पटना
जन सुराज के नायक प्रशांत किशोर बिहार लोक सेवा आयोग के परीक्षार्थियों के हक में क्या उतरे, बिहार के तमाम राजनीतिक दलों में खलबली मच गई। हो ये रहा है कि जन सुराज पर आरोपों की बौछार शुरू हो गई है। क्या सत्ताधारी दल? क्या विपक्ष? सब की आंखों में प्रशांत किशोर खटकने लगे हैं। इस फलसफे पर नए जंग की शुरुआत नेता प्रतिपक्ष और पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कर दी है। जानिए तेजस्वी ने क्या कह कर राजनयिक जंग की शुरुआत कर दी है।
पीके और बीजेपी कनेक्शन!
हालांकि ये कोई नया आरोप नहीं। नए मुलम्मे में एक बार फिर तेजस्वी यादव ने ये राग अलापना शुरू कर दी है कि जन सुराज तो भाजपा की ‘बी’ टीम है। गत सोमवार को अपने उसी तेवर में कहा कि प्रशांत किशोर बीजेपी की ‘बी’ टीम हैं। लेकिन तेजस्वी यादव लगा रहे थे तो उसे साबित करने में दिमाग नहीं लगा रहे थे। इस बार उन्होंने बकायदा सबूत के साथ पूरी तैयारी से तेजस्वी यादव दमखम के साथ मैदान में उतरे हैं। बतौर सबूत वे बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिलीप जायसवाल के उस वक्तव्य को राज्य की जनता के आगे परोस रहे हैं, जिसमें उन्होंने कहा कि प्रशांत किशोर अगर बीजेपी की ‘बी’ टीम हैं तो तेजस्वी यादव को क्या दिक्कत है? आरजेडी ने एक्स पर कहा कि बीजेपी ने स्वीकारा कि पीके बीजेपी की ‘B’ टीम ही नहीं बल्कि ‘A’ और ‘C’ टीम भी हैं।
आरोप का नया पुलिंदा !
आरजेडी के पोस्ट में ये भी लिखा कि बीजेपी के समर्थक सामाजिक समूह और पदाधिकारी ही इनके अगल-बगल हैं। इनके निर्माता, निर्देशक और वित्त दाता भाजपाई हैं। सरकार को किरकिरी से बचाने और छात्रों के आंदोलन को कुचलने और संभ्रांत कोचिंग, पेपर माफिया को बचाने के लिए ही स्क्रिप्ट लिखी गई है।राजद का दूसरा बड़ा आरोप है कि पुलिस हिरासत में रहकर प्रेस वार्ता करना और शाम में जेल बंद होने के बाद भी रिहाई होना तथा एक दिन में कोर्ट का दो बार निर्णय बदलना क्या शो करता है?
अनशन पर उठा सवाल?
पूर्णिया के निर्दलीय सांसद पप्पू यादव भी प्रशांत किशोर पर हमलावर हैं। उन्होंने कहा कि प्रशांत किशोर के गांधी मैदान में किया गया आमरण अनशन एक ढकोसला है। भरपेट खाकर अनशन पर आकर बैठ गए हैं। रात में अनशन से गायब और सुबह हाजिर। ऐसे अनशन होता है क्या? उधर, जेडीयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि प्रशांत किशोर आमरण अनशन अवैध था। इसी वजह से वह गिरफ्तार किए गए। पटना जिला प्रशासन की चेतावनी के बावजूद उन्होंने धरना जारी रखा था। 2015 के पटना हाईकोर्ट के फैसले में यह स्पष्ट है कि जिला प्रशासन द्वारा तय स्थल पर पूर्व से अनुमति के आधार पर ही धरना दिया जा सकता है।
पीके को मिला फायदा!
वरिष्ठ पत्रकार ओम प्रकाश अश्क का मानना है कि हारल बिल्ली खंभा नोचे। अब चाहे पीके पर जितना आरोप लगा दें। उन्होंने राजनीतिक माइलेज तो ले लिया। एक नजर में देखें तो बीपीएससी के लगभग चार लाख परीक्षार्थियों का दिल तो जीत लिया। चार लाख का मतलब चार लाख परिवार। अगर एक परिवार में पांच सदस्य मान लें तो लगभग 20 लाख। इतना वोट कम नहीं होते। राजद की बेचैनी इस लिए बढ़ गई है कि गत चार विधानसभा के उपचुनाव में महागठबंधन के चार सीटों पर हार का कारण में जनसुराज की मौजूदगी भी है। रहा सवाल पप्पू यादव का, तो यादव बिहार लोक सेवा आयोग के विद्रोही परीक्षार्थियों का विश्वास पाना चाहते थे।