चूरू
राजस्थान के चूरू जिले के सिरसली गांव के रहने वाले भारतीय सेना में हवलदार जयपाल यादव का रविवार को सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। दिल्ली में ड्यूटी के दौरान एक सड़क हादसे में उनका निधन हो गया था। उनके लगभग एक साल के बेटे ओजस ने उन्हें मुखाग्नि दी। जयपाल अपने बेटे के पहले जन्मदिन के लिए घर आने वाले थे। यह 25 दिसंबर को है। परिवार उनके आने का इंतज़ार कर रहा था, लेकिन तिरंगे में लिपटा उनका पार्थिव शरीर ही घर पहुंचा।
रविवार को गांव पहुंचा जयपाल का पार्थिव शरीर
आर्मी मैन जयपाल यादव की रविवार सुबह दिल्ली से चूरू के दूधवाखारा गांव पार्थिव शरीर लाया गया। फिर तिरंगा यात्रा के साथ उनके पैतृक गांव सिरसली ले जाया गया। रास्ते में लोग ‘शहीद अमर रहे’ के नारे लगा रहे थे। दोपहर करीब 2 बजे सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार हुआ। उनके लगभग एक साल के बेटे ओजस ने मुखाग्नि दी। यह दृश्य बहुत ही भावुक था।
सड़क हादसे में हो गया था जयपाल का निधन
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 40 वर्षीय जयपाल यादव 20 दिसंबर की शाम को ड्यूटी पर जा रहे थे। तभी एक सड़क हादसे में उनकी जान चली गई। जयपाल के भांजे रामचंद्र यादव ने बताया कि जयपाल 3 दिसंबर 2002 को सेना में भर्ती हुए थे। वे हवलदार के पद पर तैनात थे। उनकी शादी 2004 में हिसार के डामान गांव की कैलाश के साथ हुई थी। उनका एक बेटा ओजस है।
बेटे के पहले बर्थडे पर घर आने वाले थे जयपाल: भांजा
रामचंद्र ने बताया कि ‘एक महीने पहले ही उन्होंने अपने मामा से बात की थी। तब जयपाल ने कहा था कि वे अपने बेटे ओजस का पहला जन्मदिन धूमधाम से मनाएंगे। इसकी तैयारियां भी चल रही थीं। लेकिन इससे पहले ही वह शहीद हो गए। यह सुनकर सभी का दिल टूट गया।’
जयपाल यादव दो भाइयों में छोटे थे। उनके बड़े भाई ओमप्रकाश खेती करते हैं। उनके माता-पिता रामेश्वर यादव और सदा कंवर का पहले ही निधन हो चुका है। जयपाल की पत्नी कैलाश और उनका छोटा सा बेटा ओजस अब अकेले रह गए हैं। पूरा गांव और देश उनके साथ दुख की इस घड़ी में खड़ा है।