नई दिल्ली,
रूस और यूक्रेन के बीच लगभग तीन सालों से चल रहा युद्ध अब समाप्त हो सकता है. दोनों देशों के बीच शांति समझौते के लिए अमेरिका और रूस सऊदी अरब में मिलने वाले हैं. सुलह की संभावना के बीच सोमवार को कच्चे तेल की कीमतों में लगातार चौथे दिन गिरावट देखी गई है. रूस-यूक्रेन शांति समझौते से रूस पर लगे प्रतिबंधों में ढील दी जाएगी और इसकी संभावना भर से ही तेल की कीमतें नीचे जा रही हैं.अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दुनिया के देशों पर जो टैरिफ लगाया है, उससे भी आर्थिक विकास धीमा होने और ऊर्जा का मांग कम होने की आशंका है. तेल की कीमतों पर इन चिंताओं का भी असर देखने को मिल रहा है.
लगातार गिर रहा वैश्विक क्रूड ट्रेडमार्क ब्रेंट
वैश्विक बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड सोमवार को 20 सेंट या 0.2% गिरकर 74.59 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके प्रशासन के अधिकारियों ने यूक्रेन में युद्ध खत्म करने के लिए रूस के साथ बातचीत शुरू कर दी है और उसके बाद से ही ब्रेंट क्रूड की कीमतों में चार सत्रों 3.1% की गिरावट आई है.
वहीं, अमेरिका का वेस्ट टेक्सास क्रूड (WTI) सोमवार को 23 सेंट या 0.3% की गिरावट के साथ 70.51 डॉलर प्रति बैरल पर था. पिछले चार सत्रों में WTI में 3.8% की गिरावट आई है और सोमवार को यह 70.12 डॉलर प्रति बैरल तक गिर गया. 30 दिसंबर के बाद WTI में आई यह सबसे बड़ी गिरावट है.
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने रविवार को कहा कि वो यूक्रेन में युद्ध समाप्त करने पर चर्चा करने के लिए “बहुत जल्द” रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मिल सकते हैं. उन्होंने यह टिप्पणी ऐसे समय में की है जब अमेरिका और रूस आने वाले दिनों में सऊदी अरब में मिलकर युद्ध समाप्त करने पर चर्चा करने वाले हैं.
तेल की गिरती कीमतों पर एक्सपर्ट क्या बोले?
निसान सिक्योरिटीज की एक यूनिट एनएस ट्रेडिंग के अध्यक्ष हिरोयुकी किकुकावा ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से बात करते हुए कहा, ‘रूस-यूक्रेन युद्ध विराम और रूस पर लगे प्रतिबंधों में ढील की संभावना से बाजार नीचे हैं. ट्रंप जो टैरिफ लगा रहे हैं, उससे भी आर्थिक मंदी की चिंता सामने आ रही है जिससे तेल की कीमतों पर असर हो रहा है.’ उनका कहना है कि WTI अभी कुछ समय तक 66-76 डॉलर प्रति बैरल के बीच ही रहेगा क्योंकि तेल की कीमतों में और गिरावट से अमेरिकी तेल उत्पादन पर अंकुश लग सकता है.
24 फरवरी 2022 को यूक्रेन के साथ युद्ध शुरू करने को लेकर अमेरिका और यूरोपीय संघ ने रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाए थे जिसमें उसके तेल निर्यात पर चोट करना भी शामिल था. रूसी तेल पर प्रतिबंध से समुद्र के जरिए रूस की तेल सप्लाई बहुत कम हो गई. शांति समझौते से रूसी तेल पर लगे प्रतिबंध हटेंगे जिससे वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति को बढ़ावा मिल सकता है.
रूस-यूक्रेन को बीच शांति से भारत को क्या होगा फायदा?
भारत दुनिया में कच्चे तेल का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है और अपनी 85 प्रतिशत से अधिक जरूरतों को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर है. रूस-यूक्रेन के बीच शांति समझौते से भारत को बहुत फायदा मिलने वाला है क्योंकि रूस भारत का शीर्ष कच्चा तेल सप्लायर है.
ऊर्जा कार्गो ट्रैकिंग फर्म वोर्टेक्सा के मुताबिक, दिसंबर 2024 में भारत के कुल कच्चा तेल आयात में रूसी तेल का हिस्सा 31% था, वहीं, नवंबर 2024 में यह 36% था. रूसी तेल पर लगे अमेरिकी प्रतिबंधों से भारत को रूस से साथ तेल व्यापार में दिक्कतें आ रही हैं. एक दिक्कत खरीदे गए तेल के भुगतान का भी है. लेकिन अगर रूस पर लगे प्रतिबंध हटते हैं तो भारत को फायदा होगा.
भारत की विकासशील अर्थव्यवस्था तेल आधारित है जिसपर तेल की कीमतों में गिरावट और उछाल का भारी असर देखने को मिलता है. अगर तेल की कीमतें बढ़ती हैं तो भारत में महंगाई बढ़ जाती है और अगर घटती हैं तो महंगाई में भी नरमी देखने को मिलती है.
तेल जब सस्ता होता है तो पेट्रोल-डीजल का दाम भी गिरता है जिससे वस्तुओं के परिवहन की लागत कम होती है. परिवहन लागत कम होने से वस्तुओं के दाम में भी कमी देखने को मिलती है और महंगाई दर कम होती है.