क्‍यों नहीं खत्‍म होना चाहिए ओल्‍ड टैक्‍स रिजीम? एक्‍सपर्ट्स ने बताये एक-एक फायदे

नई दिल्‍ली ,

नई टैक्‍स व्‍यवस्‍था आने के बाद पुराने टैक्‍स व्‍यवस्‍था की ओर ज्‍यादातर टैक्‍सपेयर्स का रुझान कम हुआ है, क्‍योंकि नई टैक्‍स व्‍यवस्‍था (New Tax Regime) के तहत 7 लाख की सालाना कमाई पर कोई टैक्‍स नहीं देना पड़ता है. कुछ लोगों का यहां तक कहना है कि पुरानी टैक्‍स व्‍यवस्‍था (Old Tax Regime) को बंद किया जा सकता है. लेकिन टैक्‍स एक्‍सपर्ट्स इसे बरकरार रखने की पुरजोर वकालत कर रहे हैं.

खबर के मुताबिक, इकोनॉमिक लॉज प्रैक्टिस के पार्टनर दीपेश जैन का कहना है कि पुरानी टैक्‍स व्यवस्था को समाप्त नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि यह अभी भी एक निश्चित इनकम स्तर तक कटौती का दावा करने वाले टैक्‍सपेयर्स को लाभ प्रदान करती है, जो नई टैक्‍स व्यवस्था में उपलब्ध नहीं है. इस उदाहरण से भी समझ सकते हैं.

मान लीजिए 28 वर्षीय रोहित नाम का एक व्‍यक्ति, जो एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर है. यह काम के लिए पुणे से बैंगलोर आया था. वह 25,000 रुपये का मासिक किराया देता है और अपने प्रोविडेंड फंड में नियमित तौर पर निवेश करता है. पुरानी टैक्‍स व्यवस्था के तहत वह अपने किराए पर HRA लाभ और अपने PF निवेश पर कटौती का दावा कर सकता है. यह छूट नई टैक्‍स व्‍यवस्‍था में नहीं मिलता है.

जैन के अनुसार, ऐसा बिल्कुल नहीं है कि नई टैक्‍स व्‍यवस्‍था के आने से पुरानी टैक्‍स व्‍यवस्‍था खत्‍म हो जाएगी. उन्होंने बताया कि नई कर व्यवस्था के तहत कम रेट्स और आय के स्लैब में बदलाव के बावजूद, पुरानी टैक्‍स व्यवस्था अभी भी टैक्‍सपेयर्स के बीच लोकप्रिय है, जो हाउस रेंट अलाउंस (HRA), होम लोन पर ब्याज के अलावा कुछ अन्य कटौतियों का लाभ उठा सकते हैं, जो नई टैक्‍स व्यवस्था में उपलब्ध नहीं हैं.

उदाहरण से समझा जाए तो 35 साल की प्र‍िया एक टीचर हैं, जिन्‍होंने हाल ही में लोन लेकर अपना पहला घर खरीदा है. पुरानी टैक्‍स व्‍यवस्‍था के तहत वह अपने होम लोन ब्‍याज और अपने बच्‍चों के एजुकेशन लोन दोनों पर कटौती का दावा कर सकती हैं. ऐसा लाभ न्‍यू टैक्‍स रिजीम में नहीं दिया जाता है.

किसे पुरानी व्यवस्था पर ही रहना चाहिए?
यह उन लोगों के लिए ज्‍यादा सही माना जाता है, जो निवेश और लोन पर कटौती का लाभ उठाना चाहते हैं. जैन ने सलाह दी कि ऐसे टैक्‍सपेयर्स जो पुरानी टैक्‍स व्यवस्था के तहत मिलने वाली कटौतियों या छूटों का लाभ उठा सकते हैं, लेकिन नई टैक्‍स व्यवस्था में उपलब्ध नहीं हैं, वे नई टैक्‍स व्यवस्था के तहत कम टैक्‍स रेट ब्रैकेट के कारण होने वाली बचत पर विचार करने के बाद पुरानी टैक्‍स व्यवस्था का विकल्प चुन सकते हैं.

गौरतलब है कि तरह-तरह के निवेश, होम लोन और अन्‍य छूट के माध्‍यम से पुरानी टैक्‍स व्यवस्था के तहत 10 से 12 लाख रुपये तक की इनकम पर 0 टैक्‍स देनदारी का फायदा उठा सकते हैं. ऐसे मामले में पुरानी टैक्‍स व्‍यवस्‍था इन टैक्‍सपेयर्स के लिए नई व्यवस्‍था से ज्‍यादा सही मानी जाती है.

क्‍या-क्‍या कर सकते हैं क्‍लेम?
जैन ने कहा, “कुछ करदाताओं के लिए नई कर व्यवस्था की तुलना में पुरानी कर व्यवस्था को चुनने में लाभ है, क्योंकि उन्हें नई टैक्‍स व्यवस्था के तहत मिलने वाली कटौतियों का लाभ मिलता है, जैसे कि मकान किराया भत्ता (HRA), धारा 80C की कटौती (PF, ELSS, PPF), होम लोन पर ब्याज, चिकित्सा बीमा, एजुकेशन लोन पर ब्याज आदि.”

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