भोपाल ,
मध्य प्रदेश के नीमच जिले की एक महिला सरपंच को प्रशासन ने उनके पद से हटा दिया, क्योंकि उन्होंने ₹500 के स्टांप पेपर पर एक समझौते के जरिए अपने अधिकार गांव के एक व्यक्ति को सौंप दिए थे. यह मामला दाता पंचायत (जनपद मनासा) की सरपंच कैलाशीबाई कछावा से जुड़ा है.
मुख्य कार्यपालन अधिकारी (CEO) अमन वैष्णव ने बताया कि शिकायत मिली थी कि सरपंच ने अपने अधिकार सुरेश गरासिया नाम के शख्स को सौंप दिए. इसके बाद जांच के आदेश दिए गए और सरपंच को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया.
महिला सरपंच ने अपने अधिकार दूसरे को सौंपे
सरपंच कैलाशीबाई ने आरोपों को खारिज किया, लेकिन जांच में पाया गया कि स्टांप पेपर ऑनलाइन खरीदा गया था और उन्होंने वास्तव में इस समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. समझौते में गवाहों के बयान भी दर्ज किए गए, जिससे आरोप पुख्ता हो गए.
24 जनवरी को हुए इस समझौते में लिखा था कि सुरेश गरासिया सरपंच के सभी कार्य देखेंगे. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGA), प्रधानमंत्री आवास योजना और वॉटरशेड मिशन से जुड़े फैसले भी वही लेंगे. सरपंच कोई दखल नहीं देंगी और गरासिया के निर्देशों पर ही दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करेंगी.
प्रशासन ने महिला सरपंच को हटाया
अगर कोई समझौते का उल्लंघन करता है, तो उसे जुर्माना भरना होगा (राशि का जिक्र नहीं है). प्रशासन की जांच में सभी आरोप सही पाए गए. सोमवार को सरपंच कैलाशीबाई कछावा को पद से हटा दिया गया. समझौते की कॉपी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, जिससे यह मामला चर्चा में आ गया है.
इस घटना पर प्रशासन का कहना है कि सरपंच पद व्यक्तिगत नहीं, बल्कि संवैधानिक जिम्मेदारी है, जिसे इस तरह किसी और को सौंपा नहीं जा सकता. अब पंचायत का कार्यभार नए सरपंच के चयन तक प्रशासन देखेगा.