नई दिल्ली,
अगर आप भी सार्वजनिक वाई-फाई इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं तो सावधान हो जाएं, क्योंकि इससे आप साइबर फ्रॉड का शिकार हो सकते हैं और आपका बैंक अकाउंट खाली भी हो सकता है. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने स्टूडेंट्स के लिए साइबर हाइजीन को लेकर गाइडलाइंस जारी की है. ‘Stay Cyber-Safe!’ के माध्यम से यूजीसी ने हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूट्स (HEIs) और स्टूडेंट्स लिए एक हैंडबुक भी जारी की है. हैंडबुक में साइबर फ्रॉड से बचने के लिए क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए की जानकारी दी गई है.
पब्लिक USB चार्जर घोटाले से सावधान रहें
सार्वजनिक स्थानों पर अपना फ़ोन चार्ज करने से बचें. साइबर अपराधी सार्वजनिक स्थानों जैसे कि हवाई अड्डों, कैफ़े, होटल और बस स्टैंड आदि पर लगे USB चार्जिंग पोर्ट का इस्तेमाल दुर्भावनापूर्ण गतिविधियों के लिए कर सकते हैं. ऐसे USB चार्जिंग स्टेशनों पर अपने इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को चार्ज करने से आप जूस-जैकिंग साइबर हमले का शिकार हो सकते हैं. जूस जैकिंग की वजह से दुर्भावनापूर्ण ऐप इंस्टॉल हो सकता है, आपके डिवाइस का एन्क्रिप्शन और अपराधी इसे रिस्टोर करने के लिए फिरौती मांग सकते हैं या आपके डिवाइस से डेटा चुरा कर आपसे पैसे ऐंठ सकते हैं.
कैसे बचें?
- सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशनों या पोर्टेबल वॉल चार्जर पर प्लग करने से पहले दो बार सोचें.
- अपने मोबाइल डिवाइस को चार्ज करने के लिए इलेक्ट्रिकल वॉल आउटलेट का इस्तेमाल करें.
- अपने साथ अपना खुद का केबल या पावर बैंक ले जाने की कोशिश करें.
- सॉफ़्टवेयर सुरक्षा सुविधा का उपयोग करके अपने मोबाइल डिवाइस को लॉक करें, यह
- सुनिश्चित करते हुए कि यह किसी कनेक्टेड डिवाइस के साथ पेयर न हो सके.
- अपने फोन को तब चार्ज करने की कोशिश करें जब वह स्विच ऑफ हो.
क्या न करें?
- पब्लिक Wi-Fi: पब्लिक वाई-फाई का इस्तेमाल करते समय अपनी पर्सनल या प्रोफेशनल ईमेल आईडी, ऑनलाइन बैंक अकाउंट न खोलें.
- पायरेटेड सॉफ़्टवेयर: पायरेटेड सॉफ़्टवेयर का उपयोग करने से बचें, क्योंकि इसमें अक्सर मैलवेयर होता है. वेलिड सोर्स से ही कॉन्टेक्ट करें.
- संदिग्ध ईमेल: अनजान सेंडर्स या संदिग्ध ईमेल से अटैचमेंट न खोलें.
- सिक्योरिटी सॉफ़्टवेयर: अपने सुरक्षा सॉफ़्टवेयर को डिसेबल न करें.
- जोखिम भरी वेबसाइटें: ऐसी वेबसाइट से बचें जो मैलवेयर वितरित करने के लिए जानी जाती हैं जैसे कि अनवेलिड डाउनलोडिंग साइट.
क्या करें?
- ईमेल सावधानी: ईमेल अटैचमेंट या इमेज खोलते समय बहुत सावधान रहें, खासतौर पर अनजान सेंडर्स से.
- रेगुलर बैकअप: साइबर अटैक की स्थिति में रिकवरी के लिए महत्वपूर्ण फ़ाइलों का रेगुलर बैकअप लेते रहें.
- विश्वसनीय सॉफ़्टवेयर: एंटी-मैलवेयर/एंटीवायरस सॉफ़्टवेयर केवल ऑथराइज्ड प्रोवाइडर जैसे, प्ले स्टोर, ऐप स्टोर, आधिकारिक वेबसाइट से इंस्टॉल करें.
- अपडेट और फ़ायरवॉल: अपने OS और सॉफ़्टवेयर को सुरक्षा पैच के साथ अपडेट रखें. अपने सिस्टम के फायरवॉल को अनेबल करें.
- डाउनलोड सिक्योरिटी: केवल विश्वसनीय सोर्स से फाइलें डाउनलोड करें. अनजान सेंडर्स और संदिग्ध लिंक से अटैचमेंट से बचें.
दरअसल, हाल के समय में उच्च शिक्षण संस्थान (HEIs) विभिन्न प्रकार के साइबर हमलों के प्रति संवेदनशील रहे हैं. COVID-19 महामारी के दौरान HEI समुदाय को ‘ऑनलाइन’ पर शिफ्ट होना पड़ा, जिसमें कुलपति, शिक्षक, छात्र और सहयोगी स्टाफ शामिल थे. साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूकता की कमी और साइबरस्पेस में भरोसे की कमी के कारण HEIs को ‘ऑनलाइन’ शिक्षा की ओर सुचारू रूप से शिफ्ट होने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा. इसलिए, साइबर खतरों के बारे में जागरूकता बढ़ाना और स्वस्थ साइबर आदतों का पालन करना HEIs के साइबर सुरक्षा तंत्र (cyber security ecosystem) को मजबूत करने के लिए अनिवार्य है.
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020, जो शिक्षा में डिजिटलाइजेशन को बढ़ावा देती है, शिक्षण में तकनीक के उपयोग की आवश्यकता को पहचानती है और इसके संभावित जोखिमों और खतरों को भी स्वीकार करती है. यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि ऑनलाइन/डिजिटल शिक्षा के लाभों का पूरा लाभ उठाते हुए डिजिटल विभाजन की चिंताओं का समाधान किया जा सके.
हमारे हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूट्स को भी अच्छे साइबर स्वच्छता आदतों को विकसित करने और साइबर सुरक्षा के नए सामान्य मानकों को अपनाने की आवश्यकता है. यह शिक्षार्थियों और संगठनों को एक सुरक्षा-केंद्रित दृष्टिकोण और व्यवहार के माध्यम से संभावित साइबर खतरों को कम करने में मदद करेगा.