हवा की ‘सेहत’ खराब होने का डर… MP के इस शहर में अलाव जलाने पर लगा बैन, नगर निगम का अजीबोगरीब आदेश

भोपाल ,

भोपाल नगर निगम (BMC) की एक घोषणा बेघरों के लिए मुसीबत का सबब बन गई है. शहर की सरकार का कहना है कि इस साल सर्दी के मौसम में अलाव जलाने की अनुमति नहीं दी जाएगी. इसके पीछे की वजह नगर निगम ने भोपाल की हवा को स्वस्थ बनाना बताया है.

दरअसल, भोपाल की वायु गुणवत्ता (Air Quality) में लगातार गिरावट के कारण तमाम लोग सांस संबंधी समस्याओं से ग्रसित हो रहे हैं और ऐसे पीड़ितों की अस्पताल में भीड़ बढ़ गई है. उधर, मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में हाड़ कंपा देने वाली ठंड बढ़ती जा रही है. शहर में शीतलहर के लिए ऑरेंज अलर्ट के साथ भोपाल ने दशकों पुराना रिकॉर्ड तब तोड़ दिया, जब रात का न्यूनतम तापमान 4 डिग्री से नीचे गिरकर 3.3 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया.

अखबार बांटने का काम करने वाले उमेश साहू का कहना है, ”मैं अखबार बांटने का काम करता हूं. मेरे पास घर नहीं है. हम रात को सोने के लिए शेल्टर होम में आते हैं. लेकिन कभी-कभी देर हो जाती है तो हमें जगह भी नहीं मिलती. हमें फुटपाथ पर सोना पड़ता है. पिछले साल बीएमसी अलाव के लिए लकड़ी देती थी. लेकिन इस साल उन्होंने अलाव पर रोक लगा दी है, जिससे हमें परेशानी हो रही है, हमारे पास ठंड से बचने के लिए कोई जगह नहीं है.”

वहीं, एक विकलांग भिखारी प्रजापति मालवीय का कहना है, ”मेरा परिवार में कोई नहीं है. मेरा अपना घर नहीं है. हम इन अधिकारियों से मदद की भीख मांगते-मांगते थक गए हैं. वे यह भी नहीं चाहते कि हम अलाव जला सकें. हम कहां जाएं. किसी भी राजनेता ने वादे पूरे नहीं किए.”

इससे पहले नगर निगम कई सालों से अलाव के लिए लकड़ी मुहैया कराता रहा है. चूंकि इस मौसम में अलाव लोगों को गर्मी देते हैं, इसलिए ये बेघर लोग इस बात से परेशान हैं कि नगर निगम ने इस साल अलाव जलाने पर रोक लगा दी है. इसका लक्ष्य भोपाल शहर की गिरती वायु गुणवत्ता को सुधारना है.

हालांकि, प्रतिबंध के चलते नगर निगम अलाव जलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई भी कर रहा है, लेकिन होटलों और खाने-पीने की दुकानों के बाहर अभी भी सार्वजनिक रूप से भट्टियां और तंदूर जल रहे हैं. राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के निर्देशों के बावजूद इन पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है.

भीषण ठंड और अलाव पर प्रतिबंध के बावजूद नगर निगम ने कोई उचित हीटर व्यवस्था या अन्य योजना तैयार नहीं की है. हालांकि शेल्टर होम में 180 लोगों के रहने की व्यवस्था है, लेकिन हर दिन कम से कम 250 लोग वहां सोते हैं. शेल्टर होम में छोटे हीटर लगाने के बाद भी सड़क या पूरे शहर में कोई अन्य व्यवस्था नहीं है.

शेल्टर होम के केयरटेकर मोहम्मद आरिफ ने बताया, यहां रोजाना करीब 200-250 लोग सोने आते हैं. क्षमता सिर्फ 184 लोगों की है. हमें उन्हें एडजस्ट करना पड़ता है. यहां सिर्फ 3-4 छोटे हीटर रखे गए हैं जो इतने लोगों के लिए अनुकूल नहीं हैं, और व्यवस्था करने की जरूरत है.

चूंकि पिछले कुछ समय से वायु प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है, इसलिए भोपाल का AQI लेवल खराब श्रेणी में आ गया है. राजधानी भोपाल का एयर क्वालिटी इंडेक्स हाल के दिनों में 300 को पार कर गया है. खराब रखरखाव वाली सड़कों और शहर के आसपास के खेतों में पराली जलाने से हवा दूषित हो रही है. ऐसे में शहर के लोगों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है. साथ ही बीमारियों के फैलने का खतरा भी बढ़ गया है.

स्थानीय निवासी धीरज सिंह ने बताया, मेरे पिता अस्थमा से पीड़ित हैं, मेरे फेफड़ों में भी कंजेशन है, पिछले कुछ सालों में हवा गुणवत्ता लगातार खराब होती जा रही है. हम समस्याओं का सामना कर रहे हैं.

इनका कहना
भोपाल नगर निगम की मेयर मालती राय का दावा है कि पिछले चार वर्षों के दौरान प्रदूषण में कमी लाने पर 178 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. उनका कहना है कि बीएमसी मुख्य रूप से भोपाल की वायु गुणवत्ता के बारे में चिंतित है. उन्होंने सुपरवाइजरों, ड्राइवरों और सहायक स्वास्थ्य अधिकारियों से मिलकर एक टास्क टीम बनाई है जो अलाव जलाने वालों पर मौके पर ही जुर्माना लगाएगी.

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