नई दिल्ली,
अमेरिका जो करता है, उसका असर उसे फॉलो करने वाले बाकी पश्चिमी देशों पर भी दिखने लगता है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आने के साथ ही अवैध रूप से देश पहुंचे लोगों को डिपोर्ट किया जाने लगा. इसमें 100 से ज्यादा भारतीय भी पहली खेप में वापस लौटाए जा चुके. अब ब्रिटेन में भी घुसपैठ पर कार्रवाई शुरू हो चुकी. यूके सरकार ने सोमवार को एलान किया कि जनवरी में सैकड़ों अवैध इमिग्रेंट्स की पहचान कर उन्हें गिरफ्तार किया जा चुका, और ऐसी धरपकड़ आगे भी चलती रहेगी.ब्रिटेन के साथ भारत के रिश्ते आमतौर पर उतनी गर्मजोशी वाले नहीं, जितने ट्रंप या अमेरिका के साथ रहे. तो क्या यूके सरकार की कार्रवाई का असर वहां चुपचाप पहुंचे भारतीयों पर भी हो सकता है?
अभी क्या हो रहा है ब्रिटेन में
यूके में इनफोर्समेंट टीम फिलहाल अवैध रूप से रहते लोगों की पहचान में लगी हुई है. दस्तावेजों की कमी के चलते ये लोग स्किल्ड लेबर में नहीं जा पाते, ऐसे में छोटे-मोटे काम करने लगते हैं. अधिकतर लोग पेट्रोल पंप, रेस्त्रां, होटल, कॉर वॉश स्टोर, ब्यूटी पार्लर और स्पा सेंटरों में काम करते हैं. इन दुकानों के मालिक सस्ते लेबर की खोज में इललीगल इमिग्रेंट्स को रख लेते हैं और कैश में लेनदेन करते हैं ताकि किसी को शक न हो. अब सरकार इन जगहों पर छापेमारी कर रही है. पिछले साल की तुलना में इसमें 73 प्रतिशत की बढ़त हुई.
क्या कहना है सरकार का
ब्रिटिश गृह मंत्री इवेट कूपर ने कहा कि ब्रिटेन के इमिग्रेशन नियमों की रेस्पेक्ट होनी चाहिए. काफी वक्त से अवैध तौर पर काम करने वाले बचते चले आ रहे थे. ये न केवल हमारे सिस्टम का गलत इस्तेमाल है, बल्कि इसमें प्रवासियों का भी शोषण होता है. ये मानव तस्करी को बढ़ाने जैसा है. इसमें बाहर आने के इच्छुक लोग कई बार बिना जरूरत के भी अपनी सारी पूंजी लगा देते हैं और एजेंटों के जरिए खतरनाक रास्तों से सीमा पार करते हैं. बहुत से देशों के लोग छोटी बोटों से नदियां, समुद्र पार करते हैं. इसमें बहुतों की मौत हो जाती है. कई लोग रास्ते में ही माफिया का शिकार हो जाते हैं. जबकि कई भूख-प्यास से, या मौसम की मार से खत्म हो जाते हैं.
नागरिकों में बढ़ी नाराजगी
अवैध इमिग्रेशन का असर यूके की अपनी इकनॉमी पर हो रहा है. पहले से ही महंगाई की मार झेल रहे देश में नौकरियां, और रहने की जगह बंटने लगी. स्थानीय लोग ये आरोप भी लगाने लगे कि घुसपैठियों की वजह से क्राइम बढ़ रहा है. युद्ध-प्रभावित देशों से आए लोग पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्टेस के चलते नए कल्चर, नए लोगों के साथ मेलजोल नहीं रख पा रहे.
बीते कुछ समय में लंदन समेत यूके के बहुत से हिस्सों में एक खास समुदाय के लोगों के हावी होने और हिंसक होने जैसी खबरें भी आती रहीं. माना जा रहा है कि ब्रिटिश सरकार अपनी अर्थव्यवस्था दुरुस्त करने के साथ-साथ स्थानीय लोगों को भी साधने की कोशिश में अवैध इमिग्रेंट्स पर धड़ाधड़ एक्शन ले रही है.
