नई दिल्ली
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) बीते कुछ समय से लगातार चर्चा में है। किसान आंदोलन के बीच बार-बार इस तरह की अटकलें लगाई जाती रही हैं कि योजना के तहत सरकार सालाना राशि को बढ़ा सकती है। हालांकि, सरकार ने इस तरह की अटकलों पर विराम लगाने की कोशिश की है। सरकार ने संसद में बताया है कि पीएम-किसान योजना के तहत 6,000 रुपये की सालाना राशि बढ़ाने का फिलहाल कोई प्रस्ताव नहीं है। यह योजना फरवरी 2019 में शुरू हुई थी। इसमें किसानों को सीधे उनके बैंक खाते में 6,000 रुपये सालाना दिए जाते हैं। यह पैसा 2,000 रुपये की तीन किस्तों में मिलता है।
कृषि राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने लोकसभा में लिखित जवाब में कहा है, ‘पीएम-किसान के तहत लाभ राशि बढ़ाने का फिलहाल कोई प्रस्ताव नहीं है।’ उन्होंने बताया कि सरकार अब तक 18 किस्तों में 3.46 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा किसानों के खातों में डाल चुकी है। किसानों के लिए एक डिजिटल सिस्टम बनाया गया है। इससे बिचौलियों के बिना सभी किसानों को सीधे लाभ मिल रहा है।
क्या है पीएम-किसान योजना का मकसद?
पीएम-किसान योजना किसानों की आय बढ़ाने में मदद करती है। यह योजना छोटे और सीमांत किसानों के लिए है। इसके जरिये उन्हें खेती के खर्चों में मदद मिलती है। सरकार सीधे उनके खाते में पैसा भेजती है। इससे उन्हें बिचौलियों से निपटने की जरूरत नहीं पड़ती। यह योजना पारदर्शी और कुशल है। अब तक करोड़ों किसानों को इस योजना का लाभ मिल चुका है। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिली है।
किस तरह की लगाई जा रही थीं अटकलें?
मीडिया की कुछ रिपोर्टों में इस तरह की अटकलें जताई जा रही थीं कि केंद्रीय बजट 2025 में पीएम-किसान योजना के तहत मिलने वाली राशि में बढ़ोतरी की उम्मीद है। किसानों को फिलहाल 6,000 रुपये सालाना मिलते हैं, जिसे बढ़ाकर 8,000 रुपये किया जा सकता है। यह बढ़ोतरी छोटे और सीमांत किसानों के लिए बड़ी राहत होगी। मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का यह पहला पूर्ण बजट होगा। इसलिए किसानों की उम्मीदें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से काफी ज्यादा हैं।
पीएम-किसान योजना केंद्रीय सेक्टर योजना है। इसके क्रियान्वयन की जिम्मेदारी कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के पास है। यह योजना 1 दिसंबर 2018 से लागू है। इस योजना के तहत छोटे और सीमांत किसानों को लाभ मिलता है। लाभ हस्तांतरण ऑनलाइन माध्यम से किया जाता है।