नई दिल्ली ,
शेयर बाजार में इन दिनों नुकसान का दौर चल रहा है. निवेशकों के पोर्टफोलियो की ‘शक्ल’ लाल है. ये गिरावट पिछले साल अक्टूबर से ही जारी है. हालांकि बीच में कभी-कभी एक दो दिन रैली आई, लेकिन यह भी ज्यादा समय तक नहीं टिकी. नतीजन निवेशकों को पिछले साल के अक्टूबर से ही तगड़ा नुकसान उठाना पड़ा है. किसी का प्रॉफिट अब खत्म हो चुका है तो किसी ने निवेश की गई रकम अब निगेटिव में है.
फरवरी 2025 में ही निवेशकों के बीएसई लिस्टेड कंपनियों की वैल्यूवेशन में 17 लाख करोड़ रुपये की गिरावट आई है. इसी अवधि के दौरान बेंचमार्क इक्विटी इंडेक्स बीएसई सेंसेक्स में करीब 2% की गिरावट आई है. दूसरी ओर, बीएसई मिडकैप और बीएसई स्मॉलकैप में इस महीने करीब 5% की गिरावट आई है. Nifty की बात करें तो यह भी करीब 2 फीसदी गिरा है.
क्यों गिर रहा मार्केट?
घरेलू मोर्चे पर, कंपनियों की कमजोर आय ने बिकवाली दबाव बढ़ा दिया है. इसके अलावा, ग्लोबल लेवल पर अमेरिका और अन्य देशों के बीच संभावित ट्रेड वार को लेकर बढ़ती चिंताओं ने शेयर बाजार में गिरावट को बढ़ाया है. ट्रंप की ओर से कई देशों पर टैरिफ लगाए जाने के कारण भी मार्केट में गिरावट आई है.
कहां निवेश करना चाहिए?
बिजनेस टुडे के साथ बातचीत में मास्टर कैपिटल सर्विसेज के एवीपी-रिसर्च एंड एडवाइजरी, विष्णु कांत उपाध्याय ने कहा कि सरकार का फोकस भारत को सड़, रेलवे और रिन्यूवेबल एनर्जी, मैन्युफैक्चरिंग, सीमेंट ओर कैपिटल गूड्स जैसे सेक्टर्स पर है. उन्होंने कहा कि IT सेक्टर्स ने भी तिमाही नतीजे के मामले में अच्छा रिस्पॉन्स दिखाया है.
उन्होंने आगे कहा कि बजट में आयकर को लेकर छूट का ऐलान, मिडिल क्लास के लिए खर्च को बढ़ावा देगा. क्योंकि इससे खर्च करने योग्य आय ज्यादा बचेगी. ऐसे में कंज्यूमर गूड्स, रिटेल और टूरिज्म जैसे सेक्टर्स में तेजी आ सकती है.
कहां तक गिर सकता है बाजार?
एक्सपर्ट्स ने कहा कि निफ्टी का 22,700-22,800 पर सपोर्ट दिख रहा है. अगर यह भी लेवल टूटता है तो यह 22,000 की ओर जा सकता है. वहीं ऊपर की ओर 23,800-24,000 एक मजबूत तेजी ला सकता है. निकट भविष्य में तेजी जारी रहने के लिए इस सीमा से ऊपर एक निरंतर ब्रेकआउट आवश्यक है. अभी निफ्टी 23,045.25 पर है.
कौन से शेयर कराएंगे कमाई?
उन्होंने निवेशकों को इंडसइंड बैंक और इंफोसिस पर फोकस रहने की सलाह दी है. एक्सपर्ट ने कहा कि आर्थिक विकास में मंदी की चिंताओं ने भी भारतीय शेयर बाजार के लिए चुनौतीपूर्ण माहौल बनाया, जिसके कारण विदेशी निवेशकों द्वारा लगातार बिकवाली की गई. उन्होंने कहा कि आगामी तिमाही में भारतीय कंपनियों के लिए संभावित सुधार होने की उम्मीद है.