। राज्यसभा चुनाव को चुनाव आयोग आयोजित करता है और सदस्य को वोटिंग के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है। वहीं, पार्टी से बाहर इसलिए नहीं निकाला जा रहा है क्योंकि इससे बागी विधायकों को दल-बदल कानून के दायरे से बाहर निकलने का एक आधार मिल जाएगा।

उपचुनाव में भी बागी कर रहे थे विरोध में प्रचार
सपा जिन विधायकों के खिलाफ कार्रवाई चाहती है उसके लिए वह लोकसभा चुनाव सहित अन्य राजनीतिक गतविधियों में उनकी भूमिका को आधार बनाएगी। बागी विधायक भाजपा के राजनीतिक मंचों पर नजर आए थे। हालिया उपचुनाव में भी कुछ विधायकों ने खुलकर प्रचार किया था। हालांकि, यह भी कहा जा रहा है कि कुछ विधायकों को लेकर सपा मुखिया का रुख नरम है। इसमें अमेठी की विधायक भी शामिल हैं।

अखिलेश यादव ही फैसला करेंगे: माता प्रसाद पांडेय
सूत्रों का कहना है कि कार्रवाई के लिए फाइल तैयार की गई थी, लेकिन अब तक इसे आगे नहीं बढ़ाया जा सका है। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय कहते हैं कि राष्ट्रीय अध्यक्ष ही इस पर फैसला लेंगे। वहीं, मुख्य सचेतक कमाल अख्तर का कहना है कि पार्टी साक्ष्य जुटा रही है जिससे याचिका को तकनीक आधार बनाकर प्रभावित न किया जा सके। जल्द ही इस दिशा में कदम बढ़ाया जाएगा।

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