हैवानियत वाला जश्न, मनबढ़ों ने बच्चे के पिता का गला नहीं काटा, इंसानियत की हत्या की है

भोपाल

मनोज चौरे… चार दिन पहले ही उसकी घर में खुशी आई थी। मासूम की किलकारियों से पूर घर गूंज रहा था। लेकिन बाहरी शोर चार दिन के बच्चे को परेशान कर रहा था। यह उसके पिता से यह सहा नहीं गया और रात डेढ़ बजे के घर के पास तेज म्यूजिक में चिकन पार्टी कर रहे मनबढ़ों को मना करने गया। उसे पता नहीं था कि यह रात उसकी जिंदगी की आखिरी रात बन जाएगी। जश्न मना रहे लोग के पास अपने बच्चे को घर में रोता छोड़कर मनोज गया तो वह हैवान बन गए। चिकन पार्टी हैवानियत वाला जश्न बन गया।

रात डेढ़ बजे बेखौफ होकर जश्न मना रहे तीन मनबढ़ों के सिर पर हैवानियत का भूत चढ़ गया। स्पीकर की आवाज कम करवाने पहुंचे पिता के ऊपर तीनों टूट पड़े। दो ने उनका हाथ पकड़ लिया और एक चाकू से गला रेत दिया। पिता गुनाह सिर्फ इतना था कि वह मनबढ़ों से कहने गया कि तेज म्यूजिक की वजह से बच्चा सो नहीं पा रहा है, आवाज थोड़ी कम कर लो।

झूठी शान में रेत दिया गला
मनबढ़े आठ महीने पहले अयोध्या नगर के 84 एकड़ झुग्गी बस्ती में रहने आए थे। आए दिन देर रात तक पार्टी करते थे लेकिन कभी किसी ने विरोध नहीं किया। न प्रशासन को इसकी खबर लगी। इसकी वजह से उनका मन बढ़ता गया लेकिन इस चक्कर में एक बेकसूर की जान चली गई है। शोर कम करने के लिए मना करना उन्हें नगावार गुजरा।

चार दिन पहले ही हुआ था बेटा जन्म
चार दिन पहले ही घर में जिगर का टुकड़ा आया था। अभी उसे जी भरकर दुलार भी नहीं किया था। उससे पहले आरोपियों ने घर की खुशियां छीन ली। चार दिन के बच्चे का प्यार छीन लिया। बढ़ती उम्र के साथ जब उसे होश आएगा तो पापा किसे बुलाएगा। घर की जिम्मेदारियों का बोझ कौन उठाएगा। इन मनबढ़ों ने एक पिता की नहीं इंसानियत की हत्या की है।

मनोज की शादी महज तीन साल पहले हुई थी। पहले से एक बच्चा है। दूसरी बार उसकी पत्नी चार दिन पहले मां बनी थी। उससे पहले ही हंसता खेलता पूरा परिवार उजड़ गया है। परिवार और मोहल्ले के सामने अब सवाल यह है कि हैवानों की पार्टी पहले रोकी क्यों नहीं गई। नियम कानून का सख्ती से पालन करवाया जाता तो आज यह नौबत नहीं आती।

सिर्फ होती हैं बड़ी बातें
स्पीकर और लाउडस्पीकर की आवाज को लेकर कई नियम बने हैं। किसी पार्टी फंक्शन में रात 10 बजे के बाद तेज आवाज में आप म्यूजिक नहीं बजा सकते हैं। इससे आसपास के लोगों को परेशानी होती है। यहां तो रात के डेढ़ बजे तक बज रहे थे लेकिन स्थानीय पुलिस और प्रशासन को खबर नहीं मिली। घटनाएं घटती हैं तो दिखावे के लिए एक-दो लोगों पर कार्रवाई हो जाती है। अयोध्या नगर की घटना पर भी प्रशासन पुरानी बातों को दोहरा रही है लेकिन जिस चार दिन के बच्चे के सिर से पिता की साया उठ गया, उसकी भरपाई कौन करेगा।

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