संभल,
उत्तर प्रदेश के संभल में राजा आत्मा राम की ऐतिहासिक बावड़ी की खुदाई आज 13वें दिन 25 फीट तक पहुंच चुकी है. इस दौरान बावड़ी की दूसरी मंजिल का गेट सामने आ गया है. इसके बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की टीम ने अंदर एंट्री कर सर्वेक्षण किया. सर्वे के दौरान कुछ खतरे के संकेत मिले हैं.
एएसआई की टीम ने जब अंदर सर्वे किया तो बावड़ी की दीवारों की कमजोरी, मंजिल के नीचे रेत और ऑक्सीजन की कमी जैसे संकेत मिले. इन स्थितियों को देखते हुए ASI ने मजदूरों को दूसरी मंजिल के अंदर जाने से रोक दिया है और खुदाई में सावधानी बरतने के निर्देश दिए हैं.
संभल के चंदौसी में ऐतिहासिक बावड़ी की खुदाई का आज 13वां दिन है. अब तक 25 फीट तक मिट्टी निकाली जा चुकी है. इसी के साथ राजा आत्मा राम की बावड़ी की दूसरी मंजिल दिखाई देने लगी है. दूसरी मंजिल के गेट से मलबा हटते ही ASI की टीम मुंह पर रुमाल बांधकर अंदर घुसी और सर्वे किया.
ASI की टीम जब सर्वे कर बाहर निकली तो मजदूरों को दूसरी मंजिल में अंदर न जाने को कहा. इस दौरान मलबा हटा रहे मजदूर ने बताया कि बावड़ी की दूसरी मंजिल में नीचे रेत दिखाई दी है. दीवारें टूट रही हैं. मंजिल धंसने का खतरा बना हुआ है. नीचे ऑक्सीजन की भी कमी है. अंदर जाने से गर्मी लगने लगती है, जो किसी दुर्घटना का कारण बन सकती है.
ASI ने स्पष्ट किया है कि अंदर जाने में बड़ा खतरा है. बावड़ी की स्थिति को देखते हुए और अधिक सावधानी बरतने के निर्देश दिए गए हैं. बावड़ी के अंदरूनी हिस्से की संरचना और खुदाई के दौरान मिले संकेत इतिहास रहस्यों को उजागर कर सकते हैं. राजा आत्मा राम की यह बावड़ी अपने समय में पानी के स्त्रोत के रूप में जानी जाती थी.
गौरतलब हो कि साल 1720 में राजा आत्माराम द्वारा बनवाई गई इस बावड़ी की खुदाई में नए-नए खुलासे हो रहे हैं. खुदाई में सामने आए लेंटर की हालत क्षतिग्रस्त है. मोहल्ला लक्ष्मणगंज में मिली बावड़ी में 25 फीट तक खुदाई हो चुकी है. ASI टीम ने बावड़ी में घुसकर सर्वे किया है. कहा जा रहा है कि बावड़ी का इस्तेमाल पहले पानी स्टोर करने के लिए और सैनिकों के आराम करने के लिए किया जाता था. बावड़ी की दीवारों में अभी भी नमी है. बावड़ी की बनावट पहले के जमाने की है.