नई दिल्ली
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत के बयान को लेकर जगदगुरु रामभद्राचार्य ने कहा है कि यह संघ प्रमुख का व्यक्तिगत बयान हो सकता है और यह हम सब का बयान नहीं है। रामभद्राचार्य ने कहा कि मोहन भागवत किसी संगठन के प्रमुख हो सकते हैं, वह हिंदू धर्म के प्रमुख नहीं हैं, जो हम उनकी बात को मानें।
इससे पहले संतों के संगठन अखिल भारतीय संत समिति (एकेएसएस) ने सोमवार को मोहन भागवत की टिप्पणी की आलोचना की थी। एकेएसएस के महासचिव स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा था, “जब धर्म का विषय आता है तो इसका निर्णय धार्मिक गुरुओं को करना होता है और वे जो भी निर्णय लेंगे, उसे संघ और विहिप स्वीकार करेंगे।”
क्या कहा था भागवत ने?
संघ प्रमुख भागवत ने बीते गुरुवार को पुणे में हिंदू सेवा महोत्सव में कहा था कि अयोध्या में राम मंदिर बनना चाहिए और ऐसा हुआ भी। उन्होंने लगातार नए मुद्दे उठाकर देश में विभाजन पैदा करने को लेकर आगाह किया था। भागवत ने कहा था, “हर दिन तिरस्कार और दुश्मनी के लिए नए मुद्दे नहीं उठाए जाने चाहिए। इसका हल क्या है? हमें दुनिया को दिखाना चाहिए कि हम सद्भावना से रह सकते हैं, इसलिए हमें अपने देश में एक छोटा सा प्रयोग करना चाहिए।”भागवत ने कहा था कि धार्मिक मामलों के बारे में फैसला आरएसएस के बजाय धार्मिक नेताओं द्वारा किया जाना चाहिए।
मोहन भागवत ने कहा था कि अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के बाद से कुछ लोगों को यह विश्वास होने लगा है कि वे इस तरह के मुद्दों को उठाकर “हिंदुओं के नेता” बन सकते हैं। भागवत ने एक “समावेशी समाज” की वकालत की थी। संघ प्रमुख ने कहा था कि देश संविधान के अनुसार चलता है और इस व्यवस्था में लोग अपने प्रतिनिधि चुनते हैं, जो सरकार चलाते हैं।
बताना होगा कि पिछले कुछ दिनों में कई मस्जिदों के नीचे मंदिर होने का दावा किया गया है। ऐसे ही मामले में यूपी के संभल में पिछले महीने हिंसा हुई थी और इसमें चार लोगों की मौत हो गई थी। इस मामले में भी जगदगुरु रामभद्राचार्य ने बयान दिया है।रामभद्राचार्य ने कहा है कि हमें अपनी ऐतिहासिक वस्तुएं मिलनी ही चाहिए और हमें इन्हें लेना भी चाहिए। उन्होंने कहा कि चाहे जैसे भी हो साम, दाम, दंड, भेद से हमें इन्हें लेना चाहिए।