इंदौर
डॉ. अंबेडकर नगर (महू) के उप-जेल में कैदियों के साथ मारपीट का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। एक कैदी द्वारा इंदौर कलेक्टर को की गई शिकायत में जेल के भीतर रिश्वत के बदले सुविधाएं देने और कैदियों के साथ मारपीट की बात कही गई है। मामला तूल पकड़ने के बाद जेल विभाग के डीजीपी ने डिप्टी जेलर मनोज चौरसिया को निलंबित कर दिया है। पूरे प्रकरण की दोबारा जांच के आदेश दिए हैं।
शिकायतकर्ता ने जेल में हो रहे भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए कुछ वीडियो और फोटो भी साक्ष्य के रूप में कलेक्टर को सौंपे है। इन वीडियो में जेल के भीतर अवैध गतिविधियां साफ देखी जा सकती हैं। एक वीडियो में एक महिला, जिसे कैदी की पत्नी बताया जा रहा है, जेल के अंदर मोबाइल फोन पर बात करती हुई नजर आ रही है। वहीं, दूसरे वीडियो में दो कैदी आपस में झगड़ते दिखाई दे रहे हैं। लेकिन सबसे सनसनीखेज वीडियो डिप्टी जेलर मनोज चौरसिया का है, जिसमें वह एक कैदी के साथ क्रूरता से मारपीट कर रहे हैं।
कैदी की बेरहमी से पिटाई
वीडियो में काली टी-शर्ट पहने डिप्टी जेलर चौरसिया कैदी को जमीन पर पटकते हुए देखा जा सकता है। इसके बाद उन्होंने कैदी के गले पर पैर रखा और चेहरे पर कई लातें मारीं। इतना ही नहीं, उन्होंने कैदी की गर्दन को अपने दोनों पैरों के बीच फंसा लिया। इस दौरान सिपाही महेंद्र कुशवाह और जेल प्रहरी दया किशन कुशवाह भी कैदी को लात मारते हुए नजर आए।
डिप्टी जेलर मनोज चौरसिया निलंबित
वीडियो और फोटो वायरल होने के बाद डीजीपी ने तत्काल कार्रवाई करते हुए डिप्टी जेलर मनोज चौरसिया को निलंबित कर दिया है। साथ ही पूरे मामले की पुनः जांच के आदेश भी जारी किए गए हैं। पुरे मामले को लेकर जेल अधीक्षक अलका सोनकर का कहना है कि वायरल वीडियो पुराने हैं । ऐसे में सवाल उठता है कि यदि वीडियो पुराने है, तो दोषियों पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई? आखिर वीडियो के दोबारा वायरल होने के बाद ही कार्रवाई क्यों हुई?