नई दिल्ली,
सीरिया में दशकों से चले आ रहे असद परिवार के शासन का अंत हो गया है. रविवार को इस्लामिक विद्रोही समूहों ने बशर अल-असद का तख्तापलट कर दिया जिसके बाद उन्हें परिवार समेत रूस भागने को मजबूर होना पड़ा. असद की सत्ता गिरने को सऊदी अरब में भारत के पूर्व राजदूत तलमीज अहमद ने इजरायल, तुर्की और अमेरिका की साजिश करार दिया है.
तलमीज अहमद ने एक इंटरव्यू में कहा, ‘अभी तक ऐसी कोई पुख्ता खबर नहीं है लेकिन मेरा मानना है कि यह इजरायल, तुर्की और अमेरिका की मिली-जुली साजिश है. इन सभी देशों के असद को सत्ता से हटाने के अपने-अपने कारण थे. तुर्की असद शासन पर कड़ी नजर बनाए हुए था और उत्तरी सीरिया में कुर्दों पर नजर रखने के लिए सैन्य ताकत भी लगा रखी थी. इजरायल सीरिया से ईरान को हटाना चाहता था. अमेरिका इसे ईरान को भू-राजनीतिक रूप से अलग-थलग करने की कोशिश के रूप में देख रहा था और रूस को सीरिया के तार्तूस बंदरगाह से हटाना चाहता था.’
‘द वायर’ को दिए एक इंटरव्यू में तलमीज अहमद ने कहा कि सीरिया की सेना ने विद्रोही गुटों के सामने हथियार डाल दिए क्योंकि सेना ने समझ लिया था कि अब हथियार डालने का समय आ गया है, यह लड़ने का समय नहीं है.
पूर्व राजदूत ने इराक का उदाहरण देते हुए कहा, ‘आपको याद होगा कि इराक में भी कुछ ऐसा ही हुआ था जब आईएसआईएस के तत्व मूसल शहर में पहुंचे तब 20 हजार इराकी सैनिक अचानक से गायब हो गए. मुझे लगता है कि जब सैनिक देखते हैं कि अपनी जान गंवाने का कोई मतलब नहीं है क्योंकि वो हार जाएंगे. मुझे यकीन है कि इजरायल और अमेरिका ने सीरियाई सैनिकों को पहले ही चेता दिया होगा कि अगर उन्होंने लड़ने की कोशिश की तो हवाई हमले में मारे जाएंगे जैसा कि इराक में हुआ था.’
असद ने नहीं मानी डील और हो गया तख्तापलट!
तलमीज अहमद ने दावा किया कि उन्हें पूरा यकीन है, असद की सत्ता गिरने के पीछे अमेरिका, इजरायल और तुर्की का ही हाथ है.उन्होंने कहा, ‘कुछ दिनों पहले खबर आई थी कि यूएई से यह कहा जा रहा है कि वो असद को यह संदेश पहुंचाएं कि अगर वो ईरान के साथ अपने संबंध खत्म कर लेते हैं तो उनके पुनर्वास की व्यवस्था कर दी जाएगी. लेकिन असद ने ये बात नहीं मानी. मेरा मानना है कि असद का तख्तापलट बेहद अच्छी प्लानिंग के साथ इजरायल, तुर्की और अमेरिका ने अपने फायदे के लिए किया.’
असद की सत्ता गिरना भारत के लिए कितनी चिंता की बात?
सीरिया में बशर अल-असद की सत्ता का गिरना भारत के लिए भी चिंता का विषय हो सकता है. असद के पतन की वजह से सीरिया में चरमपंथी समूहों का फिर से उभार हो सकता है जो मध्य-पूर्व के साथ-साथ भारत को भी प्रभावित कर सकता है. HTS नेता अल-जोलानी आईएसआईएस की पृष्ठभूमि से आते हैं और ऐसे में अगर सीरियाई नेतृत्व में शून्यता के कारण चरमपंथी समूह फिर से सक्रिय होते हैं तो आईएसआईएस जैसे आतंकी समूह भारत के लिए चुनौती पेश कर सकते हैं.
तलमीज अहमद कहते हैं, ‘सीरिया में लंबे समय तक राजनीतिक अस्थिरता कायम रह सकती है. फिलहाल के लिए तो भारत के हित प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित नहीं हुए हैं, इजरायल के साथ भी हमारे संबंध ठीक ही हैं. लेकिन भारत को जिस बात को लेकर फिक्रमंद होना चाहिए, वो ईरान का मसला है. इजरायल अमेरिका के साथ मिलकर ईरान पर हमला करना चाहता है और अगर ऐसा होता है तो क्षेत्र एक लंबे संघर्ष में फंस जाएगा जिसका भारत पर भी असर होगा.’
पूर्व राजदूत ने कहा कि भारत को इजरायल से इस संबंध में राजनयिक पहल करनी चाहिए कि वो ईरान पर हमला न करे. उन्होंने कहा कि भारत को अपने फायदे के लिए इजरायल को ईरान पर हमला कर संघर्ष बढ़ाने से रोकना चाहिए. सीरिया के वर्तमान हालात पर विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर शांति कायम करने का आह्वान किया है. विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा, ‘हम सीरिया में चल रहे घटनाक्रमों के मद्देनजर वहां की स्थिति पर नजर रख रहे हैं. हम सभी पक्षों से सीरिया की एकता, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखने की दिशा में काम करने का आग्रह करते हैं.’