पटना
बड़ा शोर था कि मकर संक्रांति के बाद बिहार की सियासत में भूचाल आ जाएगा। हालात भी वैसे ही बनते दिख रहे थे। हाल के वर्षों में कभी कभार नपा-तुला बोलने वाले लालू यादव ने पहली जनवरी को नीतीश कुमार को महागठबंधन के साथ आने का न्योता देकर सियासी उठा-पटक का बड़ा शिगूफा छोड़ दिया था। लालू के न्यौते के पहले आरजेडी विधायक भाई वीरेंद्र ने किसी भी वक्त खेला होने की संभावना जाहिर कर पहले ही सरगर्मी बढ़ा दी थी। इस बीच भाजपा से नीतीश कुमार की नाराजगी की खबरें भी मीडिया की सुर्खियां बनने लगीं।
सरमास बाद खेला की बात!
सच कहें तो सियासी ठा-पटक की संभावनाओं के केंद्र में नीतीश कुमार थे। सबको 14 जनवरी के दही-चूड़ा भोज का इंतजार था। पर, अब तक ऐसा कुछ भी होता नहीं दिख रहा है, जिससे लगे कि बिहार में मंगलवार (14 जनवरी) से कुछ बदलने जा रहा है। जिस दही-चूड़ा भोज में उलट पलट की गंध लोग तलाश रहे थे, उसके कई आयोजन राजनीतिक पार्टियों और नेताओं ने किए हैं। भाजपा नेता और उप मुख्यमंत्री विजय सिन्हा तो इस मामले में सबसे आगे निकल गए। मकर संक्रांति के एक दिन पहले ही उन्होंने दही-चूड़ा भोज का अपने यहां आयोजन किया। राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और सीएम नीतीश कुमार ने भी भोज में शिकरत की।
तेजस्वी और लालू रहे दूर
विजय सिन्हा ने लालू यादव और तेजस्वी को भी निमंत्रण दिया था। लेकिन इन दोनों नेताओं में से किसी ने शिरकत नहीं की। तेजस्वी और लालू ने भोज से दूरी बना लिया। एनडीए नेताओं का जमावड़ा उनके भोज में दिखा। मंगलवार को कांग्रेस ने पार्टी मुख्यालय सदाकत आश्रम में भोज का आयोजन किया है तो बुधवार को रालोजपा के अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस ने दही-चूड़ा की दावत दी है। आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के समय से दही-चूड़ा भोज पर सियासत की शुरुआत हुई थी।
पारस ने लालू-नीतीश को भी न्यौता
मीडिया के लिए रालोजपा अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस की दावत खास आकर्षण का केंद्र है। इसलिए कि उन्होंने सीएम नीतीश कुमार और आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को भी न्यौता है। इसकी खबर आने के बाद सबकी निगाहें उनके आयोजन पर टिकी हुई हैं। पारस के भोज की चौंकाने वाली एक बात यह भी है कि उसमें उन्होंने अपने भतीजे और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान को नहीं बुलाया है। चिराग ने खुद 14 को दही-चूड़ा भोज का आयोजन किया है। हालांकि पारस ने उनसे खुन्नस की वजह से शायद निमंत्रित नहीं किया है। चूंकि एनडीए से पशुपति पारस निराश हो चुके हैं, इसलिए वे महागठबंधन में अपना ठौर तलाश रहे हैं।
नीतीश ने कयासों की हवा निकाल दी
संक्रांति के बाद सियासी उठा-पटक की अधिक आशंका नीतीश कुमार को लेकर थी। जिस तरह भाजपा से उनकी नाराजगी की खबरें आ रही थीं और आरजेडी नेता खेला की भविष्यवाणी कर रहे थे, उससे लगता था कि सच में ऐसा हो जाएगा। पर, नीतीश कुमार ने अब साफ कर दिया है कि वे पहले वाली गलती नहीं करेंगे। यानी एनडीए में ही बने रहेंगे। इतना ही नहीं, संक्रांति के एक दिन पहले उन्होंने विजय सिन्हा के भोज में शामिल होकर अपने कहे पर मुहर भी लगा दी है। नीतीश कुमार ने तमाम अटकलों-आशंकाओं की हवा निकाल दी है।