नई दिल्ली
इन दिनों ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस यानी एचएमपीवी वायरस को लेकर चिंता बढ़ गई है। चीन में फैल रहा इस वायरस के केस भारत में भी सामने आए हैं। इस बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने पैनिक ना करने की अपील की है। जेपी नड्डा का कहना है कि ये वायरस नया नहीं है। सोमवार को उन्होंने कहा हम स्थिति पर बारीकी से नजर रख रहे हैं।
‘कोई नया वायरस नहीं’
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, हेल्थ एक्सपर्ट्स ने एचएमपीवी वायरस के बारे में यह स्पष्ट किया है कि यह वायरस कोई नया वायरस नहीं है, इसकी पहचान सबसे पहले वर्ष 2001 में हुई थी और कई वर्षों से यह विश्व भर में फैल रहा है। एचएम पीवी वायरस एक ऐसा वायरस है जो हवा के जरिए सांस लेते समय एक दूसरे में फैलता है यह सभी आयु वर्ग के लोगों में संक्रमण का कारण भी बनता है।
‘भारत पड़ोसी देशों की स्थिति पर रख रहा नजर’
उन्होंने आगे बताया कि यह विशेष रूप से सर्दी और बसंत के मौसम के शुरुआती महीनों में अधिक देखा जाता है। चीन में जो एचएमपीवी वायरस के मामले पर हाल ही में आई रिपोर्ट पर स्वास्थ्य मंत्रालय ने इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च, नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के साथ और वर्ल्ड बैंक वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के साथ चीन सहित पड़ोसी देशों में स्थिति पर कड़ी निगरानी रखी है। उन्होंने कहा की डबल्यूएचओ जल्द ही वो अपनी रिपोर्ट साझा करेंगे हमसे आईसीएमआर और आईडीएसपी के साथ उपलब्ध सास संबंधित वायरस के देशव्यापी डेटा को भी समीक्षा कर पाएंगे।
‘स्थिति पर बारीकी से नजर’
नड्डा ने कहा कि हालात की समीक्षा के लिए 4 जनवरी को जॉइंट मॉनिटरिंग ग्रुप की बैठक 4 हुई। देश का हेल्थ सिस्टम और सर्विलेंस नेटवर्क्स किसी भी उभरते हुए हेल्थ चैलेंज के प्रति क्विक रिस्पांस देने के लिए सक्षम है और तैयार है। हम स्थिति की क्लोज मॉनिटरिंग कर रहे हैं हम स्थिति का बहुत नजदीकी से जायजा ले रहे हैं। हम यह कह सकते हैं कि हमें चिंता का कोई कारण नहीं होना चाहिए स्वास्थ्य विभाग इन सारी बातों पर नजर रखी है।
क्या है एचएमपीवी क्या है?
एचएमपीवी एक वायरल रोगाणु है जो सभी उम्र के लोगों में श्वसन संक्रमण का कारण बनता है। इसका पता पहली बार 2001 में चला। यह पैरामाइक्सोविरिडे परिवार से संबंधित है और ‘रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस’ (आरएसवी) से निकटता से संबंधित है। एचएमपीवी खांसने या छींकने से निकलने वाली सांस की बूंदों के साथ-साथ दूषित सतहों को छूने या संक्रमित व्यक्तियों के सीधे संपर्क में आने से फैलता है। यह वायरस श्वसन संबंधी मामलूी परेशानी से लेकर गंभीर जटिलता से जुड़ी बीमारियों तक का कारण माना जाता है, विशेष रूप से शिशुओं, बुजुर्गों और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों में।