महिलाओं के शरीर में कुछ तकलीफें ऐसी होती हैं जिनके बारे में बात करने से वो शर्म महसूस करती हैं। इनमें से एक समस्या वजाइनल ड्राइनेस है। वजाइनल ड्राइनेस वो स्थिति है जब योनि में नमी की कमी हो जाती है। इससे योनि में खुजली, पेशाब करते समय जलन, फिजिकल रिलेशन के दौरान दर्द और वजाइनल इंफेक्शन होने की संभावना बढ़ जाती है।
40 की उम्र के बाद यानी मेनोपॉज के दौरान वजाइनल ड्राइनेस की समस्या बढ़ जाती है। मेनोपॉज के बाद वजाइनल ड्राइनेस की समस्या क्यों होती है और इससे बचने के लिए क्या करें, इसके बारे में बता रही हैं गुरुग्राम के मदरहुड हॉस्पिटल की ओब्स्टेट्रिशियन और गायनेकोलॉजिस्ट डॉ सोनल सिंघल।
40 के बाद क्यों होती है वजाइनल ड्राइनेस?
उम्र बढ़ने के साथ महिलाओं का शरीर बदलने लगता है। आमतौर पर महिलाओं का मेनोपॉज 50 की उम्र के आसपास होता है। लेकिन इसकी प्रक्रिया 5-6 साल पहले शुरू हो जाती है। इस स्टेज को पेरीमेनोपॉज कहते हैं।
पेरीमेनोपॉज फेज में महिलाओं के शरीर में बदलाव होना शुरू हो जाता है। मोटापा बढ़ने लगता है, स्किन ड्राई होने लगती है, चेहरे पर झुर्रियां नजर आने लगती हैं। नींद कम हो जाती है, मूड स्विंग, हॉट फ्लैश जैसी समस्याएं शुरू हो जाती हैं। ऐसा शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन की कमी के कारण होता है। जब शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन की कमी होने लगती है तो वाजाइना में ड्राइनेस बढ़ने लगती है। वजाइनल ड्राइनेस के कारण योनि में में जलन, खुजली और फिजिकल रिलेशन के दौरान दर्द होता है।
दवाइयों से भी होती है वजाइनल ड्राइनेस
कई महिलाओं को एलर्जी, सर्दी-जुकाम, अस्थमा, डिप्रेशन आदि की दवाइयां लेने से वजाइनल ड्राइनेस की समस्या होने लगती है। कुछ महिलाओं को गर्भनिरोधक गोलियों के सेवन से भी वजाइनल ड्राइनेस की तकलीफ होने लगती है। जो महिलाएं सिगरेट पीती हैं वो भी वजाइनल ड्राइनेस की समस्या से परेशान रहती हैं। ऐसी स्थिति में अपनी तकलीफ डॉक्टर को बताएं ताकि आपको समस्या का सही समाधान मिल सके।
वजाइनल ड्राइनेस के अन्य कारण भी हो सकते हैं। संबंध बनाने के दौरान अगर महिला को वजाइनल ड्राइनेस की समस्या होती है तो उसे बहुत दर्द होता है। आमतौर पर ऐसा तब होता है जब महिला संबंध बनाने के लिए मानसिक रूप से तैयार नहीं होती। अगर महिला को अपना पार्टनर पसंद नहीं या किसी वजह से उनके रिश्ते में मनमुटाव है तो भी संबंध बनाते समय महिला को वजाइनल ड्राइनेस की समस्या होती है।
40 की उम्र के बाद अगर किसी महिला को बार बार वजाइनल इंफेक्शन हो रहा है तो ये डायबिटीज का संकेत भी हो सकता है। वजाइनल इंफेक्शन में ब्लड टेस्ट कराएं। इससे आपको स्पष्ट हो जाएगा कि कहीं ये डायबिटीज का संकेत तो नहीं।
वजाइनल ड्राइनेस का फिजिकल रिलेशन पर असर
40 की उम्र के बाद कई महिलाओं को बार बार वजाइनल इंफेक्शन होने लगता है। ऐसा एस्ट्रोजन हार्मोन की कमी के कारण होता है। इसकी कमी से वजाइना के हेल्दी बैक्टीरिया लैक्टोबैसिलस कम होने लगते हैं और इंफेक्शन होने का रिस्क बढ़ जाता है।
वजाइनल ड्राइनेस के कारण संबंध बनाते समय महिला को दर्द होता है। एस्ट्रोजन हार्मोन वजाइना में नमी बनाए रखता है और इंफेक्शन होने से भी बचाता है। वजाइनल ड्राइनेस की समस्या में संबंध बनाते समय होने वाले दर्द से बचने के लिए महिलाएं लुब्रिकेंट का इस्तेमाल कर सकती हैं।
ओवरी रिमूवल का वजाइनल ड्राइनेस से संबंध
जिन महिलाओं का अंडाशय और गर्भाशय 40 की उम्र से पहले निकाल दिया जाता है उन्हें समय से पहले मेनोपॉज हो जाता है। समय से पहले ओवरी निकालने के कारण पीरियड्स होने की प्रक्रिया बंद हो जाती है। इसे सर्जिकल मेनोपॉज कहते हैं। ऐसी महिलाओं को वजाइनल ड्राइनेस की तकलीफ होने लगती है। ऐसी महिलाओं को एचआरटी (हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी) लेने की सलाह दी जाती है।
वजाइनल ड्राइनेस से बचने के लिए क्या करें?
वजाइनल ड्राइनेस से बचने के लिए योनि की सफाई पर विशेष ध्यान रखें। इसके लिए नहाते समय और सोने से पहले वजाइना को पानी से अच्छी तरह धोएं। वजाइना को वॉश करने के लिए हार्श केमिकल वाले प्रोडक्टस का इस्तेमाल न करें। कॉटन की पैंटी पहनें और सोने से पहले पैंटी जरूर बदलें।
एस्ट्रोजन की कमी को पूरा करने के लिए डॉक्टर की देखरेख में हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी ले सकती हैं। शरीर की नमी बनाए रखने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं। तनाव के कारण वजाइनल ड्राइनेस की समस्या हो सकती है। इससे बचने के लिए योग और मेडिटेशन करें।
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।