- भ्रष्टाचार के मामले में भारत 180 देशों में से 93वें नंबर पर है
नई दिल्ली
लोकसभा में आज संविधान पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को विकसित बनाने के लिए 11 संकल्प का रोडमैप दिया। उन्होंने कहा कि देश भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस होनी चाहिए और भ्रष्टाचारी की सामाजिक स्वीकार्यता नहीं मिलनी चाहिए। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की 2023 की रिपोर्ट के मुताबिक भारत 180 देशों में से 93वें नंबर पर है। भ्रष्टाचार पर लगाम कसने के सरकारी दावों के बावजूद लोगों और कंपनियों को अपना काम निकलवाने के लिए अधिकारियों को रिश्वत देनी पड़ती है। हाल में आई एक रिपोर्ट में देशभर के 159 जिलों में लगभग 66% व्यापारिक कंपनियों ने स्वीकार किया है कि उन्होंने पिछले 12 महीनों में रिश्वत दी है।
ऑनलाइन मंच लोकलक्रिकल्स की यह रिपोर्ट एक सर्वे के आधार पर तैयार की गई थी। सर्वे में 18,000 प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुईं। इसके मुताबिक 54% ने कहा कि उन्हें रिश्वत देने के लिए मजबूर किया गया जबकि 46% ने काम की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए स्वेच्छा से रिश्वत दी। सरकारी विभागों से परमिट लेने या अनुपालन प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए रिश्वत देना आम बात है। यह रिश्वत एक तरह की जबरन वसूली है। अगर आप रिश्वत नहीं देते हैं तो आपका काम रोक लिया जाता है। कई स्थानों पर कम्प्यूटरीकरण तथा सीसीटीवी के बावजूद चोरी-छिपे रिश्वत का खेल बदस्तूर जारी है।
देश में भ्रष्टाचार
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 2023 में भ्रष्टाचार बढ़ा है। करप्शन परसेप्शन इंडेक्स में भारत 2023 में 93वें स्थान पर आ गया जबकि एक साल पहले 2022 में वह 85वें स्थान पर था। इस इंडेक्स के लिए एक्सपर्ट्स हर देश के पब्लिक सेक्टर में भ्रष्टाचार का आकलन करते हैं। 2006-07 में करप्शन के मामले में भारत की रैंकिंग सुधरी थी। उस दौरान भारत 70वें और 72वें स्थान पर था। लेकिन UPA सरकार के अंतिम साल यानी 2013 में भारत इस लिस्ट में 94वें स्थान पर लुढ़क गया था। हालांकि NDA के कार्यकाल में 2015 में भारत की वर्ल्ड रैंकिंग में 76वें पर आ गई थी।
भ्रष्टाचार भारत की प्रगति में बड़ी बाधा बना हुआ है। यह संस्थानों को कमजोर बनाता है क्योंकि लोगों का उन पर भरोसा कम हो जाता है। यह स्थिति सामाजिक-आर्थिक विकास में बाधा उत्पन्न करती है। देश में भ्रष्टाचार की स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने एक बार कहा था कि दिल्ली से एक रुपया निकलता है और लोगों के पास 15 पैसा पहुंचता है। आजादी के बाद से देश ने भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में काफी प्रगति हासिल की है। लेकिन इसके समूल विनाश के लिए अभी इसमें लंबी लड़ाई लड़ने की जरूरत है।