नीतीश ने चला ’15 करोड़’ वाला दांव, BJP ने मामला ’36’ तक पहुंचा दिया; अंदर की बात से टेंशन में आ जाएंगे तेजस्वी!

पटना

बिहार में चुनाव नजदीक आते ही सियासी पारा चढ़ने लगा है। NDA ने अति पिछड़ा वर्ग के वोटर्स को लुभाने के लिए कई दांव खेले हैं। नीतीश कुमार की सरकार और BJP, दोनों ने अलग-अलग कार्यक्रमों के जरिए इस वोट बैंक को साधने की कोशिश की है। रविवार को नीतीश कुमार ने राजगीर में जरासंध की मूर्ति का अनावरण किया, जबकि BJP ने पटना में अति पिछड़ा वर्ग हुंकार सम्मेलन आयोजित किया। इन दोनों घटनाक्रमों के पीछे NDA की रणनीति जातिगत जनगणना के आंकड़ों के आधार पर अति पिछड़ा वर्ग, खासकर कहार जाति को अपने पाले में लाने की है।

नालंदा में सम्राट जरासंध की विशाल मूर्ति
दरअसल, रविवार को बिहार की राजनीति में दो महत्वपूर्ण घटनाएं घटीं। एक तरफ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजगीर में मगध सम्राट जरासंध की विशाल मूर्ति का अनावरण किया। दूसरी तरफ, BJP ने पटना में अति पिछड़ा वर्ग हुंकार सम्मेलन का आयोजन किया। इन दोनों कार्यक्रमों के पीछे NDA का मकसद चुनाव से पहले अति पिछड़ा वर्ग के वोटर्स को रिझाना है।

15 करोड़ से बनी है मूर्ति
नीतीश कुमार ने राजगीर में जिस जरासंध की मूर्ति का अनावरण किया, उसकी ऊंचाई 21 फीट है और इसे बनाने में लगभग 15 करोड़ रुपये की लागत आई है। यह मूर्ति पीतल से बनी है और 11 फीट ऊंचे चबूतरे पर स्थापित है। सरकार का कहना है कि यह मूर्ति एक ऐतिहासिक पुरुष को सम्मान देने के लिए बनाई गई है। लेकिन, राजनीतिक जानकार इसे कहार जाति को लुभाने की कोशिश मान रहे हैं। कहार जाति अति पिछड़ा वर्ग में एक बड़ा और प्रभावशाली वोट बैंक है। जातिगत जनगणना के अनुसार, बिहार में कहार जाति की आबादी लगभग 21 लाख है। इसीलिए, इस कार्यक्रम में BJP के कहार नेता और मंत्री प्रेम कुमार भी मौजूद थे।

अति पिछड़ा वर्ग हुंकार सम्मेलन
इसी दिन, BJP ने पटना में अति पिछड़ा वर्ग हुंकार सम्मेलन का आयोजन किया। इस सम्मेलन में BJP के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने विपक्ष पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि विपक्ष का कल्याण और आरक्षण सिर्फ अपने परिवार तक सीमित है। उन्होंने केवल अपने बेटे, बेटी और पत्नी को आरक्षण देकर आगे बढ़ाने का काम किया। उन्होंने कभी भी पिछड़ा, अति पिछड़ा को आगे बढ़ाने का काम नहीं किया। उन्होंने आगे कहा कि NDA ही सभी वर्गों के गरीबों की चिंता करती है। उन्होंने जरासंध की मूर्ति के अनावरण और जननायक कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने का उदाहरण देते हुए NDA की प्रतिबद्धता पर जोर दिया।

बिहार में 36 फीसदी अति पिछड़ा
NDA की यह रणनीति जातिगत जनगणना के आंकड़ों पर आधारित है। इस जनगणना के अनुसार, बिहार में अति पिछड़ा वर्ग (EBC) की आबादी लगभग 36% है, जो अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) की 27% आबादी से ज़्यादा है। राज्य में अनुसूचित जाति (SC) की आबादी लगभग 20%, अनुसूचित जनजाति (ST) की आबादी लगभग 2% और सामान्य जाति की आबादी लगभग 15% है। इसके अलावा, राज्य में हिन्दुओं की आबादी लगभग 82% और मुस्लिमों की आबादी लगभग 18% है। इन आंकड़ों से साफ है कि अति पिछड़ा वर्ग चुनाव में एक निर्णायक भूमिका निभा सकता है।

गया में सबसे अधिक कहार जाति
कहार जाति के बारे में 2013 में हुए एक अध्ययन के अनुसार, इस जाति के लोग चंद्रवंशी और रवानी नाम से भी जाने जाते हैं। उस अध्ययन में कहार जाति की आबादी 30 लाख से भी अधिक बताई गई थी। यह जाति बिहार के सभी 38 जिलों में पाई जाती है, और सबसे अदिक आबादी गया जिले में है।

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