ईरान खतरे में, फतवा वापस लीजिए… खामेनेई पर घर में ही बन रहा दबाव, परमाणु हथियारों पर ले सकते हैं फैसला!

तेहरान

इजरायल के साथ तनातनी के बीच ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामेनेई घर में ही घिरते दिख रहे हैं। इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (आईआरजीसी) के कई वरिष्ठ कमांडरों ने अयातुल्लाह खामेनेई पर परमाणु हथियारों पर लगी पाबंदी हटाने का आग्रह कर रहे हैं। आईआरजीसी कमांडरों का कहना है कि पश्चिमी देशों के खतरों के मद्देनजर ये जरूरी है कि खामेनेई अपने उस फतवे को वापस लें, जिसमें उन्होंने मजहबी लिहाज से न्यूक्लियर हथियार बनाने को गलत कहा है। इजरायली वेबसाइट यरुशलम पोस्ट ने द टेलीग्राफ के हवाले से की गई रिपोर्ट में ये दावा किया है।

ईरानी अधिकारियों के हवाले की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2005 में IAEA सम्मेलन के दौरान खामेनेई ने एक फतवे (धार्मिक आदेश) पर दस्तखत किए थे। इस फतवे के हवाले से दिए गए आधिकारिक बयान में कहा गया था कि इस्लाम धर्म परमाणु हथियारों पर प्रतिबंध लगाता है। ऐसे में खामेनेई पर इस फतवे को वापस लेने का दबाव है। इस घटनाक्रम ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम और पश्चिमी देशों से उसके तनावपूर्ण संबंधों पर नए सिरे से बहस छेड़ दी है।

‘ईरान के लिए परमाणु हथियार जरूरी’
आईआरजीसी के कमांडरों की चिंता पश्चिमी देशों से कथित खतरे को लेकर है। एक ईरानी अधिकारी ने बताया है कि खामनेई ने अमेरिकियों के साथ बातचीत और परमाणु हथियारों के विकास पर रोक लगा दी है, ये सब हमें पतन की ओर धकेल रहे हैं। आईआरजीसी के कमांडरों का मानना है कि परमाणु हथियार ईरान की सुरक्षा के लिए आवश्यक हैं।

ईरान के एक और अधिकारी ने कहा कि हम कुछ समय से परमाणु हथियार बनाने से बस कुछ ही बटन दबाने की दूरी पर हैं लेकिन आज इस पर आगे बढ़ने का औचित्य पहले से ज्यादा है। आज ईरान पहले के मुकाबले पश्चिम के खतरे का कहीं ज्यादा सामना कर रहा है। उन्होंने कहा, ‘हम पहले कभी इतने कमजोर नहीं रहे हैं। इससे पहले कि बहुत देर हो जाए, हमें परमाणु हासिल कर लेना चाहिए।’

परमाणु कार्यक्रम पर आते रहे हैं बयान
यह पहली बार नहीं है जब ईरानी अधिकारियों ने इस तरह की चिंता जाहिर की हैं। हालांकि किसी अधिकारी ने इससे पहले परमाणु कार्यक्रमों के फतवे पर कोई टिप्पणी नहीं की थी। ईरान के सर्वोच्च नेता के सलाहकार कमाल खर्राजी ने बीते साल मई में कहा था कि परमाणु बम बनाने का हमारा कोई फैसला नहीं है लेकिन अगर ईरान के अस्तित्व को खतरा हुआ तो हम सैन्य सिद्धांत बदलने को मजबूर होंगे।

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