वॉशिंगटन:
भारतीय जनता पार्टी ने हाल ही में अमेरिकी विदेश विभाग और वाशिंगटन में “डीप स्टेट” तत्वों पर भारत को अस्थिर करने की कोशिश करने का आरोप लगाया है। बीजेपी ने खोजी पत्रकारों के एक समूह और विपक्षी कांग्रेस पार्टी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार पर हमला करने के लिए अमेरिकी डीप स्टेट के साथ सहयोग करने का भी आरोप लगाया। ये आरोप आश्चर्यजनक थे क्योंकि दोनों देशों ने हाल के वर्षों में राजनीतिक, आर्थिक और रक्षा संबंधों को बढ़ावा देने के लिए बहुत कुछ किया है। ऐसे में सवाल उठता है कि अमेरिकी डीप स्टेट क्या है और क्या डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में आने से ये कमजोर पड़ेंगे।
यूएस डीप स्टेट क्या है?
1990 के दशक में गढ़ा गया यह शब्द राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान काफी लोकप्रिय हुआ। खास तौर पर अमेरिकी चुनाव में रूस की मिलीभगत को लेकर डीप स्टेट पर कई गंभीर आरोप लगे। खुद ट्रंप ने इसके लिए “डीप स्टेट” को जिम्मेदार ठहराया था। एक अमेरिकी राजनीतिक षड्यंत्र सिद्धांत (US Political Conspiracy Theory) के अनुसार, डीप स्टेट संघीय सरकार (विशेष रूप से FBI और CIA के भीतर) के सदस्यों का एक गुप्त नेटवर्क है, जो उच्च-स्तरीय वित्तीय और औद्योगिक संस्थाओं और नेताओं के साथ मिलकर काम करता है, ताकि निर्वाचित संयुक्त राज्य सरकार के साथ या उसके भीतर सत्ता का प्रयोग किया जा सके।
डीप स्टेट शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई
डीप स्टेट शब्द की उत्पत्ति 1990 के दशक में तुर्की में कथित रूप से लंबे समय से मौजूद डीप स्टेट के संदर्भ में हुई थी, लेकिन इसका इस्तेमाल अमेरिकी सरकार को संदर्भित करने के लिए भी किया जाने लगा, जिसमें ओबामा प्रशासन के दौरान भी शामिल था। 2017 और 2018 में किए गए जनमत सर्वेक्षण से पता चलता है कि लगभग आधे अमेरिकी देश में एक डीप स्टेट की मौजूदगी पर यकीन करते हैं।
रोनाल्ड रीगन प्रशासन में पूर्व अधिकारी रहे डॉ पॉल क्रेग रॉबर्ट्स ने अपनी वेबसाइट पर लिखा कि डीप स्टेट अमेरिकी सरकार के भीतर “जड़ जमाए हुए और संस्थागत” है, जिसके पास राष्ट्रपति के प्रयासों में हेरफेर करने या बाधा डालने के कई तरीके हैं।
वॉल स्ट्रीट के विश्लेषक चार्ल्स ऑर्टेल ने अमेरिकी सरकार की अवैध गतिविधियों को छिपाने में एफबीआई, डीओजे और अन्य संघीय एजेंसियों के भीतर डीप स्टेट ऑपरेटिव की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि कैसे मुखबिरों को अक्सर अनदेखा किया जाता है या चुप करा दिया जाता है और कैसे देश के हितों को नुकसान पहुंचाने वाले सबूत गायब हो जाते हैं।
अमेरिकी शांति आंदोलन के कार्यकर्ता जान आर वेनबर्ग ने डीप स्टेट को शक्तिशाली डिफेंस कॉन्ट्रैक्टरों के जरिए संचालित बताया। उन्होंने यहां तक दावा किया कि देश में मिलिट्री और हथियारों के व्यापार से जुड़े लोग राष्ट्रपति की तुलना में अधिक शक्ति रखता है। डीप स्टेट यह भी सुनिश्चित करता है कि अमेरिकी राजनीति अपरिवर्तित रहे।
पुतिन ने अमेरिकी डीप स्टेट पर क्या कहा
फरवरी 2024 में अमेरिकी पत्रकार टकर कार्लसन के साथ एक इंटरव्यू में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अमेरिकी नेतृत्व के साथ बातचीत में चुनौतियों पर बात करते हुए डीप स्टेट का जिक्र किया था। पुतिन ने मई 2017 में फ्रांसीसी पत्रकारों से कहा, “मैं पहले ही तीन अमेरिकी राष्ट्रपतियों से बात कर चुका हूं।” उन्होंने कहा, “वे आते हैं और चले जाते हैं, लेकिन राजनीति वही रहती है। क्या आप जानते हैं क्यों? शक्तिशाली नौकरशाही के कारण। जब कोई व्यक्ति चुना जाता है, तो उसके पास कुछ विचार हो सकते हैं। फिर ब्रीफकेस वाले लोग उससे मिलने आते हैं, अच्छे कपड़े पहने हुए, गहरे रंग के सूट पहने हुए… ये लोग राष्ट्रपति को समझाते हैं कि क्या करना है।” पुतिन ने आगे कहा, “हम बात करने के लिए तैयार हैं। लेकिन किससे? क्या गारंटी है? कोई गारंटी नहीं है।”
डीप स्टेट का मतलब सिर्फ पैसा
डीप स्टेट के रूप में जानी जाने वाली रहस्यमय इकाई, इसकी संरचना या इसके विशेष निर्णयकर्ताओं को परिभाषित करना चुनौतीपूर्ण है। दक्षिण अफ्रीका के डरबन यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी के ब्रिक्स रिसर्च इंस्टीट्यूट में प्रोजेक्ट/रिसर्च असिस्टेंट लिली फेरियोल प्रैट डीप स्टेट को “अनिवार्य रूप से एक दर्शन के रूप में परिभाषित करती हैं, जिसमें कुछ लोग बहुसंख्यकों की कीमत पर लाभ कमाते हैं, जिसे विभिन्न तरीकों से व्यक्त किया जाता है।” वह इसकी उत्पत्ति को अमेरिकी फेडरल रिजर्व सिस्टम की स्थापना से जोड़ती हैं, जिसे पैसे छापने का अधिकार दिया गया था। ये डीप स्टेट सरकार के साथ मिलकर खूब पैसा कमाते हैं और उसका कुछ हिस्सा लाभ पहुंचाने वालों के हितों के लिए खर्च करते हैं, जो सरकार वैध तरीके से नहीं कर सकती।