डिपोर्टेशन के वीडियो जारी कर रही सरकार
ब्रिटेन के पीएम किएर स्टार्मर पर दबाव है कि वे केवल दावे न करें, बल्कि करके भी दिखाएं. यही वजह है कि सरकार बयानों के साथ-साथ घुसपैठियों की विदाई के वीडियो भी जारी कर रही है. इसमें बहुत से लोग नशे की सप्लाई और बच्चियों के रेप जैसे गंभीर मामलों में दोषी पाए गए. साथ ही साथ उन व्यावसायियों को भी नोटिस दिया जा रहा है, जो अवैध इमिग्रेंट्स को काम पर रखे हुए हैं. बड़े फाइन लगाए जा रहे हैं ताकि प्रेशर में आकर लोग खुद ही ऐसे लोगों की पहचान सामने ले आएं.
इंटरनेशनल स्तर पर एक्शन
होम ऑफिस की कार्रवाई यूके तक ही सीमित नहीं, उसने वियतनाम और अल्बानिया में भी एक कैंपेन शुरू किया. सोशल मीडिया के जरिए लोगों को एजेंट्स के खतरों से आगाह किया जा रहा है, साथ ही आने के इच्छुक लोगों से लीगल रास्ता लेने की अपील भी है ताकि वे चैन से रह सकें. इसमें इललीगली आए लोगों की कहानियां भी हैं कि वे छिपकर रहने की वजह से किन हालात में रहते हैं.
विपक्षी दल कर रहे आलोचना
बॉर्डर सिक्योरिटी असाइलम एंड इमिग्रेशन बिल इस तरह से बनाया गया ताकि एक्शन लेने वाली फोर्स को ज्यादा से ज्यादा ताकत मिले और वे क्रिमिनल नेटवर्क के खिलाफ बिना देरी एक्शन ले सकें. इसके तहत पुलिस ऐसे लोगों के फोन भी सीज कर रही है, जो चुपके से यूके बॉर्डर पार करके पहुंचे. हालांकि विपक्षी कंजर्वेटिव पार्टी सारी कार्रवाई को कमजोर कहते हुए इसमें और सख्ती लाने की बात कर रही है. वहीं ग्रीन पार्टी का कहना है कि ये पहले से ही परेशान लोगों पर क्रूरता है. सरकार को उन्हें निकालने की बजाए वैध करने पर ध्यान देना चाहिए.
कितने भारतीय हैं यूके में
चूंकि हम अवैध इमिग्रेंट्स की बात कर रहे हैं, लिहाजा इसकी पक्की जानकारी मुश्किल है. जॉइंट काउंसिल फॉर द वेलफेयर ऑफ इमिग्रेंट्स नामक संस्था के मुताबिक ब्रिटेन में बिना दस्तावेज वाले लोगों की सटीक संख्या का कोई आंकड़ा नहीं. हालांकि इसमें बड़ी संख्या में एशियाई और भारतीय भी हैं. कई संस्थाएं अलग-अलग अनुमान लगाती रहीं. साल 2023 में यूके पहुंचने के लिए हजार से ज्यादा भारतीयों ने इंग्लिश चैनल का सहारा लिया. वहीं इसी साल लगभग एक लाख लोग अवैध रूप से वहां पहुंचे. द हिंदू की एक रिपोर्ट में दावा है कि बीते कुछ ही सालों में अवैध तौर पर ब्रिटेन पहुंचने वाले 18 से 29 साल के लोगों की संख्या 60 फीसदी से ज्यादा हो गई. बहुत से ऐसे लोग हैं, जो इललीगली पहुंचे तो, लेकिन वहां जाकर कोर्ट की शरण लेते हुए नागरिकता के लिए आवेदन कर दिया.
कितने भारतीयों को मिलती है शरण
ब्रिटिश नागरिकता के लिए काफी सारे लोग आवेदन करते हैं. लेकिन वहां की सरकार ने सबके लिए एक कंट्री लिमिट तय कर रखी है. इसके तहत हर देश से कुछ निश्चित प्रतिशत को ही मंजूरी मिलती है. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट कहती है कि शरण मिलने के हिसाब से भारतीय आबादी 15वें पायदान पर है. ईरान इसमें टॉप पर है. वहां से 77 से 86 फीसदी आवेदकों को शरण मिल जाती है. वहीं सिर्फ 6 से 9 फीसदी भारतीयों को ही सालाना मंजूरी मिल पाती है. मसलन, पिछले कुछ सालों को देखें तो साल 2019 से 2023 तक तीन सौ से भी कम भारतीयों को शरण या रिफ्यूजी स्टेटस के बगैर रहने की इजाजत मिली.