MP : सौरभ की डायरी, 55 जिलों के अफसरों का हिस्से का पूरा हिसाब, 100 करोड़ की होती थी उगाही!

भोपाल

पूर्व कॉन्स्टेबल सौरभ शर्मा के केस में हर दिन नए खुलासे हो रहे हैं। सौरभ के दोस्त की गाड़ी से एक डायरी मिली है। उस डायरी में उसके उन आकाओं और अफसरों का हिसाब है, जिन्हें उगाही की राशि का सौरभ हिस्सात देता था। पूरे साल में करीब 100 करोड़ की उगाही सौरभ अपने गुर्गों के जरिए करता था। उसकी पकड़ का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि नौकरी से इस्तीफे के बाद भी अपनी गाड़ी पर आरटीओ का बोर्ड लगाकर चलता था लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। सौरभ शर्मा की डायरी मिलने के बाद सफेदपोशों की धड़कनें बढ़ गई है लेकिन सवाल है कि जांच एजेंसियां उन सफेदपोशों का नाम उजागर क्यों नहीं कर रही है।

परिवहन विभाग के अफसरों का हिसाब
जांच के दौरान सौरभ के दोस्त चेतर गौर की कार से यहा डायरी मिली है। कथित तौर पर मध्य प्रदेश के 55 जिलों के आरटीओ का हिसाब इस डायरी में है। साथ ही यह भी लिखा है कि कहां से कितनी राशि आ रही है और किसने कितनी मिल रही है। चेतन गौर ने पूछताछ में यह खुलासा किया है कि उगाही की राशि में से हिस्सेदारी किन-किन अफसरों तक पहुंचती थी। वहीं, जांच एजेंसियां उनके नाम पर कुछ नहीं बोल रही है।

डायरी ने उड़ा दी है नींद
पूर्व कॉन्स्टेबल सौरभ शर्मा की डायरी मिलने के बाद उसका पूरा नेक्सस सामने आ गया है। इसके बाद उससे जुड़े लोगों की नींद उड़ गई है। खासकर उन बड़े लोगों की नींद ज्यादा उड़ी है, जिनके नाम सामने आने लगे हैं। कहा जाता है कि पावर कॉरिडोर के कई बड़ों लोगों का हाथ सौरभ शर्मा के ऊपर था। उन्हीं लोगों के आशीर्वाद से वह फल फूल रहा था। कुछ सालों में ही सौरभ शर्मा ने अरबों रुपए का साम्राज्य खड़ा कर लिया था।

आईटी ने रेकॉर्ड किए चेतन के बयान
कहा जा रहा है कि आयकर विभाग ने चेतन गौर के बयान दर्ज कर लिए हैं। यह सौ से अधिक पन्नों में हैं। चेतन ने सौरभ शर्मा के कई राज उगले हैं। उसने यह भी बताया है कि यह राशि किन-किन लोगों तक पहुंचती थी। डायरी में कथित तौर पर दिसंबर 2024 तक के हिसाब मिले हैं।

बचाने की कोशिश
सौरभ शर्मा ने मुंह खोला तो जांच एजेंसियों के रडार पर कई बड़े चेहरे सामने आ जाएंगे। ऐसे में लोकायुक्त की छापेमारी जब उसके घर पर चल रही थी तो उसने बचाने की कोशिश की गई। साथ ही पूर्व में उसे सूचना भी मिल गई थी। अब मामले से जुड़े सीसीटीवी वीडियो सामने आए हैं, उनमें दिख रहा है कि जिस गाड़ी से सोना मिला है, वह छापेमारी से पहले सौरभ के घर में खड़ी थी। ऐसे में सवाल है कि क्या सौरभ को लोकायुक्त की छापेमारी की सूचना मिल गई थी। इसके बाद वह सारी चीजों को छिपाने में लग गया।

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