बिहार की राजनीति में बड़ा उलटफेर? नीतीश के नेतृत्व पर BJP की कभी हां, कभी ना; CM की खामोशी से गहराया सस्पेंस

पटना

बिहार में एनडीए एकजुट है। पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एनडीए के विधायकों-सांसदों की बैठक बुला कर अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में 220 सीटें जीतने का लक्ष्य निर्धारित किया। फिर एनडीए में शामिल सभी घटक दलों के प्रांतीय प्रमुख बैठे। इस बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के दो ऐसे बयान बयान आए, जिससे बिहार की राजनीति में खुसुर-फुसुर शुरू हो गई है। प्रदेश स्तर के भाजपा नेता कभी कहते हैं कि विधानसभा का चुनाव नीतीश कुमार के नेतत्व में लड़ा जाएगा तो कभी यह कह कर चौंका देते हैं कि इसके बारे में फैसला केंद्रीय नेतृत्व को लेना है।

जानिए अमित शाह के बयानों के बारे में
अमित शाह ने एक टीवी चैनल के कार्यक्रम में कहा कि बिहार में अगले साल विधानसभा का चुनाव किसके नेतृत्व में होगा, इसका फैसला संसदीय बोर्ड की बैठक में होगा। जेडीयू से इस बारे में बात की जाएगी। उसके बाद ही नाम तय होगा कि किसके नेतृत्व में चुनाव होगा। शाह का दूसरा बयान अंडेकर की कांग्रेस सरकारों द्वारा उपेक्षा को लेकर आया। दूसरे बयान का कनेक्शन बिहार से इसलिए जुड़ा कि दिल्ली के पूर्व सीएम और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने शाह के बयान को अंबेडकर का अपमान बताते हुए नीतीश को एक चिट्ठी लिखी। इसमें उन्होंने भाजपा से अलग होने की नीतीश को सलाह दी है।

सीएम नीतीश की चुप्पी से गहराया सस्पेंस
संयोग देखिए कि केजरीवाल की चिट्ठी नीतीश को मिली और उसके बाद उनकी तबीयत खराब हो गई। अस्वस्थता के कारण उनके सारे कार्यक्रम रद्द कर दिए गए। बिहार में निवेशकों की बड़ी बैठक- बिहार कनेक्ट में नीतीश को शामिल होना था और राजगीर जाना था। वे नहीं जा पाए। केजरीवाल की चिट्ठी पर उनकी ओर से कोई बयान नहीं आया है। हालांकि जेडीयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा का अमित शाह के पक्ष में बयान जरूर आया है। झा ने कहा है कि कांग्रेस ने अंबेडकर को भारत रत्न न देकर उनका अपमान किया। पर, नीतीश कुमार की इस मसले पर चुप्पी से सस्पेंस बना हुआ है। कहने वाले तो यहां तक कह रहे कि अमित शाह के दोनों बयानों से नीतीश कुमार आहत हैं।

भाजपा का नेतृत्व पर कभी हां, कभी ना
एनडीए में शामिल सभी दलों की शुक्रवार को पटना में बैठक हुई। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने बैठक के बाद कहा कि 15 जनवरी से एनडीए कार्यकर्ता सम्मेलन की तैयारियों को लेकर बैठक हुई। इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि बिहार में अगला विधानसभा चुनाव नीतीश कुमार के ही नेतृत्व में होगा। अगले ही दिन जायसवाल पलट गए। उन्होंने कहा कि ऐसे मुद्दों पर केंद्रीय नेतृत्व फैसला लेता है। वे छोटे लोग हैं। उनकी राय कोई मायने नहीं रखती। उनका बयान ठीक उस वक्त आया है, जब भाजपा ने बिहार प्रदेश कोर कमिटी की बैठक दिल्ली में बुलाई है और उसमें जायसवाल भी भागीदारी करने वाले हैं।

नीतीश की चुप्पी से भाजपा घबरा गई है?
शाह के दोनों बयान, अरविंद केजरीवाल की नीतीश कुमार को लिखी चिट्ठी, कार्यकर्ता सम्मेलन के संदर्भ में एनडीए की बैठक और लगे हाथ दिल्ली में बिहार भाजपा कोर कमिटी की बैठक से यही लगता है कि नीतीश के रुख को लेकर भाजपा में घबराहट है। यह भी संभव है कि भाजपा किसी दूसरे तरह की तैयारी में लगी है। नीतीश कुमार भी जब खामोश होते हैं तो कोई चौंकाने वाला फैसला ले लेते हैं। जब-जब उन्होंने खामोशी ओढ़ी है, तब-तब पाला बदल किया है। भाजपा को पता है कि नीतीश को नाराज कर ह बिहार में कामयाब नहीं हो सकती, बल्कि ऐसा करना नीतीश कुमार को इंडिया ब्लॉक में शरण लेने को मजबूर करना होगा। यही वजह है कि भाजपा नेता मंथन में जुट गए हैं।

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