नई दिल्ली,
डोनाल्ड ट्रंप आए दिन नए-नए टैरिफ का ऐलान कर रहे हैं जिससे दुनिया भर में हड़बड़ी मची हुई है. 4 फरवरी को उन्होंने चीन से अमेरिका में आयात किए जा रहे सभी सामानों पर 10% का टैरिफ लगा दिया. बदले की कार्रवाई करते हुए चीन ने भी अमेरिकी सामानों पर टैरिफ की घोषणा की. इसके तुरंत बाद ही खबर आई कि ट्रंप ने अमेरिका में आयात किए जा रहे सभी स्टील और एल्यूमिनियम उत्पादों पर 25% का टैरिफ लगा दिया है. और इस टैरिफ का निशाना है चीन.
अमेरिका के कुल स्टील इस्तेमाल का एक चौथाई हिस्सा आयात होता है. चीन दुनिया का सबसे बड़ा स्टील उत्पादक और निर्यातक है लेकिन अमेरिका को यह बहुत कम मात्रा में स्टील निर्यात करता है.
हालांकि, एल्यूमिनियम के लिए अमेरिका बहुत हद तक चीन पर निर्भर है. अमेरिका में जितना भी एल्यूमिनियम इस्तेमाल होता है, उसका 50 फीसद आयात किया जाता है. अमेरिका सबसे अधिक एल्यूमिनियम कनाडा और संयुक्त अरब अमीरात से खरीदता है. तीसरे नंबर पर चीन है जहां से अमेरिका लाखों मीट्रिक टन एल्यूमिनियम खरीदता है.
ट्रंप के स्टील और एल्यूमिनियम पर टैरिफ का असर दुनिया के उन सभी देशों पर पड़ेगा जो अमेरिका को भारी मात्रा में ये धातु निर्यात करते हैं. इनमें चीन के अलावा कनाडा, मैक्सिको और ब्राजील जैसे देश शामिल हैं.
एशियाई देश दक्षिण कोरिया, वियतनाम, ऑस्ट्रेलिया और जापान पर भी ट्रंप के नए टैरिफ का असर होगा. ऑस्ट्रेलिया ने पहले ही कहा है कि वो टैरिफ से छूट के लिए अमेरिका से बातचीत करने की कोशिश करेगा.लेकिन अगर किसी देश को टैरिफ से छूट पानी है तो उसका एक ही तरीका है और वो है- ट्रंप को यह यकीन दिलाना कि उस देश पर लगे टैरिफ अमेरिका के हित में नहीं हैं.
चीन निशाना लेकिन ट्रंप के टैरिफ से कैसे फायदे में रहेगा चीन?
ट्रंप ने स्टील और एल्यूमिनियम पर 25% का जो टैरिफ लगाया है वो दुनिया के हर उस देश पर लागू होता है जो अमेरिका को इन धातुओं की सप्लाई करता है. इसके अलावा ट्रंप ने दुनिया के तीन देशों को निशाना बनाकर भी टैरिफ लगाया है जिसमें चीन पर 10%, कनाडा और मैक्सिको पर शुरुआती 25% टैरिफ शामिल है.
ट्रंप के टैरिफ के जवाब में चीन ने भी कच्चे तेल, लिक्विफाइड नेचुरल गैस, कोयला, कृषि मशीनरी और पिक-अप ट्रकों पर 10-15% का टैरिफ लगा दिया है. चीन ने बदले की कार्रवाई में अन्य कदम भी उठाए हैं जैसे 25 महत्वपूर्ण खनिजों के अमेरिका निर्यात पर प्रतिबंध लगाना और कई अमेरिकी कंपनियों को बैन करना.
कई विश्लेषकों का कहना है कि ट्रंप के टैरिफ की कार्रवाई के केंद्र में भले ही चीन हो लेकिन इसका सबसे अधिक फायदा चीन को ही होने वाला है. विश्लेषकों का कहना है कि चीन इस मौके को ग्लोबल साउथ के देशों के लिए एक विश्वसनीय साझेदार के रूप में पेश करने के लिए कर सकता है. वो ग्लोबल साउथ के देशों को यह विश्वास दिला सकता है कि चीन के साथ व्यापारिक साझेदारी पर विश्वास किया जा सकता है.पश्चिमी देश रूस-यूक्रेन युद्ध और वैश्विक व्यापार युद्ध में उलझे हुए हैं और उनका ध्यान बंटा हुआ है, ऐसे में चीन बिना किसी हस्तक्षेप के अपनी राष्ट्रीय प्राथमिकताओं पर ध्यान केंद्रित कर सकता है.