सरकारी स्‍कीमें क्‍या लोगों को बना रही हैं ‘कामचोर’? एलएंडटी बॉस के ताजा बयान से गरमाई चर्चा

नई दिल्‍ली

लार्सन एंड टुब्रो (L&T) के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर एसएन सुब्रह्ममण्यम फिर सुर्खियों में हैं। इस बार सरकारी स्‍कीमों का जिक्र कर उन्‍होंने कुछ ऐसा कहा है जिस पर चर्चा गरमा गई है। चेन्नई में मंगलवार को उन्‍होंने कहा कि वेलफेयर स्‍कीमों और आराम की उपलब्धता के कारण कंस्‍ट्रक्‍शन लेबर काम करने से कतराते हैं। सीआईआई साउथ ग्लोबल लिंकेजेस समिट में उन्होंने कंस्‍ट्रक्‍शन इंडस्‍ट्री में मजदूरों की कमी पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि दुनियाभर में बड़ी संख्या में लोग काम की तलाश में पलायन कर रहे हैं। लेकिन, भारत में लोग काम के लिए कहीं और जाने को तैयार नहीं हैं। देश के विकास के लिए सड़कें और बिजली संयंत्र जैसे बुनियादी ढांचे का निर्माण महत्वपूर्ण है। यह और बात है कि श्रमिकों की कमी के कारण यह मुश्किल हो रहा है।

हाल में एलएंडटी चीफ के एक बयान ने सोशल मीडिया पर तहलका मचा दिया था। उनके इस बयान पर काफी विवाद हुआ था। दरअसल, उन्होंने कर्मचारियों से सप्ताह में 90 घंटे और रविवार को भी काम करने की बात कही थी। इतना ही नहीं, सुब्रह्मण्यम ने यह भी कहा था कि आप छुट्टी के दिन घर पर बैठकर क्या करेंगे? कितनी देर तक अपनी पत्नी को घूरते रहेंगे? उनके इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर उनकी काफी आलोचना हुई थी।

अब सुब्रह्मण्यम के ताजा बयान पर भी लोगों की तीखी प्रतिक्रिया आई है। लोगों की राय है कि नियोक्‍ता और कर्मचारी के बीच गुलाम और मालिक वाला दौर चला गया है। वर्कर के बदलते व्‍यवहार को समझना होगा।

लेबर जुटाने की समस्‍या का क‍िया ज‍िक्र
सुब्रह्मण्‍यम ने कहा है,’हमें 4 लाख मजदूरों को नियुक्त करना होता है और साल में तीन से चार बार कर्मचारियों के जाने की दर होती है, इसलिए 4 लाख मजदूरों को नियुक्त करने के लिए हम लगभग 60 लाख लोगों को नियुक्त करते हैं।’

सुब्रह्मण्‍यम के मुताबिक, मजदूरों को जुटाने का तरीका भी काफी बदल गया है। नई साइट के लिए कारपेंटर लाने के लिए कंपनी उन कारपेंटरों की लिस्‍ट में मैसेज भेजती है जिनके साथ वो काम कर रही है या पहले काम कर चुकी है। फिर मजदूर खुद तय करते हैं कि काम करना है या नहीं। सुब्रमण्यन ने कहा, ‘यह जुटाने का एक तरीका है। लेकिन, साथ ही कल्पना कीजिए कि अब हर साल 16 लाख लोगों को जुटाना है। इसलिए हमने एक अलग विभाग बनाया है जिसे ‘लेबर के लिए HR’ कहा जाता है जो कंपनी में मौजूद नहीं है लेकिन यह मौजूद है। और कभी-कभी मैं भी उस पर बैठता हूं।’

बदले रवैये के पीछे सरकारी स्‍कीमों को बताया कारण
एलएंडटी सीएमडी के अनुसार, लोगों के काम पर न आने की कई वजहें हैं। जन धन खाते, डायरेक्‍ट बेनिफिट ट्रांसफर, गरीब कल्याण योजना, मनरेगा जैसी योजनाओं के कारण लोग ग्रामीण इलाकों में ही आराम से रहना पसंद कर रहे हैं। सुब्रह्मणयम ने कहा, ‘लोग विभिन्न कारणों से आने को तैयार नहीं हैं, क्योंकि बैंक खाते (जन धन), प्रत्यक्ष लाभ अंतरण, गरीब कल्याण योजना, मनरेगा जैसी योजनाएं हैं। वे ग्रामीण स्थानों से हटना नहीं चाहते, आराम पसंद करते हैं।’

इंजीन‍ियर‍िंंग और दूसरे व‍िभागों में भी बताई समस्‍या
इंजीनियरिंग पदों पर भी ऐसी ही समस्या है जहां स्नातक दूसरी जगह जाकर काम करने को तैयार नहीं होते। सुब्रह्मण्‍यम ने बताया, ‘जब मैं 1983 में L&T में शामिल हुआ, मेरे बॉस ने कहा, अगर आप चेन्नई से हैं तो आप दिल्ली जाकर काम करें। आज अगर मैं चेन्नई के एक लड़के को ले जाऊं और उससे कहूं कि वह दिल्ली जाकर काम करे तो वह बाय कहता है।’ यह समस्या सूचना प्रौद्योगिकी (IT) क्षेत्र में ज्‍यादा है, जहां कर्मचारी कार्यालय से काम करने को तैयार नहीं हैं और पुरानी पीढ़ी इसे समझने के लिए संघर्ष कर रही है।

उन्होंने कहा, ‘अगर आप उसे (आईटी कर्मचारी) कार्यालय आने और काम करने के लिए कहते हैं तो वह बाय कहता है। और यह पूरी तरह से एक अलग दुनिया है। इसलिए, यह एक अजीब दुनिया है जिसमें हम जीने की कोशिश कर रहे हैं और हममें से कई लोग थोड़े और सफेद बाल वाले इसे समझने की कोशिश कर रहे हैं। हमें देखना होगा कि इस दुनिया के साथ कैसे रहना है और ऐसी नीतियां हैं जो यह सब समझने और इसे आगे ले जाने के लिए लचीली हैं।’

About bheldn

Check Also

पहली बार 86000 रुपये के पार पहुंचा सोना… आखिर क्‍यों आ इतनी रही तेजी, कब होगा सस्‍ता?

नई दिल्‍ली , हर दिन सोना नया रिकॉर्ड बना रहा है. कल सोना (Gold Rate) …