भारत के पड़ोस में हुई एलन मस्क के स्टारलिंक की एंट्री, हमारे यहां कहां फंसा है पेच?

नई दिल्ली

दुनिया के सबसे बड़े रईस एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक ने भारत के पड़ोसी देश भूटान में सैटकॉम सर्विसेज शुरू कर दी है। यह कंपनी सैटेलाइट के जरिए इंटरनेट सेवा देती है। मस्क ने खुद इस बात की जानकारी दी है कि स्टारलिंक ने भूटान में अपनी सेवाएं शुरू कर दी है। इस कंपनी ने सबसे पहले नवंबर 2020 में अमेरिका में सैटेलाइट के जरिए इंटरनेट सर्विस शुरू की थी। उसके बाद से करीब 100 देशों में इसकी सर्विसेज शुरू हो चुकी हैं। पिछले महीने कंपनी ने लाइबेरिया और तुवालू में अपनी सर्विस शुरू की थी और इस महीने भूटान में भी स्टारलिंक की सेवाएं शुरू हो गईं।

स्टारलिंक ने भारत में सैटकॉम सर्विसेज शुरू करने के लिए आवेदन किया है। लेकिन कंपनी को अब तक सरकार से लाइसेंस नहीं मिला है। अमेरिका में हाल में हुए राष्ट्रपति चुनावों में डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद माना जा रहा था कि स्टारलिंक को बैकडोर एंट्री मिल सकती है। इसकी वजह यह है कि मस्क को ट्रंप का करीबी माना जाता है। लेकिन टेलिकॉम मिनिस्टर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने साफ किया है कि स्टारलिंक को भारत में लाइसेंस हासिल करने के लिए सभी नियमों का पालन करना होगा।

कहां फंसा है पेच
भारत में सरकार ने अब तक भारती ग्रुप के निवेश वाले वनवेब और जियो-एसईएस के जॉइंट वेंचर जियो सैटेलाइट कम्युनिकेशंस को ही सैटकॉम का लाइसेंस जारी किया है। स्टारलिंक के अलावा ऐमजॉन ने भी लाइसेंस के लिए आवेदन किया है। लेकिन स्पेक्ट्रम के आवंटन और इसकी कीमत को लेकर देसी और विदेशी कंपनियों में मतभेद हैं। घरेलू कंपनियों का तर्क है कि शहरी या ‘खुदरा’ उपभोक्ताओं को सेवा देने के लिए केवल नीलाम किए गए उपग्रह स्पेक्ट्रम का ही उपयोग किया जाना चाहिए। उनका कहना है कि ग्लोबल सैटेलाइट ऑपरेटर शहरों में सैटेलाइट ब्रॉडबैंड की पेशकश करने की योजना बना रहे हैं, जो सीधे स्थानीय दूरसंचार कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा करेगा।

दूसरी ओर ग्लोबल सैटेलाइट ऑपरेटरों ने स्पेक्ट्रम की नीलामी के विचार को खारिज कर दिया है। उनका कहना है कि यह सही तरीका नहीं है। स्पेक्ट्रम एक साझा संसाधन है, इसलिए इसकी नीलामी नहीं की जानी चाहिए। स्टारलिंक और ऐमजॉन भारत में सैटेलाइट से ब्रॉडबैंड सेवाएं लाने के लिए अपने लो-अर्थ ऑर्बिट सैटेलाइट का उपयोग करने की योजना बना रहे हैं। भारत में सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवाएं अभी तक शुरू नहीं हुई हैं, क्योंकि सरकार मूल्य निर्धारण और स्पेक्ट्रम आवंटन के नियमों पर काम कर रही है। इस बारे ट्राई की सिफारिशें आने के बाद ही बात आगे बढ़ेगी।

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