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म्यांमार के रखाइन राज्य में विद्रोही अराकान आर्मी और जुंटा सेना के बीच चल रहे संघर्ष ने बीते कुछ दिनों में अहम मोड़ लिया है। अराकान आर्मी (AA) ने रखाइन के महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया है। इनमें वो इलाके भी शामिल हैं, जो बांग्लादेश के बॉर्डर पर हैं। ऐसे में अब बांग्लादेश बॉर्डर पर AA का नियंत्रण है। दूसरी ओर इस संघर्ष ने बड़े पैमाने पर रोहिंग्या मुस्लिमों और दूसरे अल्पसंख्यकों को रखाइन छोड़कर बांग्लादेश में शरण लेने को मजबूर किया है। इससे सीमा पर एक मानवीय संकट है और तनाव भी पैदा हुआ है।
म्यामांर सीमा पर खड़े हुए इस संकट के बीच AA ने बांग्लादेश सेना से संपर्क किया है। AA संकट के बीच महत्वपूर्ण आपूर्ति लाइनों को सुरक्षित करने और मानवीय प्रयासों को सुविधाजनक बनाने में बांग्लादेश का समर्थन चाहता है। बांग्लादेश भी म्यांमार से आ रहे रोहिंग्या मुस्लिमों के मुद्दे पर AA से बात करना चाहता है। वहीं क्षेत्र की एक बड़ी ताकत भारत भी इन अहम बदलावों पर नजर गड़ाए हुए हैं।
रोहिंग्या के लिए बने सुरक्षित स्थान
रिपब्लिक की रिपोर्ट कहती है कि बांग्लादेश सेना का रामू स्थित 10वां इन्फैंट्री डिवीजन बॉर्डर पर चिंताओं को दूर करने के लिए AA के साथ फील्ड-लेवल संचार में लगा हुआ है। इस चर्चा का मुख्य विषय रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए एक ‘सुरक्षित क्षेत्र’ की स्थापना करना है। बांग्लादेश चाहता है कि म्यांमार से आए करीब 20 लाख रोहिंग्या सुरक्षित वापस लौट जाएं।
बांग्लादेश ने हिंसा से भागे या रखाइन में ही कैंपों में रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सीमा पर एक ‘सुरक्षित क्षेत्र’ बनाने का प्रस्ताव दिया है। यह क्षेत्र आगे विस्थापन को रोकने के लिए एक बफर के रूप में काम करेगा। साथ ही मानवीय एजेंसियों को आवश्यक सेवाएं प्रदान करने की अनुमति देगा। ढाका सुरक्षित क्षेत्र के आश्वासन के बदले में अराकान सेना के अधिकार को मान्यता देने की संभावना तलाश रहा है। बांग्लादेश के सुरक्षा तंत्र ने अराकान सेना के साथ अपनी बातचीत में रणनीतिक रुख बनाए रखा है।
भारत की भी स्थिति पर नजर
अराकान सेना का नफ नदी के किनारे 271 किलोमीटर लंबी बांग्लादेश-म्यांमार सीमा पर पूर्ण नियंत्रण हो गया है। इस घटनाक्रम ने सुरक्षित सीमा प्रबंधन की आवश्यकता को बढ़ा दिया है। बांग्लादेशी अधिकारी रोहिंग्या शरणार्थियों की सुरक्षित वापसी के लिए स्थिति का लाभ उठाने के इच्छुक हैं। AA ने भी क्षेत्र में स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए बातचीत में शामिल होने की इच्छा भी व्यक्त की है। ढाका इन बातचीत को क्षेत्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए लंबे समय से चले आ रहे रोहिंग्या संकट को दूर करने के अवसर के रूप में देखता है।
भारत की नजर भी म्यांमार और बांग्लादेश में हो रहे घटनाक्रम पर है। भारत की ओर से हाल ही में कहा गया है कि हम म्यांमार में घटनाक्रम पर बहुत करीब से नजर रख रहे हैं। हर नई उभरती स्थिति पर हमारी निगाह है। दरअसल पूर्वोत्तर भारत में मिजोरम, मणिपुर और नागालैंड से म्यांमार की सीमा लगती है। ऐसे में म्यांमार का घटनाक्रम भारत के लिए भी शरणार्थियों की आमद और सुरक्षा के लिहाज से अहम है। भारत रोहिंग्या शरणार्थियों के मसले पर भी पहले से ही फंसा हुआ है और इसमें ज्यादा बढ़ोतरी नहीं चाहता है।