कोलकाता
इलेक्टोरल बॉन्ड से न सिर्फ राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टियां बल्कि क्षेत्रीय दलों का खजाना भरा था। तृणमूल कांग्रेस, बीजू जनता दल और तेलगूदेशम के बॉन्ड वाले चुनावी चंदे में गजब की बढ़ोतरी हुई थी। सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी 2024 में इलेक्टोरल बॉन्ड को रद्द कर दिया था, इससे पहले क्षेत्रीय पार्टियां चंदे से भी मालामाल हो चुकी थीं। निर्वाचन आयोग में दायर ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार, पिछले वित्तीय वर्ष मार्च 2023 से फरवरी 2024 के बीच टीएमसी को चुनावी बॉन्ड के ज़रिए 612.4 करोड़ रुपये मिले। इसी अवधि में केसीआर की भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) को 495.5 करोड़ रुपये मिले थे। ओडिशा में नवीन पटनायक की बीजेडी को 245.5 करोड़ रुपये का चंदा इलेक्टोरल बॉन्ड से मिला था।
इलेक्टोरल बॉन्ड से सबसे अधिक बीजेपी को चुनावी चंदा मिला था। मगर राजनीतिक दान-पुण्य की इस गंगा में क्षेत्रीय दलों ने भी जमकर गोते लगाए। क्षेत्रीय दलों में इलेक्टोरल बॉन्ड से सबसे अधिक टीएमसी को चंदा मिला। 2023 के मुकाबले उसे इस बॉन्ड के जरिये 88 प्रतिशत अधिक दान मिला। तृणमूल कांग्रेस को कुल 646.4 करोड़ रुपये चंदा मिला था, जिनमें से बॉन्ड के ज़रिए करीब 95 फीसदी यानी 612.4 करोड़ रुपये मिले थे। करिश्माई बॉन्ड से बीआरएस को 72 प्रतिशत, बीजेडी को 82 प्रतिशत, टीडीपी को 61 प्रतिशत, वाईएसआरसीपी को 64 प्रतिशत, डीएमके को 33 फीसदी और जेएमएम को 73 फीसदी चंदा मिला था।
कई राज्यों में दांव उल्टा पड़ गया, हार गया रेस का ‘घोड़ा’
माना जाता है कि दानदाता जीतने वाले घोड़े पर दांव लगाते हैं। हालांकि कई जगह दांव उल्टा पड़ गया। नवंबर 2023 में तेलंगाना में केसीआर की बीआरएस चुनाव हार गई। ओडिशा में बीजेडी के इलेक्टोरल बॉन्ड के चंदे में 181 करोड़ रुपये से अधिक बढ़ोतरी हुई, मगर वह भी सत्ता से बाहर हो गए। आंध्रप्रदेश में चंद्राबाबू नायडू की पार्टी तेलगूदेशम को 2022-23 के मुकाबले ज्यादा चंदा मिला और वह 2024 में सत्ता में लौट गई। टीडीपी को कुल 285.1 करोड़ रुपये का चंदा मिला। जबकि जगनमोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस पार्टी को 121.5 करोड़ रुपये मिले। तमिलनाडु में डीएमके को 60 करोड़ रुपये बॉन्ड से मिले। स्टालिन की पार्टी को कुल डीएमके ने 181 करोड़ रुपये का चंदा मिला था। झारखंड में हेमंत सोरेन के जेएमएम को 11.5 करोड़ और सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट को 5.5 करोड़ रुपये मिले।
केजरीवाल की पार्टी आप ने भी करोड़ों का चंदा लिया
दिल्ली और पंजाब में शासन करने वाली आम आदमी पार्टी को कुल दान का 44 पर्सेंट रकम इलेक्टोरल बॉन्ड से मिली। आप ने अपनी वेबसाइट पर बॉन्ड से मिलने वाले चुनावी चंदे की जानकारी दी है। हालांकि पार्टी ने ट्रस्ट या दूसरे स्रोतों से दान मिलने की डिटेल नहीं दी है, इसलिए माना जा सकता है कि वेबसाइट पर बताए गए 10.1 करोड़ रुपये बॉन्ड से मिले हैं। रिपोर्ट के मुताबिक आम आदमी पार्टी को 22.7 करोड़ रुपये का कुल चंदा मिला था।
हार के बावजूद बीएसपी पर भी मेहरबान रहे दानदाता
निर्वाचन आयोग में दी गई जानकारी के मुताबिक, लगातार चुनाव हारने वाली बीएसपी को भी पिछले आर्थिक सत्र में खूब चंदा मिला। पार्टी ने चुनाव आयोग को 64.8 करोड़ रुपये मिले, जबकि उसे 2022-23 में 29.3 करोड़ रुपये ही मिले थे। लोकसभा चुनाव में कमाल करने वाली अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी ने 26.1 करोड़ रुपये का दान मिलने की जानकारी आयोग को दी है। सीपीएम ही ऐसी राष्ट्रीय पार्टी रही, जिन्हें लाखों में चंदा मिला, जबकि क्षेत्रीय पार्टियां करोड़ों में खेलती रही। सीपीएम को सिर्फ 12.7 रुपये का दान मिला। एनपीपी को 1.1 करोड़ मिले।