नई दिल्ली
दिल्ली में विधानसभा चुनाव की काउंटिंग में अब कुछ ही घंटे बचे हैं। लेकिन आम आदमी पार्टी (AAP) प्रमुख अरविंद केजरीवाल, चुनाव आयोग पर लगातार हमले कर रहे हैं। केजरीवाल ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने उनकी पार्टी के कई बार अनुरोध करने के बावजूद फॉर्म 17सी अपलोड करने से इनकार कर दिया। फॉर्म 17सी में प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में प्रति बूथ पर पड़े वोटों का विवरण होता है। उन्होंने कहा कि इसके जवाब में आम आदमी पार्टी (आप) ने एक वेबसाइट की शुरुआत की है, जहां उसने सभी विधानसभा सीट के लिए फॉर्म 17सी डेटा अपलोड किया है।
‘एक्स’ पर एक पोस्ट में केजरीवाल ने कहा, ‘इस फॉर्म में प्रत्येक बूथ पर डाले गए वोटों का पूरा विवरण होता है। दिनभर में हम प्रत्येक विधानसभा और प्रत्येक बूथ के लिए डेटा को एक सारणीबद्ध प्रारूप में प्रस्तुत करेंगे ताकि प्रत्येक मतदाता इस जानकारी तक पहुंच सके।’ चुनाव आयोग की आलोचना करते हुए केजरीवाल ने कहा कि ऐसी पारदर्शिता सुनिश्चित करना उसकी जिम्मेदारी होनी चाहिए थी।’ केजरीवाल ने कहा, ‘पारदर्शिता के हित में चुनाव आयोग को यह करना चाहिए था, लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि वह ऐसा करने से इनकार कर रहा है।’
क्या है फॉर्म 17सी?
चुनाव संचालन अधिनियम, 1961 के तहत चुनाव के दौरान वोटरों के आंकड़े दो फॉर्मों में भरे जाते हैं। पहले फॉर्म को 17A कहते हैं। जिसमें हर बूथ पर मतदान अधिकारी हर मतदाता की हर डिटेल्स दर्ज करते हैं और रजिस्टर पर साइन भी होता है। इसके बाद फॉर्म 17C को मतदान के आखिर में भरा जाता है। फॉर्म 17C में पोलिंग स्टेशन का नाम और नंबर, इस्तेमाल होने वाले EVM का आईडी नंबर, उस खास पोलिंग स्टेशन के लिए कुल योग्य वोटरों की संख्या और हर वोटिंग मशीन में दर्ज वोट जैसी जानकारियां होती हैं।
क्यों जरूरी फॉर्म 17C
फॉर्म 17C में डेटा का इस्तेमाल उम्मीदवारों की ओर से ईवीएम गणना के साथ मिलान करके मतगणना के दिन नतीजों को सत्यापित करने के लिए किया जाता है। अगर डेटा में कोई खामी मिलती है तो कोर्ट में याचिका भी दायर की जा सकती है। हालांकि एक निर्वाचन क्षेत्र में करीब 2,000 से 3,000 बूथ होते हैं। इतने बूथ पर एक उम्मीदवार के एजेंट होने संभव नहीं है। फॉर्म 17C की एक प्रति प्राप्त करने के लिए एक उम्मीदवार को अपने निर्वाचन क्षेत्र में 2,000 पोलिंग एजेंट रखने की जरूरत पड़ेगी। ये बेहद मुश्किल काम होगा।