नई दिल्ली,
शेख हसीना के सत्ता से बेदखल होने के बाद बांग्लादेश की अंतरिम सरकार लगातार भारत के खिलाफ बयानबाजियां कर रही है. इसी बीच मोहम्मद यूनुस सरकार का एक और आरोप सामने आया है. अंतरिम सरकार की ओर से गठित एक जांच समिति ने आरोप लगाया है कि हसीना के शासनकाल में बांग्लादेश से लोगों को जबरन गायब कराने में भारत का हाथ हो सकता है.
बांग्लादेश ने लगाया ये आरोप
बांग्लादेश समाचार एजेंसी (BSS) ने शनिवार को यह जानकारी दी. रिपोर्ट में कहा गया है कि लोगों के गायब होने में भारत की संलिप्तता सार्वजनकि रिकॉर्ड का मामला है.इस जांच समिति में 5 सदस्य शामिल थे, जिसका नेतृत्व रिटायर्ड सुप्रीम कोर्ट के जज मैनूल इस्लाम चौधरी कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि कानून प्रवर्तन सर्कल्स में यह “लगातार सुझाव” था कि कुछ बंदी अभी भी भारतीय जेलों में हो सकते हैं.
जांच समिति ने की ये मांग
उन्होंने कहा, ‘हम मंत्रालयों से यह अनुरोध करते हैं कि वे भारतीय जेलों में कैद बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान करने के लिए अपनी पूरी कोशिश करें. आयोग के लिए यह बांग्लादेश से बाहर इस ट्रैक को फॉलो करना संभव नहीं है.’ आयोग ने भारत और बांग्लादेश के बीच बंदी विनिमय की प्रक्रिया और बंदियों के संभावित भविष्य के बारे में खुफिया जानकारी पाई.
आयोग ने दो चर्चित मामलों का हवाला देते हुए बताया कि कैसे इसमें भारत की भूमिका हो सकती है. पहला मामला शुक्रमंजन बाली का बताया गया. जिसका बांग्लादेश सुप्रीम कोर्ट परिसर से अपहरण किया गया था और बाद में भारतीय जेल में पाया गया था. दूसरा था बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के नेता सलाउद्दीन अहमद का मामला.
आयोग के सदस्य और मानवाधिकार कार्यकर्ता सज्जाद हुसैन ने कहा कि उन्होंने 1,676 बिना कानूनी प्रक्रिया के गायब होने की शिकायतें दर्ज की थीं, जिनमें से अब तक 758 की जांच की गई है, जिनमें से 200 लोग या तो वापस नहीं लौटे या उन्हें गिरफ्तार दिखाया गया.बता दें कि शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद से देश में भारत विरोध खबरें आम हो गई हैं. हिंदुओं पर हमले किए जा रहे हैं. अंतरिम सरकार के नेता भारत विरोधी बयान दे रहे हैं.