कोलकाता,
कोलकाता में ट्रेनी-डॉक्टर के साथ हुए दुष्कर्म और मर्डर के मामले में अब तक ट्रेनी डॉक्टरों का विरोध-प्रदर्शन जारी है. अब आंदोलनकारी जूनियर डॉक्टर सीबीआई पर मामले की जांच में देरी करने और अपराधियों को बचाने का आरोप लगा रहे हैं. इसे लेकर पिछले कुछ दिनों में कई प्रदर्शन भी हो चुके हैं. हाल ही में विरोध प्रदर्शन के तहत जूनियर डॉक्टरों ने सीजीओ कॉम्प्लेक्स स्थित सीबीआई कार्यालय के गेट पर प्रतीकात्मक रूप से ताला लगा दिया था. आइए बताते हैं कि जांच पर कौन से 3 सवाल उठाए जा रहे हैं.
वकीलों ने क्यों वापस लिया नाम
पीड़ित पक्ष की तरफ से दो नामी-गिरामी वकील इस केस की पैरवी कर रहे थे, लेकिन अचानक उन्होंने अपना नाम इस केस से वापस ले लिया. पीड़िता परिवार की तरफ से सीनियर लॉयर बिकास रंजन भट्टाचार्य केस लड़ रहे थे, लेकिन अब वह इस केस को छोड़ चुके हैं. वहीं, एक और वकील वृंदा ग्रोवर की टीम भी 11 दिसंबर को केस से अलग हो चुकी है.
क्या कहीं और हुई वारदात
सबसे बड़ा सवाल FSL रिपोर्ट सामने आने के बाद खड़ा हो रहा है. फोरेंसिक रिपोर्ट में जो बातें दर्ज की गई हैं, उसके मुताबिक जिस सेमिनार हॉल में ट्रेनी डॉक्टर के साथ हैवानियत हुई, वहां आरोपी और पीड़िता के बीच संघर्ष के निशान मौजूद नहीं है. इस कारण यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या वारदात को कहीं और अंजाम दिया गया और उसके बाद लाश यहां लाकर फेंक दी गई.?
क्यों नहीं दर्ज किए गए मां के बयान
जानकारी के मुताबिक अब तक अभियोजन पक्ष के करीब 81 गवाहों में से 43 गवाहों की गवाहियां हो चुकी हैं. लेकिन सीबीआई ने अब तक इस मामले में पीड़ित ट्रेनी डॉक्टर की मां की गवाही भी दर्ज नहीं की है.