नई दिल्ली
बांग्लादेश की चटगांव की एक अदालत ने जेल में बंद हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास के लिए राहत की याचिका को खारिज कर दिया. चटगांव मेट्रोपोलिटन सत्र जज सैफुल इस्लाम ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के वकील द्वारा दायर जमानत याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि उनके पास चिन्मय की ओर से पेश होने का पावर ऑफ अटॉर्नी नहीं था.
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के वकील रवींद्र घोष एक हफ्ते बाद चिन्मय दास के लिए कानूनी मदद लेने गए थे. बता दें कि कोई भी वकील चटगांव अदालत में चिन्मय की ओर से केस लड़ने को तैयार नहीं था क्योंकि इस्लामी कट्टरपंथियों ने वकीलों को ‘सार्वजनिक रूप से पीटने’ की धमकी दी थी.
वकील पर हुआ हमला
रवींद्र घोष ने कहा कि जब वे बुधवार को याचिका दाखिल करने गए तो उन्हें अदालत के बाहर परेशान किया और हमला किया गया. बुधवार को सुनवाई के दौरान सैकड़ों वकील भी कोर्ट रूम में जमा हो गए, जिससे अफरा-तफरी मच गई.पिछली जमानत सुनवाई 3 दिसंबर को हुई थी, जब दास का कोई वकील मौजूद नहीं था, क्योंकि उनके वकील रामेन रॉय अस्पताल के आईसीयू में थे, जहां वे हमले में घायल हो गए थे.
25 नवंबर को हुई थी गिरफ्तारी
चिन्मय कृष्ण दास को 25 नवंबर को ढाका पुलिस के डिटेक्टिव ब्रांच ने राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया था. इंडिया टुडे से एक इंटरव्यू में दास ने कहा था कि यह राजद्रोह का मामला इसलिए लगाया गया है क्योंकि वह हिंदुओं को लेकर आवाज उठा रहे थे.
वकील घोष ने चटगांव अदालत में दास की जमानत के लिए आवेदन किया था. उन्होंने तर्क दिया कि दास को एक झूठे मामले में गिरफ्तार किया गया है. घोष ने यह भी कहा कि दास मधुमेह, अस्थमा और अन्य समस्याओं से पीड़ित हैं.
रवींद्र घोष ने यह भी आरोप लगाया कि एक समूह के वकीलों ने उन्हें परेशान किया और अदालत के बाहर हमला किया. उन्होंने कहा, ‘मुझे लगभग 40 लोगों ने परेशान किया और हमला किया. मुझे संदेह है कि वे वकील नहीं थे, बल्कि बाहरी लोग थे जिन्होंने मुझे कोर्ट में चिन्मय का बचाव करने के लिए धमकाया.’