‘सुप्रीम कोर्ट पर नहीं है सियासी असर’ पूर्व CJI चंद्रचूड़ ने न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट को भी नकार दिया

नई दिल्ली

पूर्व CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने उन आरोपों को खारिज किया है जिनमें कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट पर राजनीति का प्रभाव होता है. उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने व्यक्तिगत स्वतंत्रता को बनाए रखा है. मीडिया संस्थान BBC को दिए इंटरव्यू में पूर्व CJI ने नेताओं और राजनीतिक कार्यकर्ताओं को जमानत देने के कोर्ट के रिकॉर्ड का हवाला दिया. उन्होंने कहा कि देश में उचित प्रक्रिया और कानून का शासन बरकरार है.

पिछले कुछ समय में विपक्षी दलों ने आरोप लगाए हैं कि सुप्रीम कोर्ट का इस्तेमाल राजनीतिक हितों के लिए किया जा रहा है. पूर्व CJI ने अपने जवाब में कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 21,300 याचिकाओं का निपटारा किया था. उन्होंने आगे कहा, मैं उन राजनीतिक नेताओं का नाम नहीं लूंगा जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दी है. लेकिन इससे पता चलता है कि कानून की उचित प्रक्रिया और कानून का शासन बरकरार है. उच्च न्यायालयों, विशेष रूप से सुप्रीम कोर्ट ने एक स्पष्ट संदेश दिया है कि हम यहां व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा के लिए हैं.

जनवरी 2023 में अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक संपादकीय छापा था. इसमें आरोप लगाया गया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार अपने विरोधियों को निशाना बनाने के लिए अदालतों का इस्तेमाल कर रही है. पूर्व CJI चंद्रचूड़ ने इस अंतरराष्ट्रीय आलोचना को भी खारिज कर दिया. उन्होंने कहा, न्यूयॉर्क टाइम्स पूरी तरह से गलत है. भारत के 2024 के आम चुनाव के परिणामों ने उन दावों को गलत साबित कर दिया है कि देश ‘वन-पार्टी स्टेट’ की ओर बढ़ रहा है. उन्होंने विभिन्न राज्यों में क्षेत्रीय राजनीतिक दलों की सफलता पर प्रकाश डाला. और कहा कि इससे पता चलता है कि भारत का लोकतांत्रिक ढांचा संपन्न है.

न्यायपालिका में लिंग और जाति के आधारित नुमाइंदगी की जो स्थिति है, पूर्व CJI ने इस मामले पर भी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने स्वीकार किया कि लिंग और जाति के आधार पर प्रतिनिधित्व के मामले में अदालतों में एक ऐतिहासिक असंतुलन है. उन्होंने ये भी कहा कि इस मामले में ज्यूडिशियल सिस्टम के निचले स्तर पर प्रगति हुई है. उन्होंने कहा, यदि आप भारतीय न्यायपालिका में भर्ती के निचले स्तर को देखें, तो नई भर्तियों में 50 प्रतिशत से अधिक महिलाएं हैं. वो लैंगिक संतुलन, जो आपको लॉ स्कूलों में मिलता है, अब भारतीय न्यायपालिका के निचले स्तर पर भी दिखता है.उन्होंने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 को हटाने वाले अपने फैसले का बचाव किया. उन्होंने कहा कि ये व्यवस्था हमेशा के लिए नहीं थी. इसे धीरे-धीरे समाप्त होना था.

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